Hardik Pandya ने क्यों कहा, आप न जलाएं पटाखे, धमाके का काम हम पर छोड़ें?

Healthy Hindustan
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  • एक सांप पटाखा के जलने से 462 सिगरेट जलने जितना धुआं निकलता है
  • अनार करीब 34 सिगरेट पीने जितना असर फेफड़ों पर करता है
  • एक फुलझड़ी 74 सिगरेट के बराबर धुआं करती है

भारत-पाकिस्तान के बीच टी 20 वर्ल्डकप (India-Pakistan T20 World Cup) के पहले मैच में टीम इंडिया ने मेलबर्न (Melbourne) में छोटी दीवाली के दिन बड़ी दिवाली जैसा धमाल मचाया। रोमांचक मैच में पाकिस्तान पर बड़ी जीत में विराट कोहली (Virat Kohli) और हार्दिक पंड्या (Hardik Pandya) ने चौकों-छक्कों से धमाका किया और मैच के बाद हार्दिक पंड्या ने देशवासियों से पटाखे और बम धमाके नहीं करने की अपील की। हार्दिक ने कहा कि वो ये काम टीम इंडिया पर छोड़ दें, जो गेंद और बल्ले से इसे अंजाम देने के लिए ऑस्ट्रेलिया में है। हार्दिक पंड्या को अगर पटाखे नहीं जलाने की अपील करनी पड़ी तो इसकी खास वजह है।

दिल्ली से मुंबई तक हवा में जहर (Air Pollution)

असल में देश के कई बड़े शहरों खासकर राजधानी दिल्ली और महानगरों में वायु प्रदूषण का हाल बेहद बुरा है, जो दिवाली के मौके पर पटाखे जलाने से बदतर बना देता है। इसकी वजह से हर उम्र के लोग कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं और जीने के लिए सबसे जरूरी सांसें ही खराब हवा की वजह से चिंता की वजह बन जाती है। पटाखे का धुआं अस्थमा (दमा) और सांस के रोगियों के सात ही बच्चों-बुजुर्गों के लिए बेहद हानिकारक है।

कितना प्रदूषण फैलाते हैं पटाखे? (Crackers Pollution)

दीवाली पर पटाखे जलाने और आतिशबाजी करने से अस्थमा (asthma), हृदय (heart), और आंख-कान की परेशानी बढ़ जाती है। इससे आंखों में जलन, दम घुटने, हार्ट अटैक, कान बंद होने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जानकारों का दावा है कि एक सांप पटाखा के जलने से 462 सिगरेट जलने जितना धुआं निकलता है। इसी तरह इंडियास्पेंड नाम की एक संस्था की स्टडी से खुलासा हुआ है कि एक फुलझड़ी 74 सिगरेट के बराबर धुआं करती है। इसी तरह एक अनार करीब 34 सिगरेट पीने जितना असर फेफड़ों पर करता है। सांप पटाता और फुलझड़ी अक्सर हम बच्चों के हाथों में सौंप देते हैं और ये मान लेते हैं कि ये पटाखे ज्यादा खतरनाक नहीं। लेकिन एक सांप पटाखा जलाकर 462 सिटरेट जितना धुआं पीकर और एक फुलझड़ी जलाकर 74 सिगरेट के बराबर निकले धुआं को सांसों में लेने का क्या असर हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं।

बच्चों से बुजर्गों तक मंडराने वाला खतरा

इन पटाखों को जलाने से जो धुआं निकलता है उनमें पार्टिकुलेट मैटर 2.5 माइक्रांस वाले व्यास से भी छोटे होते हैं। इसलिए ये आसानी से सांसों के साथ फेफड़े तक पहुंचते हैं और वहां चिपक जाते हैं। जब बच्चों के फेफड़ों पर एक पटाखे से इतना असर पड़ता है तो हार्दिक पंड्या (Hardik Pandya) जैसे क्रिकेटर और दूसरे हस्तियों की पटाखा नहीं जलाने की अपील वाजिब है। चूंकि कोरोना की वजह से इस बार लोगों को दो साल बाद दिवाली मनाने का मौका मिला है, इसलिए इस बार जोश में ज्यादा पटाखे जलाए जाने का अंदेशा है।
पटाखों के धुएं से सांस के रोगियों के अलावा बच्चों और बुजुर्गों को गंभीर एलर्जी होने का खतरा रहता है। पटाखे के धुएं का असर गर्भ में पल रहे बच्चों पर भी पड़ सकता है और बच्चा मनबुद्धि या दूसरी विकृतियों का शिकार हो सकता है। दिवाली के मौके पर पटाखों के जलने से निकलने वाले धुएं के खतरे को देखते हुए डॉक्टरों ने कुछ लक्षणों पर खास ध्यान देने की सलाह दी है।
दिवाली पर आपमें ऐसे लक्षण तो नहीं!
• घबराहट
• खांसी
• स्किन का रंग नीला होना
• होठ का रंग नीला पड़ना
• नाखून का रंग नीला पड़ना
• सांस फूलना
• बेचैनी
• सिर में भारीपन

अगर आपमें ऐसे लक्षण दिखें तो फौरन डॉक्टर की सलाह लें। ऐसा पटाखों के धुएं के असर की वजह से हो सकता है। डॉक्टरों की सलाह है कि अस्थमा के रोगी दिवाली के दिन धुएं वाली जगहों पर जाने से बचें और अगर घर से बाहर निकलने की नौबत आए तो इनहेलर साथ रखें।
हृदय रोगी (हार्ट पेशेंट) (heart) खासकर जिन्हें हाल ही में हार्ट अटैक हुआ हो, वो तो किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें। दरअसल, पटाखों की तेज आवाज से दिल की धड़कन तेज हो जाती है और धमनियां सिकुड़ने से हार्ट के मरीजों को गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

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