Air Pollution: प्रदूषण के जहर को फेफड़ों से निकाल फेंकेंगे ये घरेलू नुस्खे, घर में मौजूद हैं आयुर्वेदिक उपाय

क्रिकेट वर्ल्ड कप (cricket world cup) में हिस्सा लेने भारत आई इंग्लैंड की टीम के बेन स्टोक्स (ben stokes) को दिल्ली में इनहेलर लेते देखा गया। प्रदूषित हवा में सांस लेने से ये परेशानी आई। आप चाहें तो घरेलू चीजों में ही बचाव का आयुर्वेदिक नुस्खा (Ayurvedic tips) ढूंढ सकते हैं।

Healthy Hindustan
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दिल्ली में इंग्लैंड के क्रिकेटर बेन स्टोक्स को प्रदूषित हवा से परेशानी हुई तो इनहेलर लेने को मजबूर होना पड़ा।

कारखानों से निकलने वाला धुआं हो, पराली का या फिर सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों का (Air Pollution)। इन दिनों दिल्ली की प्रदूषित हवा (polluted air) में जिस तरह धूल और धुआं के मेल से स्मॉग (smog) बना है, वह फेफड़ों, दिल, दिमाग, स्किन, आंखों से संबंधित रोगों से लेकर कैंसर जैसी बीमारियों तक की वजह बन सकता है। बीमारियों वाली इस जहरीली हवा से दिल्ली में तो पूरी तरह बचाव मुमकिन नहीं। ऐसे में आपकी सेहत को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचे, आयुर्वेद (Ayurveda) में इसके कुछ उपाय हैं।

जहरीली हवा (Air Pollution) नाक के रास्ते सासों के जरिये सीधे फेफड़ों (lungs) में पहुंचती है। फेफड़े वातावरण से हवा को खींचकर उससे ऑक्सीजन को छानकर खून में पहुंचाते हैं और शरीर के अंदर बन रहे कार्बनडायऑक्साइड को बाहर निकालते हैं। इसके अलावा फेफड़े बॉडी के पीएच को बैलेंस कर बाहरी आक्रमण से हमें बचाते हैं। ऐसे में फेफड़ों का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी हो जाता है। लेकिन जब हवा प्रदूषित होती है तो इसका असर सबसे पहले फेफड़ों पर ही पड़ता है। 

फेफड़ों को इस जहर के असर से बचाया जा सकता है और आयुर्वेद इसमें बेहद मददगार है। कुछ खास जड़ी-बूटियां जर्जर फेफड़ों में जमा गंदगी को निचोड़कर शरीर से बाहर करने में मददगार साबित हो सकती हैं। चूंकि प्रदूषित माहौल में शरीर में अम्ल बढ़ता है, इसलिए आयुर्वेद इससे बचाव के लिए शरीर को क्षारीय बनाने की जरूरत बताता है। खाने में संतुलन बनाकर शरीर की इस जरूरत को पूरा किया जा सकता है।

वायु प्रदूषण के नुकसान से बचें (Avoid the harm of air pollution)

नीम
नीम का पेड़ कई तरह के प्रदूषकों को सोंख लेता है जिससे उनका असर कम हो जाता है। अपने घर पर नीम की पत्तियों का गुच्छा रखें। इससे घर की हवा शुद्ध रहती है। पानी में नीम की पत्तियां उबालकर उस पानी से अपने चेहरे और बालों को धोएं। हफ्ते में कम से कम दो बार नीम की तीन चार पत्तियां खाएं। इसके सेवन से खून शुद्ध होता है और खून का प्रवाह बढ़ जाता है।

तुलसी
प्रदूषण के कारण श्वसन तंत्र में होने वाले संक्रमण को रोकने में तुलसी की पत्तियों बेहद कारगर हैं। तुलसी की कुछ पत्तियां लें और उन्हें कूटकर या पीसकर उसमें शहद की कुछ बूंदें मिलाकर उसका रोजाना सेवन करें। तुलसी का इस्तेमाल चाय और काढ़ा के रूप में किया जा सकता है।

घी
रोजाना सुबह और रात में सोने से पहले दो चम्मच गाय के घी का सेवन करें। गाय का घी प्रदूषण से होने वाले हानिकारक प्रभाव से बचाता है। गाय के घी के नाम पर आप किसी और घी का सेवन ना करें।

हल्दी

हल्दी, वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव से बचाने में भी मदद करती है। आधा चम्मच हल्दी पाउडर और एक चम्मच शहद मिलाकर रोजाना सुबह खाली पेट इसका सेवन करें। शरीर से टॉक्सिन्स निकालने में हल्दी बेहद मददगार है। हल्दी का इस्तेमाल गर्म दूध के साथ तो किया ही जा सकता है, साथ ही इसे पानी में उबालकर चाय की तरह भी पिया जा सकता है।

लहसुन
लहसुन में भरपूर मात्रा में सल्फर होता है। सल्फर शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करता है। फेफड़ों तथा लिवर को टॉक्सिन्स और वायु प्रदूषण के हानिकारक असर से बचाने के लिए लहसुन लाभकारी है। लहसुन का इस्तेमाल खाने में किसी भी रूप में किया जा सकता है। पानी के साथ सुबह खाली पेट लहसुन का सेवन करना सेहत के लिए फायदेमंद है।

त्रिफला
त्रिफला आयुर्वेद की तीन सबसे शक्तिशाली जड़ी बूटियों ‘विभीतकी’, ‘हरीतकी’ और ‘आंवला’ से मिलकर बनता है। वहीं, आयुर्वेद में त्रिफला को फेफड़ों की गंदगी को साफ करने के लिए सबसे बेहतरीन उपचार माना गया है। इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल, एंटी इंफ्लेमेटरी गुण इसे मजबूत औषधि बनाते हैं। इसके अलावा त्रिफला में पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सिडेंट जैसे एलाजिक एसिड, टैनिन और फ्लेवोन भी फेफड़ों को अधिक मजबूती देकर उसमें जमा गंदगी को जड़ से साफ करने में असरदार साबित हो सकते हैं। इसके सेवन से गले की सूजन कम होती है और श्वसनमार्ग के रोगों से भी आराम मिलता है।

त्रिफला पाउडर का इस्तेमाल रात में सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ किया जा सकता है। इसे शहद के साथ खाना भी सेहत के लिए फायदेमंद है। फेफड़ों की सफाई के लिए एक लीटर पानी में करीब 100 एमजी त्रिफला को डालकर तब तक उबालें, तब तक पानी आधा ना हो जाए। पानी हल्का गुनगुना हो जाने के बाद सुबह खाली पेट घूंट-घूंट कर इसका सेवन करें। इसके अलावा आप गले से जुड़ी परेशानी में इस पानी से गरारे भी कर सकते हैं।

वायु प्रदूषण से शरीर की सुरक्षा करने के लिए अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलें, खुली हवा में मास्क का इस्तेमाल करें और यहां बताए गए आयुर्वेदिक फूड्स को डाइट में जरूर शामिल करें। वायु प्रदूषण की वजह से नाक बंद हो जाए तो सुबह और रात को सोते समय भाप ले सकते हैं। इनके अलावा नाम में सरसों तेल की दो बूंद लेने से भी राहत मिलती है।

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डिस्क्लेमर- ये सलाह सामान्य जानकारी है और ये किसी इलाज का विकल्प नहीं है।

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