TOXIC RELATIONSHIP को ऐसे पहचानें ताकि ‘आफताब’ से बच जाए आपकी ‘श्रद्धा’

Healthy Hindustan
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गूगल के सर्च इंजन में अगर toxic relationship meaning डालें तो महज 0.49 सेकंड में 34 करोड़ 70 लाख नतीजे सामने आते हैं और यहीं अगर आप toxic relationship लिखें तो 0.37 सेकंड में 40 करोड़ 20 लाख नतीजे प्रकट हो जाते हैं। लेकिन इसके मायने जानने के लिए इन सबको पढ़ना और बहुत ज्ञानी होना जरूरी नहीं। इसे अपने आसपास के माहौल, रोजमर्रा की जिंदगी और व्यवहारिक नज़रिये से बेहद आसानी से समझा जा सकता है।
हालांकि शब्दकोष में झांके तो ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी की नज़र में टॉक्सिक रिलेशनशिप का मतलब दर्दनाक और हानिकारक रिश्ता है जिसकी वजह एक व्यक्ति का दूसरे को नकारात्मक तरीके से नियंत्रित करने की कोशिश करना है। यानी दूसरे को काबू में करने के लिए अनैतिक और गलत बर्ताव का सहारा। इसे अगर श्रद्धा वाडकर के उदाहरण से समझें तो अब तक की जांच में जो सामने आया वो बिलकुल साफ है। आफताब अमीन पूनावाला श्रद्धा पर हावी होने की कोशिश कर रहा था। ऐसा वह अपनी मर्जी चलाने और अपनी मनमौजी दुनिया में आजाद रहने के लिए कर रहा था ताकि उसके नशे की लत और दूसरी लड़कियों से ‘संबंध’ जारी रह सकें। श्रद्धा को काबू में रखने की इसी कोशिश में वो उसे दर्द पहुंचाने लगा और रोज रोज के झगड़े के बाद हत्या की नौबत तक आ गई। लेकिन श्रद्धा ने इस रिश्ते का अंजाम महसूस कर लेने के बावजूद इससे बाहर निकलने में जितनी देरी की, उसी की वजह से बात मौत पर आकर खत्म हुई।

Courtesy – Facebook

टॉक्सिक रिलेशनशिप को कैसे पहचानें?

मनोवैज्ञानिकों ने समाज और व्यक्तियों की स्टडी के बाद टॉक्सिक रिलेशनशिप के न केवल मतलब बताए हैं बल्कि इनके संकेतों की पहचान भी की है। इस तरह के रिलेशनशिप की शुरुआत भावनात्मक पीड़ा से शुरू होती है, जबकि भावनात्मक रूप से प्रताड़ित करना भी घरेलू हिंसा का ही एक रूप है। जब एक पार्टनर दूसरे की भावना को समझने के बावजूद बार बार उस पर चोट करे तो ऐसे रिश्तों में चौंकन्ना होने की जरूरत होती है। अगर शुरुआत में ही दोनों पार्टनर इस पर बातचीत कर इस माहौल और व्यवहार को बदलने में सफल होते हैं तो बात रुक सकती है, नहीं तो इस रिश्ते से बाहर निकलना ही बेहतर है।

टॉक्सिक रिलेशनशिप के संकेत

  • मनमाफिक काम कराने के लिए हद से ज्यादा प्यार
  • काम के लिए तैयार नहीं होने पर बेइंतहा नफरत
  • पार्टनर की प्रतिष्ठा से भी बहुत ज्यादा ईष्या
  • बात बात पर पार्टनर के साथ खराब व्यवहार
  • पार्टनर पर आने वाला गुस्सा सामान पर उतारना
  • अपनी कमियों के लिए पार्टनर को जिम्मेदार ठहराना
  • अपनी कमियों का ठीकरा पार्टनर के सिर पर फोड़ना
  • पार्टनर की उपलब्धियों को कमतर आंकना
  • पार्टनर को मानसिक रूप से बीमार साबित करने की कोशिश करना
  • गुस्सा में आने पर पार्टनर के साथ हिंसक संवाद
  • गुस्से में पार्टनर के साथ हिंसा पर उतर आना

जिस रिश्ते में सम्मान और भरोसे में कमी आने लगे और टॉक्सिक रिलेशनशिप के संकेत धीरे धीरे ही सही उभरने शुरू हो जाएं, तो इसे चेतावनी के रूप में देखना चाहिए। यहां इस बात पर खास तौर पर ध्यान देना चाहिए कि कहीं पार्टनर आपसी रिलेशनशिप में दबाव बनाने और साथी पर काबू करने की कोशिश तो नहीं कर रहा। कुछ मनोवैज्ञानिकों ने इसके और भी स्पष्ट लक्षण बताए हैं।

टॉक्सिक रिलेशनशिप के संकेत

  • लगातार तनावपूर्ण संबंध
  • पार्टनर से बातचीत करने पर गुस्सा आना
  • पार्टनर से बातचीत में थकान और तनाव
  • रिश्ते को लेकर लगातार नकारात्मक विचार
  • हमेशा रिश्ते में फंसा हुआ महसूस करना
  • साथी का पार्टनर के हितों की अनदेखी
  • पार्टनर के कष्ट या दुख से बेअसर रहना
  • पार्टनर का अपमान करना
  • पार्टनर को दूसरों के सामने बेइज्जत करना
  • पार्टनर की उपेक्षा करना
  • पार्टनर की राय को महत्व न देना

इन संकेतों और लक्षणों को बताने का मतलब ये बिलकुल नहीं लगाया जाना चाहिए कि कभी कभार होने वाली गलतफहमियां और रिश्ते का तनाव टॉक्सिक रिलेशनशिप की वजह से है। ऐसा बिलकुल नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि लंबे रिश्ते में ऐसे उतार-चढ़ाव कभी कभार स्वाभाविक हैं। यह भी जरूरी है कि हर विवाद में दोनों पार्टनर एक-दूसरे को सुनते हों और समाधान पर बातचीत करते हों। लेकिन आपसी बातचीत के बाद भी अगर ये मसले नहीं सुलझें और सुलह दूर की कौड़ी लगे, तब बाकी लक्षणों पर गौर करना चाहिए।

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टॉक्सिक रिलेशनशिप से बाहर न आ पाने की वजह

  • पार्टनर के बदल जाने की उम्मीद
  • आत्मसम्मान की कमी
  • सामाजिक असमानता
  • समाज के नज़रिये का डर
  • एक पार्टनर की दूसरे पर आर्थिक निर्भरता
  • भविष्य को लेकर असुरक्षा भाव
  • अकेलेपन का डर
Courtesy – Facebook
  • टॉक्सिक रिलेशनशिप से बाहर निकलना आसान नहीं है। इसकी बड़ी वजह एक पार्टनर का दूसरे से भावनात्मक और लंबे समय का लगाव होना है। दूसरी वजह इसकी इंटेसिटी यानी तीव्रता का हर वक्त एक जैसा नहीं होना भी है। ऐसे रिश्ते में कभी एक पार्टनर का दूसरे से बहुत बुरा व्यवहार होता है तो कभी ये यातना की हद तक पहुंच जाता है जबकि कभी सामान्य भी हो जाता है। कभी व्यवहार सामान्य होना ही भ्रम में डालता है और अच्छी राह निकलने की उम्मीद में अतीत के अच्छे पलों की यादों की वजह से इससे बाहर निकलने की राह पैरों की बेड़ियां बन जाती हैं। यही उम्मीद ज्यादती को सहने और रिलेशनशिप में बने रहने की आदत में बदलने लगती है। यानी ये उम्मीद जुए की उस लत की तरह हो जाती है जिसमें जीत की एक उम्मीद लेकर लोग अपना घर फूंकने को मजबूर हो जाते हैं।
  • टॉक्सिक रिलेशनशिप से बाहर कैसे निकलें?
  • पार्टनर के व्यवहार के सच को बिना झुठलाए स्वीकार करें
  • लंबे समय से चले व्यवहार के रातों रात ठीक होने की उम्मीद न पालें
  • एक बार फैसला लेने के बाद संकल्प के साथ उस पर डटे रहें
  • पार्टनर अगर चाह कर भी न बदल पाए तो उन्हें नया मौका न दें
  • यातना झेलने के बजाय अपने भरोसेमंद दोस्त या परिजन से बात करें
  • किसी पर भरोसा न हो तो सायकायट्रिस्ट की सलाह लें
  • काउंसलर से हेल्पलाइन नंबर पर बात करें
  • जरूरत पड़े तो पुलिस के पास जाने से बिलकुल न झिंझकें
  • महिला आयोग की मदद लेने की नौबत आए तो लें
  • राष्ट्रीय महिला आयोग से हेल्पलाइन नंबर 7827170170 पर संपर्क करें
  • परेशानी में महिला हेल्पलाइन नंबर 1091 पर संपर्क करें
  • घरेलू हिंसा के मामले में हेल्पलाइन नंबर 181 पर संपर्क करें

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