Cold Allergy : विदाई वाली सर्दी और मौसमी बदलाव दे सकते हैं सेहत को झटका, ऐसे बचाएं अपनों को!

कड़कड़ाती ठंड जैसे ही दबे पांव लौटने को हुई नहीं कि सेहत की अनदेखी शुरू हो जाती है। अक्सर इसी वजह से बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ते हैं। मौसम में हो रहे बदलाव के समय बच्चों और बुजुर्गों को ही नहीं बल्कि युवाओं को भी खास ध्यान देने की जरूरत है।

Healthy Hindustan
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Courtesy : Pexels

कड़ाके की सर्दी में तंदरुस्त रहने वाले भी सर्दी कम होने पर कोल्ड एलर्जी (Cold Allergy) की चपेट में आ जाते हैं। बच्चों, बुजुर्गों में तो यह मुसीबत आम है ही, साथ ही युवा वर्ग भी इसकी चपेट में आ जाता है। सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी, गले में खराश, सांस लेने में दिक्कत इसके आम लक्षण हैं। लौटती सर्दी के वक्त मौसम में हो रहे बदलावों को हल्के में लेने के इसी चलन की वजह से देश के ग्रामीण इलाकों में एक कहावत है- लुच्चा मरे माघ महीना। यानी सर्दी की विदाई के वक्त (माघ महीने में) इसे हल्के में लेने वालों का गंभीर रूप से बीमार पड़ना तय है।

दरअसल सेहत से जुड़ी कहावतें अनुभव से निकली होती हैं और इन कहावतों को विज्ञान भी सही मानता है। इसी वजह से अब जब मौसम बदलाव के दौर से गुजर रहा है तो विशेषज्ञ सेहत को लेकर सावधान रहने की सलाह देते हैं। बीते कुछ दिनों में उत्तरी भारत से लेकर मध्य भारत में सर्दी, जुकाम, खांसी और सांस से जुड़ी परेशानियों के मरीजों में इजाफा हुआ है। डॉक्टर इसकी वजह कोल्ड एलर्जी (Cold Allergy) को बताते हैं जिसकी वजह मौसमी बदलाव है।

क्या है कोल्ड एलर्जी की वजह? (What is the cause of cold allergy?)

विशेषज्ञों के मुताबिक ठंड के कम होते ही कई लोग गर्म कपड़ों से दूरी बनाने लगते हैं। ऐसे लोग भी वायरल बीमारियों के लक्षणों के शिकार होते हैं। दिल्ली के संत परमानंद अस्पताल के डॉक्टर बिकास कुमार सिंह कहते हैं,

शरीर का इम्यून सिस्टम मौसम में बदलाव के साथ आने वाले किसी चीज के प्रति ज्यादा संवेदनशील होता है। ऐसे समय में खराब हवा से लेकर हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व और जहरीले पदार्थ ऐसी एलर्जी को ट्रिगर कर सकते हैं। इस बदलाव के दौरान सुबह और शाम को गर्म कपड़े नहीं पहनना, अचानक गर्म पानी की जगह ठंडा पानी पीना और कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन सेहत पर भारी पड़ सकता है।”

`डॉ. बिकास सिंह, संत परमानंद अस्पताल, नई दिल्ली

डॉ. बिकास सिंह की चिंता गैरवाजिब नहीं। इन दिनों जिस तरह कोल्ड एलर्जी के मरीजों की संख्या बढ़ी है, वह इसी का संकेत है। खास तौर पर सांस से जुड़े मरीजों को तो मौसम का बदलाव कुछ ज्यादा ही परेशान करता है।

मौसम में बदलाव होने पर सांसों से जुड़ी एलर्जी

  • एलर्जिक राइनाइटिस (Allergic Rhinitis)
  • एलर्जिक साइनसाइटिस (Allergic Sinusitis)
  • एलर्जिक फैरिन्जाइटिस (Allergic Pharyngitis)
  • एलर्जिक ब्रॉन्काइटिस (Allergic Bronchitis)
  • एलर्जिक ब्रॉन्काइल अस्थमा (Allergic Bronchial Asthma)

क्या हैं मौसमी एलर्जी के लक्षण? (symptoms of seasonal allergies?)

अलग-अलग एलर्जी के अलग-अलग लक्षण होते हैं। एलर्जिक राइनाइटिस में बार-बार छींक आना, नाक से पानी बहना, सिर दर्द, आंखों में जलन, कान दर्द और हल्का बुखार आ सकता है। इसी तरह गले की एलर्जी में गले में जलन हो सकती है। अगर एलर्जिक ब्रोंकाइल अस्थमा है तो सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। जल्दी थकान, बोलने में परेशानी, ठीक से नहीं सो पाना, छोटे बच्चों में सांस लेने की आवाज आना, छाती चलना और खाना नहीं खाने के लक्षण दिखते हैं।

क्या हैं मौसमी एलर्जी की वजह? (causes of seasonal allergies?)

विशेषज्ञों के मुताबिक मौसम बदलने पर वातावरण में बदलाव के कारण बड़ी मात्रा में पोलन (पराग कण) हवा में मौजूद होते हैं। जिन पेड़-पौधों में बीज निकलते हैं, उनके फूलों में जो बहुत महीन पाउडर जैसा होता है, वही पोलन या पराग-कण हैं। कई लोगों को हवा में बहते इन पराग-कणों से एलर्जी होती है।

ठंड के समय धरती के नजदीक मौजूद हवा घनी और भारी हो जाती है, वहीं ऊपर की हवा गर्म और हल्की हो जाती है। इस वजह से पार्टिकुलेट मैटर नीचे की ठंडी हवा में आकर बस जाते हैं। पर्टीकुलेट मैटर यानी वातावरण में मौजूद प्रदूषण के वो कण, जिनका आकार 2.5 माइक्रोन से 10 माइक्रोन के बीच है। पार्टिकुलेट मैटर के साथ, पोलन भी हवा में मौजूद होते हैं जो एलर्जी का कारण बनते हैं। इस वजह से बदलते मौसम में एलर्जी के ज्यादा मामले सामने आते हैं। 

कैसे करें मौसमी एलर्जी से बचाव? (How to prevent seasonal allergies?)

मौसम में बदलाव के इन बुरे प्रभावों और कोल्ड एलर्जी से आसानी से बचा जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर बिकास सिंह कुछ एहतियात बरतने की जरूरत बताते हैं। डॉ. बिकास सिंह के मुताबिक सुबह और रात की ठंड से बचकर कोल्ड एलर्जी के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। इसके साथ ही फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक से दूरी बनाएं और घर का गर्म खाना ही खायें। मौसम के खराब असर से बचने के लिए घर से बाहर निकलने पर मास्क लगाएं। नाक बंद होने पर भाप लें और गले में खराश होने पर गर्म पानी में नमक डाल कर सुबह-शाम गरारें करें। इनके बावजूद अगर राहत नहीं मिले तो अपना डॉक्टर खुद ना बनें। खुद दवाई लेने के बजाय डॉक्टर की सलाह लें।

डिस्क्लेमर- ये सलाह सामान्य जानकारी है और ये किसी इलाज का विकल्प नहीं है।

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