Mental Health: पल पल बदले मूड और आए गुस्सा, तो नए साल में मत करें मेंटल हेल्थ को इग्नोर

तेज रफ्तार दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) बड़ी समस्या बनकर उभरा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक हर साल करीब दस लाख लोग आत्महत्या (suicide) करने की वजह से मरते हैं जबकि इससे 20 गुना ज्यादा लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है मेंटल हेल्थ यानी मानसिक स्वास्थ्य।

Healthy Hindustan
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मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) यानी चकाचौंध, होठों पर स्थायी मुस्कान और ठहाका। लेकिन जरूरी नहीं कि आपके सामने जो इस तरह के लक्षणों के साथ दिखे वह मानसिक रूप से सेहतमंद ही हो। जरूरी नहीं कि उसके अंदर का शोर, हलचल और अकेलापन दूसरों को दिख ही जाए। लेकिन इस शोर, हलचल और अकेलेपन को उस दौर से गुजर रहा शख्स तो महसूस करता ही है। इसलिए मानसिक परेशानी झेलने वाले शख्स की पहली प्राथमिकता खुद से सच बोलने और सच से सामना करने की होनी चाहिए। अगर मानसिक रूप से बीमार शख्स इसे झुठलाता है तो वो चिंता, तनाव, घबराहट, निराशा, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, उदासी, बेचैनी, डर, अपराध, थकान और ऊर्जा की कमी महसूस करता है और कई बार इस तरह के लक्षण वाला शख्स खुदकुशी तक करने को मजबूर हो जाता है।

दुनियाभर में मौत और दूसरी बीमारियों की बड़ी वजह बन चुका मानसिक रोग भारत में भी बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है। चूंकि मानसिक रोग की चपेट में आने वालों में खुदकुशी की प्रवृति आम होती जा रही है, इसलिए इस खतरे को गंभीरता से लेने की जरूरत बताई जा रही है।

डिप्रेशन का शिकार थीं दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone was a victim of depression)

ऐसा नहीं है कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या केवल गरीब और मध्यम वर्ग की है। चूंकि मानसिक रोग भी दूसरी बीमारियों की तरह एक रोग है, इसलिए इसकी चपेट में संपन्न लोगों से लेकर बड़ी बड़ी हस्तियां भी आती रही हैं। अच्छी बात यह है कि कई बड़ी फिल्मी हस्तियों ने भी मानसिक रोग को लेकर अब खुलकर बोलना और दूसरों को जागरुक करना शुरू कर दिया है। हिन्दी फिल्म उद्योग की सुपरस्टार दीपिका पादुकोण ने 2015 में डिप्रेशन से जुड़े अपने संघर्ष को लेकर खुलासा किया तो सनसनी फैल गई। इसके बाद कई दूसरी फिल्मी हस्तियों ने भी मानसिक रोग पर बातचीत शुरू की।

कई हस्तियों को मानसिक परेशानी (Many celebrities had mental problems)

दीपिका पादुकोण के अलावा श्रद्धा कपूर, आलिया भट्ट, शाहीन भट्ट, करण जौहर, अनुष्का शर्मा, संजय दत्त, मनीषा कोइराला, शाहरुख खान, टाइगर श्रॉफ, कंगना रनौत, सिंगर-रैपर हनी सिंह और आमिर खान की बेटी आइरा खान तक ने किसी न किसी रूप में कबूल किया कि उन्हें भी मानसिक स्वास्थ्य के मोर्चे पर चुनौती का सामना करना पड़ा। अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने और मेंटल फिटनेस के लिए इनमें ज्यादातर ने डॉक्टरों और विशेषज्ञों की मदद ली। इनमें से कई हस्तियों ने तो मानसिक स्वास्थ्य को लेकर दूसरों को जागरुक करने के मकसद से काम करना शुरू कर दिया है। इसी मकसद से दीपिका पादुकोण एक स्वयंसेवी संगठन चला रही हैं जिसका नाम  ‘लिव लव लाफ फाउंडेशन’ है।

‘लिव लव लाफ फाउंडेशन’ की सलाह (Advice from Live Love Laugh Foundation)

दीपिका पादुकोण की संस्था ‘लिव लव लाफ फाउंडेशन’ के चेयरपर्सन डॉ. श्याम भट मानसिक रोगों की पहचान के लिए कुछ लक्षणों पर ध्यान देने की जरूरत बताते हैं। डॉ. श्याम भट के मुताबिक,

जब आपके शरीर का कोई हिस्सा दुख रहा हो या ठीक से काम नहीं कर रहा हो, तो यह समझना बहुत ही आसान है कि कुछ तो गड़बड़ है। ऐसा होने पर समाज से मदद मांगने में कोई कलंक या शर्म की बात नहीं है। हालांकि वह यह भी मानते हैं कि जब किसी व्यक्ति का दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा हो तो यह मानना बहुत कठिन हो सकता है कि दिमागी मोर्चे पर कुछ तो गलत है।”

डॉ. श्याम भट, चेयरपर्सन, लिव लव लाफ फाउंडेशन

डॉ. श्याम भट आम लोगों से अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की अपील करते हैं। इसकी वजह साफ है। मानसिक रूप से फिट नहीं तो शरीर कभी सेहतमंद नहीं हो सकता। मानसिक रूप से अनफिट आदमी रोगों का घर बन जाता है। भूख नहीं लगना, नींद नहीं आना जैसे शुरुआती लक्षण बाद में गुस्सा, झगड़ा, रोने-धोने से लेकर खुदकुशी की दहलीज तक पहुंच सकता है। मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध संपूर्ण सेहत से है। स्ट्रेस-डिप्रेशन जैसी स्थितियां कई प्रकार के गंभीर रोगों जैसे हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, डायबिटीज के खतरे को भी बढ़ाने वाली हो सकती हैं।

नए साल पर लें नया संकल्प (Take a new resolution in the new year)

दीपिका पादुकोण की संस्था की ही तरह मशहूर स्वास्थ्य वैज्ञानिक डॉ. ए.के. अरुण नए साल में लोगों से मानसिक सेहत के मोर्चे पर किसी तरह का समझौता नहीं करने का संकल्प लेने की अपील करते हैं। डॉ. अरुण के मुताबिक, “भविष्य में बेहतर सेहत के लिए जरूरी है कि हम मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें। नए साल में प्रवेश करने से पहले मेंटल हेल्थ को ठीक रखने के लिए खुद से कुछ संकल्प लें, जिससे आपका मन स्वस्थ रहे।” सवाल उठता है कि मेंटल हेल्थ को परफेक्ट कैसे रखें? इसका जवाब भी डॉ. अरुण के पास है,

शारीरिक हो या मानसिक स्वास्थ्य, इसे ठीक रखने के लिए दिनचर्या में सुधार करना बहुत आवश्यक माना जाता है। स्वस्थ-पौष्टिक भोजन करने से लेकर नियमित व्यायाम-योग को दिनचर्या में शामिल करना आपके मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में सहायक हो सकता है। माइंडफुलनेस, आत्म-जागरूकता और ध्यान का अभ्यास हमें वर्तमान की परिस्थितियों को बेहतर ढंग से डील करने में मदद करते हैं। लाइफस्टाइल ठीक रहने से मन शांत रहता है और एक्सरसाइज हैपी हार्मोन्स को बढ़ाने में मदद करते हैं।”

डॉ. ए.के. अरुण, स्वास्थ्य वैज्ञानिक

सेहतमंद मनोदशा के लिए डॉ. अरुण हर किसी से स्क्रीन टाइम कम करने की अपील करते हैं। उनके मुताबिक दिन की शुरुआत से लेकर रात में सोने तक हम मोबाइल-कंप्यूटर और टीवी जैसे स्क्रीन वाले उपकरणों से घिरे रहते हैं। जबकि कई अध्ययनों में पाया गया है कि स्क्रीन पर अधिक समय बिताना मेंटल हेल्थ के लिए कई प्रकार की समस्याओं को बढ़ाने वाला हो सकता है। और सबसे जरूरी बात यह कि अगर आप खुद में मानसिक रोग से जुड़े कोई लक्षण देखें और इससे पार पाने में खुद को असमर्थ पाएं तो जरूर डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह लें। क्योंकि यह आम बीमारी की तरह है कोई कलंक नहीं। और हां, मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी कर इससे छुटकारा पाने का रास्ता अगर आप शराब, सिगरेट या किसी और नशा में तलाशते हैं तो मान लीजिए कि आप अपनी जिंदगी का सत्यानाश कर रहे हैं। इससे बाहर निकलें और बेहतर जिंदगी के लिए नया कदम उठाकर डॉक्टर या विशेषज्ञ का दरवाजा खटखटाएं।

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