Sneezing : छींक आए तो रोकिए नहीं, इनकी तरह आपकी सांस की नली भी फट सकती है!

अगर छींक (Sneezing) आने पर आप उसे रोकने की कोशिश करते हैं तो यह आदत जान पर भारी पड़ सकता है। हाल ही में एक शख्स ने ऐसा किया तो उसकी सांस की नली (windpipe) फट गई। मेडिकल जर्नल में छपी रिपोर्ट चौंकाने वाली है।

Healthy Hindustan
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Courtesy : Freepik
Highlights
  • छींक रोकना कैसे हो सकता है जानलेवा?
  • छींक रोकने से क्या-क्या हो सकते हैं नुकसान?
  • छींक रोकने के खतरों पर क्या कहते हैं डॉक्टर?

सार्वजनिक जगह पर छींकने (Sneezing) को भले ही लोग बुरा माने, लेकिन जब छींक आए तो उसे रोकने के बजाय चेहरे पर रुमाल रख कर ऐसा करने से हिचकें नहीं। छींक को रोकना कई बार बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें छींक रोकने पर गले की नस फट गई या उसमें छेद हो गया।

बड़े बुजुर्गों से हम सुनते आए हैं कि छींक को रोकने से दिमाग की नस फट जाती है। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि ऐसा करने से आंखें बाहर निकल आती हैं। छींक रोकना असंभव को संभव करने जैसा है जिसके लिए आम तौर पर लोग मुंह और नाक बंद कर लेते हैं। लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं करना चाहिए।

छींक रोकने पर क्या हुआ? (What happens when you stop sneezing?)

BMJ Case Reports में छींक रोकने से जुड़ी एक घटना को विस्तार से बताया गया है, जिसके मुताबिक एक व्‍यक्ति ने छींक रोकनी चाही, तो उसकी सांस की नली फट गई। रिपोर्ट के मुताबिक बुखार से पीड़ित एक व्यक्ति को कार चलाते वक्त छींक आ गई तो उसने इसे रोकने के लिए अपनी नाक और मुंह को बंद कर दबा दिया। ऐसा करने की वजह से छींक के जबरदस्त दबाव के चलते उसकी सांस की नली में 0.08 इंच बाय 0.08 इंच का छेद हो गया।

सांस रोकना खतरनाक है (Holding sneeze is dangerous)

जाहिर है, सांस रोकना सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप दत्ता कहते हैं, “जब आप छींक को रोकते हैं, तो पैदा होने वाला दबाव छींक से पैदा हुए दबाव से करीब 20 गुना ज्‍यादा होता है। इसलिए छींक के लिए वेग और दबाव अत्यधिक बढ़ कर खतरनाक रूप ले लेता है। बाहर की दुनिया से तुलना करें तो इसे शरीर के अंदर के चक्रवात के रूप में समझा जा सकता है, जो तबाही की ताकत रखता है।”

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क्या है पूरा मामला? (What is the whole matter?)

BMJ Case Reports के मुताबिक छींक रोकने के बाद पीड़ित को गर्दन में दर्द महसूस होने लगा और गर्दन दोनों तरफ से सूज गई। मरीज को हिलने-डुलने में भी परेशानी होने लगी। चूंकि मरीज को सांस लेने, निगलने और बात करने में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी, इसलिए असल वजह जानने के लिए डॉक्टरों ने एक्स-रे कराने का फैसला किया। एक्स-रे कराने से पहले जांच में गले से खट खट की आवाज सुनाई पड़ी। इसके अलावा मरीज का गले की गति पर नियंत्रण खो चुका था।

जांच में क्या निकला? (What came out in the investigation?)

डॉक्टरों ने फौरन मरीज के गले का एक्स-रे करवाया। रिपोर्ट से पता चला कि छींक के कारण स्किन के सबसे गहरे टिश्‍यू के नीचे हवा फंस गई थी।

उसका कंप्यूटेड टोमोग्राफी या सीटी स्कैन (CT SCAN) कराया गया और पता चला कि उसके तीसरी और चौथी हड्डियों के बीच की मांसपेशियां फट गई हैं। उसके फेफड़ों (Lungs) के बीच छाती (chest) में हवा जमा हो गई थी। पांच दिनों तक चले इलाज के बाद मरीज की हालत सामान्य हो पायी।

डॉ. संदीप दत्ता कहते हैं कि भले ही छींक रोकने की वजह से इस तरह के मामले बहुत कम आते हैं, लेकिन ऐसा करना खतरनाक तो है ही। डॉ. दत्ता ब्रिटेन के एक ऐसे ही मामले के बारे में बताते हैं जिसमें मीटिंग के दौरान छींक रोकने की वजह से 34 साल के एक शख्स के गले में सूजन हो गया और आवाज बंद हो गई। डॉ. दत्ता कहते हैं,

“गले में सांस की नली पाचनतंत्र का हिस्सा होती हैं। इसके रास्ते हवा, खाना और लिक्विड नाक और मुंह से अंदर जाती है। गले में सामान्य बीमारी में खराश और टॉन्सिलाइटिस हुए। इसके बाद शख्स को बिना दर्द के कोई चीज घोंटने में दिक्कत हुई और धीरे-धीरे उसकी आवाज भी जाने लगी।”

डॉ. दत्ता के मुताबिक गले में आसानी से छेद नहीं होता है। लेकिन नासिका में उलटी और बाहरी चोट की वजह से कुछ खरोंच आ सकती है। छींक रोकने की वजह से बने दबाव से जो चोट पहुंची उससे ग्रसिका में कोई जगह ही नहीं बची, जहां से हवा पानी पास हो सके। इसकी वजह से उसके शरीर के अंदरूनी भागों जैसे कि ग्रसीका के अंदर वाला भाग, छाती और मांसपेशियों में हवा के बुलबुले बनने लगे थे। उसके अंदर चटकने की आवाजें आने लगीं। दर्द के अलावा उसके गले में संक्रमण हो गया। उसे बचाने के लिए फीडिंग ट्यूब लगानने की नौबत आ गई।

छींक आने की कुछ आम वजहें 
•	धूल या फूलों के पराग से एलर्जी
•	पालतु पशु या पक्षी के रूसी से एलर्जी  
•	तेज रोशनी या परफ्यूम या बदबू   
•	मसालेदार खाना या काली मिर्च 
•	सामान्य सर्दी के वायरस 

डिस्क्लेमर- ये सलाह सामान्य जानकारी है और ये किसी इलाज का विकल्प नहीं है।

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