Breast Cancer : इन लक्षणों को नजरअंदाज किया तो ब्रेस्ट कैंसर से नहीं हो पाएगा बचाव!

Healthy Hindustan
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Courtesy : Freepik

दिल्ली में रहने वाली रितु मां के निधन के बाद अकेली हो गई। बीमार पापा की देखभाल करने में उसे ये ध्यान ही नहीं रहा कि उसके शरीर में जो खास तरह का बदलाव हो रहा, उस पर गंभीर होने की जरूरत है। दायीं स्तन (ब्रेस्ट) (Breast) में लंप या गांठ को उसने महसूस किया तो छूने में कठोर लगा, लेकिन इस पर बात करने के लिए घर में कोई था ही नहीं। लिहाजा, वो इसे टालती रही।

 गांठ ज्यादा दिनों तक रहा तो उसने ये बात एक दोस्त को बताई। दोस्त ने पीरियड्स (मासिक धर्म) (Menstruation) आने तक इंतजार करने की सलाह दी क्योंकि उसका मानना था कि इससे पहले भी कुछ गांठें आती हैं और फिर चली जाती हैं। लेकिन पीरियड्स (Menstruation) आए और चले गए, गांठ जस की तस बनी रही।      

करीब 37 साल के रितु के लिए ये खतरे की घंटी थी, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से कई महीनों तक इसकी अनदेखी होती रही। शक गहराया तो डॉक्टर से मिलीं और डॉक्टर ने उसके कम वजन को देखकर कैंसर के अंदेशे को खारिज कर दिया पर अल्ट्रासाउंड की सलाह दी जो बाद में बायोप्सी की नौबत तक पहुंची, क्योंकि उसे सेकंड स्टेज ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर डिटेक्ट हुआ। हालांकि रितु ने हिम्मत नहीं हारी और डॉक्टर की सलाह पर सर्जरी कराने के बाद उसने कीमोथेरेपी शुरू करवा दी। हिम्मत के आगे कैंसर हारने लगा।
लेकिन हर कोई खुशकिस्मत नहीं होता और जरा-सी लापरवाही जान पर भारी पड़ जाती है। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) (AIIMS) के कैंसर रोग विभाग (ऑन्कोलॉजी) में प्रोफेसर एस.वी.एस. देव कहते हैं

बीते 15 बरसों में युवा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले ज्यादा आ रहे हैं, जिनमें 40 से कम और 20 से 30 साल तक की हैं।

प्रो. (डॉ.) एस.वी.एस. देव, एम्स, दिल्ली

सीनियर रेडियोलॉजिस्ट (Radiologist) डॉ. अभिषेक बंसल (Dr Abhishek Bansal) कहते हैं

भारत में हर साल ब्रेस्ट कैंसर के करीब 2 लाख मरीज सामने आते हैं, जिनमें आधे की मौत हो जाती है। इसकी बड़ी वजह महिलाओं में जागरुकता की कमी है। जागरुकता में कमी की वजह से ही स्तन (ब्रेस्ट) (Breast) में बदलाव होने पर भी वो लापरवाही बरतती हैं। आमतौर पर 70 प्रतिशत महिलाएं एडवांस स्टेज में डॉक्टर के पास पहुंचती हैं।

डॉ. अभिषेक बंसल, रेडियोलॉजिस्ट

डॉ. बंसल ब्रेस्ट कैंसर की वजह बताते हैं, “किशोरावस्था के बाद महिला के स्तन (Breast) कनेक्टिव टिश्यू और हजारों लॉब्यूल से बने होते हैं। ये छोटी ग्रंथियां (Glands) हैं जो दूध का उत्पादन कर सकती हैं और दूध को निप्पल (Nipple) की तरफ ले जाती हैं। जेनेटिक म्यूटेशन्स या डीएनए के डैमेज होने पर स्तर कैंसर विकसित होता है। स्तन कैंसर आमतौर पर दूध की आपूर्ति करने वाले मिल्क डक्ट या लोब्यूल्स की अंदरूनी परत से शुरू होकर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है।”

कैसे करें ब्रेस्ट कैंसर की पहचान?

बांह के नीचे या बगल (underarm) में सूजन 
गर्दन के नीचे के लिम्फ नोड्स का अचानक सख्त होना 
मासिक धर्म के बाद ब्रेस्ट में दर्दरहित गांठ बनना 
ब्रेस्ट का आकार में अचानक बदलाव या डिंपल पड़ना 
किसी एक ब्रेस्ट का आकार अचानक कम या ज्यादा होना 
निप्पल का अंदर की ओर धंसना 
निप्पल पर जलन, खुजली या अल्सर 
निप्पल पर पपड़ीदार लाल रंग के चकते होना 
निप्पल से खून जैसा पानी या डिस्चार्ज होना
ब्रेस्ट में दर्द या छूने पर असहज महसूस होना 

आमतौर पर ब्रेस्ट कैंसर में कीमोथैरेपी, सर्जरी, रेडियोथैरेपी, टारगेटेड थैरेपी, हार्मोनल थैरेपी, एंडोक्राइन थैरेपी, इम्यूनो थैरेपी से इलाज किया जाता है। सर्जरी करने का मतलब यह नहीं कि सभी ब्रेस्ट कैंसर के मरीज का ब्रेस्ट निकाल दिया जाएगा। अगर महिलाएं शुरूआती स्टेज में इस पर ध्यान दें, तो सही इलाज करके ब्रेस्ट बचाया भी जा सकता है। मरीज की बीमारी की गंभीरता, स्टेज, उम्र , बायोलॉजिकल प्रोफाइल और मरीज के इलाज के सहन करने की क्षमता के आधार पर इलाज तय किया जाता है।

डॉ. अभिषेक बंसल कहते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर से सौ फीसदी बचाव तो संभव नहीं है, लेकिन जीवनशैली (lifestyle) में बदलाव कर इसके खतरे को कम किया जा सकता है।

ऐसे करें ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम
हफ्ते में 4 दिन तक 20-30 मिनट फिजिकल एक्सरसाइज करें 
खाना ऐसा खायें जिससे मोटापा नहीं बढ़े 
खाने में ज्यादा शुगर और फैट नहीं लें 
डाइट में फल और सब्जी की मात्रा जरूर रखें 
महिलाएं हर महीने ब्रेस्ट की जांच खुद करें 

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) (ICMR)-नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफोर्मेटिक्स एंड रिसर्च (एनसीडीआईआर) (NCDIR) ने नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट 2020 जारी किया था। इसके मुताबिक साल 2025 तक कैंसर के मामले 15.7 लाख तक पहुंच जाएंगे।

किसे है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा?
मोटापे की शिकार महिलाएं
कम उम्र में पीरियड्स शुरू होने वाली
मेनोपॉज में देरी होने पर
जिन्हें मां बनने में मुश्किल आती है
जो बच्चे को स्तनपान (ब्रेस्ट फीडिंग) (Breast feeding) नहीं करातीं
डॉक्टर की सलाह के बगैर हॉर्मोन का सेवन करने वाली
स्मोकिंग या एल्कोहन का सेवन करने वाली
जिनके परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास रहा हो

शुरुआती स्टेज में ब्रेस्ट कैंसर की पहचान होने पर मरीज की सौ फीसदी ठीक होने की गारंटी है। ऐसे मरीज इलाज के बाद सामान्य जीवन जी सकते हैं।

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