दिल्ली के डॉक्टरों के बीच सादगी, विनम्रता और आदर्शवादी विचारों की वजह से बेहद लोकप्रिय डॉ. गिरीश त्यागी (Dr Girish Tyagi) एक बार फिर दिल्ली मेडिकल असोसिएशन (DMA) (DELHI MEDICAL ASSOCIATION) के अध्यक्ष होंगे। फरवरी की 11 तारीख को दिल्ली के पांच अलग अलग मतदान केंद्रों पर हुए सालाना चुनावों के नतीजों ने उनकी लोकप्रियता पर मुहर लगा दी।
दिल्ली के डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था डीएमए में डॉ. त्यागी की धमक पहली बार नहीं। दिल्ली नॉर्थ जोन के सदस्य और डीएमसी (DMC) के रजिस्ट्रार डॉ. त्यागी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इस बार के चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी डॉ. अजय गंभीर को डीएमए के इतिहास में हुए अब तक के तमाम चुनावों में सबसे ज्यादा फासले से मात दी। इस बार डॉक्टर त्यागी को दिल्ली के डॉक्टरों के करीब 90 फीसदी वोट मिले। यानी चुनावी लड़ाई में मिली एकतरफा जीत में दिल्ली के डॉक्टरों ने डॉ. त्यागी पर आंखें मूंद कर भरोसा जताया।
इतने बड़े फासले से मिली जीत को डॉक्टर त्यागी बड़ी जिम्मेदारी मानते हैं और Healthy Hindustan से बातचीत में दिल्ली के डॉक्टरों ही नहीं बल्कि मरीजों की उम्मीदों पर भी खरा उतरने का संकल्प लेते हैं। डॉ. गिरीश त्यागी का कार्यकाल 1 अप्रैल 2025 से शुरू होगा। दिल्ली मेडिकल असोसिएशन के नव निर्वाचित अध्यक्ष डॉ. त्यागी के पास अपने संकल्प को पूरा करने के लिए अनुभव की कमी नहीं। दिल्ली मेडिकल असोसिएशन के मौजूदा अध्यक्ष डॉ. अश्विनी डालमिया कहते हैं,
“डॉ. त्यागी बीते 35 साल से डीएमए से जुड़े हुए हैं। बतौर मेडिकल और हेल्थ एक्टिविस्ट उन्हें डॉक्टरों और मरीजों की परेशानियों के बारे में बखूबी पता है। डीएमए के पूर्व अध्यक्ष से लेकर चिकित्सा सचिव के रूप में उन्हें संस्था की जिम्मेदारियों का भी अहसास है। इसके अलावा डीएमसी के रजिस्ट्रार के रूप में वह डॉक्टर, नर्सिंग होम, अस्पताल और मरीजों की कमियों-कमजोरियों से भी वाकिफ हैं।”
डॉ. डालमिया के इस भरोसे की वजह है। दरअसल डॉ. त्यागी इससे पहले 2019-20 में भी डीएमए के अध्यक्ष रह चुके हैं। उस कार्यकाल में डॉ. त्यागी ने दिल्ली में झोला छाप डॉक्टरों पर नकेल कसने में तो अहम भूमिका निभाई ही थी साथ ही डॉक्टरों पर बायोमेडिकल वेस्ट को लेकर सरकार की चिंता से सहमति जताते हुए इसके उचित निपटान में सकारात्मक भूमिका निभाई थी। इस दौरान उन्होंने यह भी तय कराया कि दिल्ली में किसी भी नर्सिंग होम को बायोमेडिकल वेस्ट (मेडिकल कचड़े) के निपटारे की आड़ में प्रशासन नाहक तंग ना करे।
अपने नए कार्यकाल में डॉक्टर त्यागी को किन मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देना है, यह भी उन्होंने साफ किया। डॉ. गिरीश त्यागी के मुताबिक बीते कुछ बरसों मे डॉक्टर और मरीजों के बीच भरोसे की कमी हुई है। उनका पहला काम इस भरोसे को बहाल करना होगा। ऐसा करने से डॉक्टर, नर्सिंग होम और अस्पतालों पर बढ़ते हमलों के चलन पर रोक लगेगी और मरीजों को बेहतर इलाज मिल पाएगा। डॉ. त्यागी कहते हैं भरोसे की कमी की वजह से कई बार डॉक्टर बेहद गंभीर हालत में पहुंचने वाले मरीजों को किसी और अस्पताल में रैफर कर देते हैं, जिससे मरीज को बचाने का कीमती समय नष्ट हो जाता है और इससे मरीज की जान तक चली जाती है। अगर डॉक्टर और मरीज के बीच भरोसा बहाल हो जाए तो कई गंभीर रोगियों की जान बचाई जा सकेगी। इसके अलावा मरीजों के इलाज में किसी तरह की लापरवाही ना हो और किसी मरीज की मौत पर डॉक्टरों पर लापरवाही से इलाज करने का झूठा आरोप नहीं लगे, इस कार्यकाल में वह यह भी तय करने की कोशिश करेंगे।