Tapeworm Diet Pill : जानलेवा हो सकता है मोटापा भगाने के लिए ‘कीड़ों की गोली’ खाना, बैन के बावजूद सवा लाख में बिक रही हैं गोलियां

Healthy Hindustan
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टेपवर्म डाइट की वजह से अमेरिका की मशहूर ओपरा सिंगर मारिया कैलस की महज 53 साल की उम्र में मौत हो गई।

महानगर, शहर, देहात हो या कस्बा। दो लोगों के झगड़े में एक दूसरे को कोसने के लिए चंद शब्द अक्सर सुनाई पड़ते हैं- तुम्हें कीड़े पड़ेंगे। यहां संदर्भ जो भी हो, लेकिन मोटापा घटाने के लिए कई दशक से एक खास तबके में चोरी-छुपे इलाज का एक तरीका चलन में है। ये तरीका कीड़े खाने का है और इसे अपनाने वाला तबका वह है जो हाइजीन हाइजीन जपता और अनहेल्दी डाइट के नाम पर कई चीजों को लेकर नाक-भौं सिकोड़ता मिलता है।
सुनकर आपको हैरानी हो सकती है, लेकिन यह सौ फीसदी सच है। मोटापा घटाने के लिए ग्लैमर की दुनिया से लेकर उच्च आय वर्ग (high income group) में एक खास किस्म के कीड़ों की गोलियां खाने का चलन है, जिससे कि पेट में कीड़े हों और वहां वो घर बनाएं और इन गोलियों को खाने वाला शख्स जो खाना खाए वह ये कीड़े चट कर जाएं। ताकि इस खाने से उस व्यक्ति का वजन न बढ़े। ऐसे में आपके जेहन में ये सवाल आ सकता है कि वजन नहीं बढ़े, ये बात तो समझ में आती है लेकिन वजन इससे घटता कैसे है?
इस सवाल का जवाब जानने से पहले हम आपको कुछ और तथ्यों से वाकिफ कराते हैं। आपने हिन्दी फिल्मों की दुनिया से जुड़ी हस्तियों से लेकर कई और नामचीन लोगों और उनकी संतानों को थुलथुल यानी मोटा देखा होगा। लेकिन कुछ ही महीने या साल बाद अचानक आपने इन्हें दुबला-पतला, पिचके गाल, धंसी आंखें, सूखे होठ और पतली कमर के साथ मटकते पाया होगा। जिस काया या हुलिया को गंभीर बीमारी का नतीजा मानना चाहिए आखिर ये हस्तियां उसे चमत्कार बताकर इतराती क्यों नजर आती हैं?
जानकार इस तरह के कई मामलों की वजह टेपवर्म पिल्स को बताते हैं। इन गोलियों के बारे में लोगों की जिज्ञासा का आलम यह है कि अगर आप गूगल पर अंग्रेजी में Tapeworm Diet Pill सर्च करें तो महज 0.85 सेकंड में 11 लाख 80 हजार नतीजे आपके सामने होंगे। इसी तरह हिन्दी में टेपवर्म डाइट पिल लिखने पर महज 0.45 सेकंड में 13 लाख 30 हजार नतीजों से आप रूबरू होंगे। इनमें जैसी जैसी जानकारियां मिलेंगी वह आपको हैरान कर देंगी।

91 किलो से 36 किलो तक का सफर
• 1940 के दौर की मशहूर ओपरा सिंगर मारिया कैलस पर टेपवर्म डाइट लेने का आरोप
• शैंपेन के साथ टेपवर्म के अंडे खाने का आरोप, जबरदस्त कमजोरी से घटा वजन
• स्विस डॉक्टर की सलाह पर टेपवर्म डाइट लेकर 91 किलो से वजन 36 किलो किया
• महज 53 साल की उम्र में निधन, टेपवर्म डाइट को माना गया जिम्मेदार
• 2015 में अमेरिकी टीवी अभिनेत्री क्लोई कर्दाशियां ने भी टेपवर्म पिल्स लेने की इच्छा जताई

आम लोग हो सकता है कि टेपवर्म सुनकर इसे कुछ अनोखा समझें, लेकिन ये कोई अनोखी दवा या अनोखा कीड़ा नहीं। AIIMS (दिल्ली) के Gastroenterology विभाग के प्रमुख (HoD) डॉ. अनूप सराया निजी बातचीत में बताते हैं कि ये वही कीड़ा है जो आम तौर पर गंदे हाथों से खाना खाने या बगैर धोए फल खाने या कच्चा खाना खाने, अधपका नॉनवेज खाने से बच्चों से लेकर बड़ों के शरीर के अंदर चला जाता है। और जब बच्चे का वजन नहीं बढ़ता और जी मिचलाने, पेट में दर्द, ब्लोटिंग, थकान, कमजोरी जैसे लक्षणों के बाद आप डॉक्टर के पास पहुंचते हैं तो डॉक्टर कीड़े मारने (डिवॉर्मिंग) की दवा लेने की सलाह देते हैं। अगर दवा लेने में देरी हो तो बच्चे को डायरिया, भूख न लगना, कुपोषण, सिरदर्द, धुंधला दिखना और मिर्गी के दौरे तक पड़ने लगते हैं।
लेकिन जब बीमारी वाले इस कीड़े को डाइट में लिया जाता है तो बाजार इसके लिए अपमार्केट चोंचलेबाजी की राह बनाता है। वजन घटाने की चाह रखने वाले को टेपवर्म यानी गंदे पैरासाइट्स (परजीवी कीड़ों) को खाने में घिन न लगे, इसके लिए इन्हें पिल्स यानी गोलियों के रूप में पेश किया जाता है। पेट में गोलियों की तरह निगले जाने के बाद जब गोली की बाहरी परत पेट के अंदर के अम्लीय (acidic) वातावरण में गल जाती है तो धीरे धीरे इन कीड़ों के अंडे आंतों में निकलने लगते हैं। अनुकूल हालात मिलते ही ये अंडे कीड़े में बदल जाते हैं और दवाई खाने वाला शख्स जो खाना खाता है उसे ये कीड़े खाने लगते हैं। बाद में मनमाफिक वजन पर पहुंचने के बाद डॉक्टर की सलाह से कीड़े मारने की दवाई (एंटी पैरासाइटिक पिल्स) खाकर इन्हें मल के रास्ते बाहर निकाला जाता है।

टेपवर्म पिल लेने से पहले मारिया कैलस
टेपवर्म पिल लेने के दौरान मारिया कैलस
टेपवर्म पिल लेने का कैलस पर असर


सवाल उठता है कि जो कीड़ा बीमारी की वजह माना जाता है, उसे दवा के रूप में लेने का चलन कैसे शुरू हुआ? इसकी भी बेहद चौंकाने वाली हकीकत है।


कैसे शुरू हुई टेपवर्म डाइट?
विक्टोरियन एरा (1837-1901) में महिलाएं टेपवर्म डाइट अपनाती थीं
• इसका मकसद वजन कम करना और तब के खूबसूरती के पैमाने पर फिट उतरना था
• इस बात के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि टेपवर्म डाइट को सबसे पहले किसने बनाया
• टेपवर्म डाइट से एपेंडिक्स, पित्त और पैंक्रियाज की नली ब्लॉक हो जाती है
• नसों पर प्रभाव से आंखों पर असर के साथ ही भूलने की बीमारी (डिमेंशिया) का खतरा
• टेपवर्म डाइट लेने से लंग्स, ब्रेन और लिवर सहित कई अंगों के फेल होने का खतरा रहता है

टेपवर्म हाइजीन की कमी की वजह से इंसान के शरीर में पहुंचने वाला सफेद रंग का कीड़ा है, जो आंतों में पलता-बढ़ता है और एक वक्त के बाद पूरे शरीर में फैल जाता है। अगर यह आंतों से बाहर हो जाए तो फिर इसे काबू में करना और शरीर के बाहर निकालना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसा होने पर डायरिया, बुखार, कमजोरी, पेट दर्द, टेपवर्म एलर्जी, बैक्टीरियल इंफेक्शन और न्यूरोलॉजिकल बीमारियां हो सकती हैं। पेट में करीब 20 साल तक जिंदा रहने वाला ये कीड़ा 30 फीट की लंबाई तक बढ़ता है।”

डॉ. रमेश दत्ता, पूर्व अध्यक्ष, दिल्ली मेडिकल असोसिएशन

मोटापा शरीर की कई बीमारियों की वजह है। लेकिन टेपवर्म डाइट से जितने नुकसान हैं वह मोटापा से भी ज्यादा हैं। यही वजह है कि अमेरिका और भारत सहित पूरी दुनिया में टेपवर्म पिल्स और टेपवर्म डाइट पर कानूनन रोक है।

कानूनन न इसकी गोली बेची जा सकती है और न ही टेपवर्म डाइट का सेवन किया जा सकता है। लेकिन इसके बावजूद दुनिया के तमाम हिस्सों में इसका कारोबार होता है। स्थिति यह है कि दुनिया के कई हिस्सों में टेपवर्म डाइट की बिक्री वेबसाइट के जरिये भी धड़ल्ले से हो रही है। मेक्सिको की कुछ वेबसाइट्स पर एक टेपवर्म पिल करीब 1 लाख 25 हजार की बिक रही है।

डॉ. दत्ता कहते हैं कि टेपवर्म डाइट से वजन 20 दिन में कम होना शुरू होता है लेकिन इसके बाद पेट से लेकर दूसरी तरह की जितनी बीमारियां घेरती हैं, उससे जान तक जा सकती है। डरने वाली एक और बात यह है कि यह इंफेक्शन एक व्यक्ति से दूसरे में भी फैलता है।

चूंकि इंसानों के अलावा टेपवर्म मछली, भेड़, सूअर, गाय और कुत्तों में भी पाया जाता है, इसलिए एक भ्रांति यह है कि वेज (शाकाहार) खाने वालों को टेपवर्म के इंफेक्शन का खतरा नहीं। लेकिन सच यही है कि इंफेक्शन की चपेट में आए शख्स के साथ खाना खाने और एक ही बर्तन, ग्लास, प्लेट का इस्तेमाल करने से इसके दूसरे व्यक्ति में फैलने का अंदेशा रहता है। इसलिए हर दौर में एक सलाह दी जाती रही है- खाना हाथ धोकर खाएं। खाना अपनी थाली में खाएं। खाना पर्दा में खायें।

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