Relationship : जान तो लीजिए, क्यों आफताब के रिश्ते से नहीं निकल पाती आपकी श्रद्धा

Healthy Hindustan
7 Min Read

श्रद्धा वालकर डेटिंग ऐप के ज़रिये तीन साल पहले आफताब अमीन पूनावाला के संपर्क में आई। कुछ ही दिनों की बातचीत के बाद दोनों लिवइन पार्टनर बन गए। श्रद्धा वाडकर ने अपने घरवालों से बगावत कर आफताब के साथ लिव इन रिश्ते को चुना और आफताब ने स्वच्छंदता के लिए अपने मां-बाप की मर्जी से अलग एक फ्लैट में रहने का फैसला कर लिया। देश में हर दिन कोई आफताब या कोई श्रद्धा इस तरह के फैसले लेकर इसी राह पर चलते हैं। कुछ का फैसला सही साबित होता है और वो हमसफर बन जाते हैं। कई जोड़े कुछ दूर चलने के बाद इस रिश्ते से लौट आते हैं और कुछ के लिए ये सफर अंतहीन दर्द और दूसरों के लिए सबक बन जाता है।
आफताब और श्रद्धा की हकीकत इसी अंतहीन दर्द की दास्तां है, जिसमें दोनों ने अपनों और इस राह पर चलने वालों के लिए कुछ संदेश छोड़े। घरवालों के लिए ये संदेश कि कुछ तो उनकी परवरिश में कमी रही कि श्रद्धा से आफताब को पहचानने में चूक गई। कुछ तो उनकी परवरिश में कमी रही कि श्रद्धा अपने घरवालों को ये कहने का हिम्मत कर पाई कि बालिग होने की वजह से वह अपने फैसले खुद लेने के लिए आजाद है। कुछ तो परवरिश में गड़बड़ी रही कि आफताब नशे की दुनिया में भटकने के साथ ही लड़कियों से रिश्ते बनाने के लिए किसी भी हद से गुजरने को आतुर रहने लगा। कुछ तो परवरिश में ही कमी रही कि अपने साथ तीन साल बिताने वाली लिवइन पार्टनर की हत्या कर उसके शव के टुकड़े टुकड़े करने में उसे न तो संकोच हुआ और न ही अपनी करनी पर पश्चाताप।


लेकिन यहां हम परवरिश पर चर्चा नहीं करेंगे। Healthy Hindustan की टीम ने कुछ समाज विज्ञानियों, कुछ मनोवैज्ञानिक और कुछ मनोचिकित्सकों से बातचीत कर यह जानने की कोशिश की कि आखिर कोई श्रद्धा आफताब जैसों की असलियत जानने के बावजूद उसे क्यों नहीं छोड़ पाती? इसकी मुख्य वजह समाज और मनोविज्ञान का मिला जुला असर इस तरह है :

• महिला को सब कुछ सहना पड़ता है वाली मानसिकता
• कोई पुरुष ही हमारा सहारा हो सकता है और सुरक्षा दे सकता है
• चलो कुछ दिन बर्दाश्त कर लेते हैं, धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा

इसी मानसिकता की वजह से श्रद्धा वालकर पर आफताब अमीन पूनावाला हावी होता चला गया। एक बार जैसे ही श्रद्धा परिवार से विद्रोह कर आफताब के पास आई, आफताब का घर उसके लिए कैदखाना में बदलने लगा। श्रद्धा के वापस घर नहीं लौट पाने की मजबूरी के बाद उसकी असली चेहरा सामने आया तो शुरुआत छोटे-मोटे झगड़े से हुई और फिर दरिंदगी की हद पार कर मारपीट से लेकर जिस्म पर सिगरेट से जलाने तक के वाकये सामने आने लगे। भले ही इसकी वजह आफताब का दूसरी लड़कियों से रिश्ते और नशे की बेलगाम लत को लेकर आपत्ति जताया जाना ही क्यों न रही हो। दोनों के रिश्तों में आए बदलाव को देखें तो इसके छह स्तर मिलते हैं।

बर्बरता की तरफ बढ़ रहे Relationship के 6 स्तर

  1. मामूली बातों या टोकाटाकी पर रिएक्ट करना
  2. भला-बुरा कहते कहते गाली-गलौज पर उतर जाना
  3. धमकी, मारपीट और हद से ज्यादा शारीरिक यातना
  4. बाद में माफी मांग कर खुद को ही सही ठहराने की चेष्टा करना
  5. ‘हनीमून फेज’ जिसमें पीड़ित पार्टनर का समझौता कर लेना
  6. समझौते के कुछ दिन बाद ही हिंसा के दौर का लौटना

श्रद्धा और आफताब के ही रिश्ते से इसे समझें तो लिवइन रिश्ते में आने के बाद से ही दोनों के बीच टोकाटोकी को लेकर झगड़े होने शुरू हुए और कहासुनी के बाद मारपीट तक जा पहुंची और नौबत थाने तक शिकायत करने की आ गई। लेकिन हालात को देखकर रंग बदलते हुए आफताब ने माफी मांग लिया और श्रद्धा ने भी उसे माफी देकर रिश्ते को फिर से आगे बढ़ाने की कोशिश की। इस तरह दोनों के बीच कम से कम तीन बार ब्रेक अप की नौबत आई और अंत में श्रद्धा को खत्म करने के मकसद से आफताब उत्तराखंड और हिमाचल की सैर पर गया और लौटकर उसने दिल्ली को श्रद्दा की हत्या के लोकेशन के रूप में चुना। इन कड़ियों को जोड़े तो मनोवैज्ञानिक इसे रिश्ते के भ्रमजाल के रूप में देखते हैं, जो श्रद्धा और श्रद्धा जैसी लड़कियों पर लागू होता है।

Relationship का भ्रमजाल

• प्यार
• प्रताड़ना
• पछतावा

श्रद्धा इस मामले में आफताब के प्रेम के भ्रमजाल में फंसकर इन्हीं तीन चरणों से गुजरी और अंत में वह अपने ही पार्टनर की बर्बरता का शिकार हुई। चूंकि ऐसे मामलों में कभी पिटाई, कभी गाली गलौज कभी प्यार और कभी माफी का दौर चलता है, इसलिए बार बार नहीं पिटने की वजह से भ्रम का ये जाल मजबूत होता जाता है और पीड़ित को लगता है कि उसका पार्टनर उतना बुरा नहीं है। पार्टनर को ज्यादा बुरा मानने का वह खुद को ही कसूरवार मान बैठती है और इसी भावना की वजह से वह खुद को पश्चाताप के रूप में उसकी सीमाहीन ज्यादतियों को बर्दाश्त करने के लिए तैयार कर लेती है। इसके बावजूद जब उसे इस रिश्ते में अब और आगे नहीं बढ़ पाने का अहसास होता है तो वह खुद को उलझनों के जाल से घिरा पाती है, जिसे बनाने वाली वह खुद होती है।

उलझन का मकड़जाल

• परिवार, समाज, दोस्तों की परवाह कि अब वो क्या कहेंगे
• विद्रोह कर घर छोड़ने की वजह से अपनों से आपबीती कैसे बताएं
• घरेलू हिंसा की चपेट में आने के बावजूद कानून की शरण में कैसे जाएं
• पार्टनर के घर वाले तो उन्हीं का पक्ष लेंगे, उनसे क्या बात करना
• इस रिश्ते से बाहर निकल गए तो मेरा क्या होगा, कैसे कटेगी जिंदगी
• सारे रिश्ते तो छूट ही गए, अब कौन आएगा बचाने

Follow

Subscribe to notifications

Most Viewed Posts

Share this Article
Leave a comment
चमकती स्किन के लिए क्या खाएं किस तरह के तेल से करें मसाज ? क्या है निगेटिव कैलोरी फूड ऑयल मसाज ब्लॉकेज हटा कर ब्लड सर्कुलेशन ठीक करता है पांच बैक्टीरिया जो हर साल भारत में लाखों लोगों की लेते हैं जान
adbanner