Oral Cancer : ऐसे लक्षण दिखें तो घबराने के बजाय कराएं मुंह के कैंसर की जांच

Healthy Hindustan
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अगर आप सिगरेट पीते हैं, या तंबाकू खाते हैं और सिगरेट-तंबाकू का सेवन न भी करते हों लेकिन शराब पीते हैं तो हो जाइए खबरदार। अगर आप नियमित रूप से सुपारी चबाते हैं और आपके परिवार के सदस्यों को मुंह या गर्दन के कैंसर कभी हो चुका हो तो फिर ज्यादा ही चौंकन्ना हो जाइए। क्योंकि इन वजहों से आप उस रिस्क ग्रुप में हैं जिन्हें कैंसर होने का जोखिम ज्यादा है।

किन वजहों से मुंह का कैंसर?

•      सिगरेट, बीड़ी, हुक्का या धुएं वाला कोई नशा करना

•      ज्यादा शराब पीना, गुटखे-तंबाकू का सेवन

•      मानव पेपिलोमावायरस का इंफेक्शन

•      परिवार में मुंह और गर्दन के कैंसर का इतिहास

•      गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग

•      लंबे समय तक मुंह में घाव

•      सलफ्यूरिक एसिड और फॉर्मलडिहाइड के संपर्क में आने से

•      मुंह की सफाई का ध्यान नहीं रखना

ये ऐसी वजहें हैं जिसने मुंह के कैंसर के मरीजों की संख्या को बेतहाशा बढ़ाया है। ग्लोबोकॉन के आंकड़ों के मुताबिक सभी तरह के कैंसरों में करीब 11 प्रतिशत मामले होठ और मुंह के कैंसर के हैं। ये कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इससे भी लगा सकते हैं कि हर साल करीब 75 हजार लोगों की मौत मुंह के कैंसर (mouth cáncer, oral cancer) की वजह से हो रही है।

         मुंह का कैंसर होने की वजह ओरल हाइजीन (oral hygiene) का ध्यान नहीं रखना भी है। जीभ पर घाव, दांतों का झड़ना, मसूड़ों के खून आना, खाना निगलने में दर्द या परेशानी कैंसर के शुरुआती लक्षण (oral cancer symptoms) हैं।

मुंह के कैंसर के लक्षण

•      ल्यूकोप्लाकिया- मुंह में सफेद धब्बे का नजर आना और धोने-नहाने के बावजूद इन धब्बों का नहीं जाना ल्यूकोप्लाकिया कहलाता है। यह मुंह के कैंसर का शुरुआती लक्षण माना जाता है।

•      ओरल लाइकेन प्लेनस- अचानक चेहरे पर सफेद धारियां दिखाई पड़ना और उनके बीच लाल रंग भी नजर आना ओरल लाइकेन प्लेनस कहलाता है। यह भी मुंह के कैंसर का शुरुआती लक्षण माना जाता है।

•      मुंह के अंदर लंबे समय तक रहने वाले और बार बार होने वाले छाले, मुंह के अंदर खून आना, मुंह के अंदर की मांसपेशियों का कठोर होना और सुन्नपन भी कैंसर के शुरुआती लक्षण हैं।

मेडिकल हिस्ट्री- ऊपर लिखे लक्षण अगर उन लोगों में दिखें जिनके परिवार में पहले कैंसर की वजह से मौत हो चुकी हो या जिनके परिवार में कैंसर के मरीज मिले हों, तो उन्हें इन लक्षणों को ज्यादा गंभीरता से लेना चाहिए। ऐसे लोगों के लिए मुंह का कैंसर (mouth cáncer, oral cancer) वंशानुगत बीमारी (heredity) हो सकता है।

 कैंसर के इलाज में नई उम्मीद

नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (National Institute of Biomedical Genomics) के वैज्ञानिकों ने एक जेनेटिक तंत्र (Genetic System) की पहचान की है जिसे कोशिकाओं को कैंसर वाली कोशिकाओं में बदलने की वजह माना जाता है। कैंसर बायोलजिस्ट निधान बिस्वास और उनकी टीम को इस खोज का श्रेय दिया गया है। इस टीम ने जीन में होने वाले म्यूटेशन की पहचान की। कैंसर के इलाज की दिशा में निधान बिस्वास और उनकी टीम की खोज को बड़ा कदम माना जा रहा है।

            बताया गया कि पहचाना गया जीन केसपेज-8 नाम का प्रोटीन बनाता है, जो टिश्यूज को ऐसी असामान्य स्थिति में ले जाता है जो ल्यूकोप्लाकिया की वजह बनती है। यही आगे चलकर मुंह के अंदर के घाव की वजह बनती है जो कैंसर में बदल जाती है। पुराने अध्ययन से यह साबित हो चुका है कि जिन मरीजों में ल्यूकोप्लाकिया पाया गया उनमें से 09 फीसदी में आगे चलकर कैंसर हुआ। यही वजह है कि जिन मरीजों में ल्यूकोप्लाकिया पाया जाता है उन्हें हर 6 से 12 हफ्तों में एक बार कैंसर की जांच के लिए बुलाया जाता है।

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