कई लोगों के लिए एक रात की कोई सुबह नहीं होती। वे आम हों या खास, रुपहले पर्दे के सितारे हों या दूसरे क्षेत्र की हस्तियां, उस खास रात को अगर सुबह सुबह दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक (heart attack) हुआ तो कई बार सुबह की किरणों के उगने के बावजूद रात की स्याह यादें खत्म नहीं होतीं। मतलब ये कि देर रात के बाद और सुबह के वक्त तक अगर दिल का दौरा पड़ा तो ज्यादातर मामलों में यह जानलेवा साबित होता है।
कई दिग्गज सवेरे-सवेरे हुए हार्ट अटैक का शिकार
याद कीजिए शेयर बाजार के दिग्गज राकेश झुनझुनवाला की मौत की पुष्टि ब्रीच कैंडी अस्पताल ने सुबह सुबह ही की थी। एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला और पत्रकार रोहित सरदाना का निधन भी तड़के ही हुआ। यूपी के लखीमपुर खीरी जिले की गोला विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक अरविंद गिरि की मौत तो सुबह करीब 5 बजे चलती कार में तब हुई, जब वह लखनऊ के रास्ते में थे। डॉक्टरों ने इन सभी मामलों में मौत की वजह दिल का दौरा पड़ना (heart attack) बताया।
यह लिस्ट लंबी है। पूर्व केंद्रीय खेल व युवा मामलों के मंत्री और मशहूर अभिनेता सुनीत दत्त का निधन भी सुबह सुबह पड़े दिल के दौरे की वजह से हुआ। सुनील दत्त से पहले भी कई मशहूर हस्तियों के लिए ऐसी रातों की सुबह नहीं हुई। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, नैसकॉम से जुड़े दिग्गज दिबांग मेहता, बॉलिवुड की हस्तियां संजीव कुमार, विनोद मेहरा, अमजद खान से लेकर न जाने कितने ही अब तक सडन डेथ के शिकार हो चुके हैं। अहले सुबह दिल का दौरा न जाने कितनी ही जिंदगियों और उम्मीदों के लिए पूर्ण ग्रहण बना, पर नाम मिला इस बीमारी को अर्ली मार्निंग गेटवे सिंड्रोम।
क्या कहते हैं डॉक्टर?
साल 2021 में हार्ट अटैक से 28,449 लोगों की मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई। इनमें बड़ी तादाद सडन डेथ यानी सुबह सवेरे औऱ दिल की तकलीफ की वजह से हुई मौत की रही। सडन डेथ, सुबह सवेरे और दिल की तकलीफ के इस त्रिकोणीय मेल को कार्डिलॉजिस्ट डॉ. प्रेम अग्रवाल विस्तार से बताते हैं। उनके मुताबिक, “देर रात 2 बजे से सुबह 6 बजे के बीच इसके लक्षण उभरने शुरू होते हैं और इसकी चपेट में आने वाले ज्यादातर लोग बिस्तर पर मृत पाए जाते हैं। परैलिसिस (paralysis) और हार्ट अटैक के ज्यादातर मामले इसी दौरान होते हैं। एक स्टडी के मुताबिक 40 फीसदी लोग साइलंट हार्ट अटैक के शिकार होते हैं।”
हार्ट अटैक की आहट को ध्यान से सुनिए
ऐसा नहीं है कि इस होनी को टाला नहीं जा सकता। डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि मरीज को एक दिन पहले से ही इसकी आहट हल्का पसीना छूटने, बेचैनी, छाती दर्द आदि के रूप में मिलने लगती है, लेकिन इसे गैस का मामला मान ज्यादातर लोग अनदेखी करते हैं। इस चेतावनी को समझने में चूक करने वाले बाद में तब इस चूक में सुधार कर सकते हैं जब सुबह सुबह ऐसे लक्षण दिखें। डॉक्टर अग्रवाल के मुताबिक सुबह ऐसे लक्षण दिखते ही बिना वक्त गंवाए डॉक्टर से मिलना चाहिए। ज्यादातर लोग सुबह का इंतजार करने लगते हैं और यह सुबह उनके लिए कभी नहीं आ पाती। कई मरीज तो अस्पताल में दाखिल होने के बावजूद नर्स व डॉक्टर की अनदेखी की वजह से दम तोड़ देते हैं। सिगरेट पीने वाले (smoker) और डायबिटीज (diabetes) के मरीज सावधान, सुबह के वक्त ब्लड प्रेशर और धड़कन का ज्यादा होना अच्छा नहीं है।
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