जिंदगी में अगर मिठास न हो तो जिंदगी का आनंद कुछ कम हो जाता है। ठीक यही बात स्वाद की दुनिया में भी लागू होती है। स्वाद के इसी ‘आनंद’ वाले चक्कर में पड़ कर जब डायबिटीज (Diabetes) के मरीज खुद को मीठा खाने से नहीं रोक पाते, तो उन्हें लेने के देने पड़ जाते हैं। भले ही बहाना नुकसान नहीं पहुंचाने वाले मिठास यानी आर्टिफिशल स्वीटनर्स (Artificial Sweeteners) का क्यों न हो।
कैसे फायदा उठाती हैं कंपनियां?
डायबिटीज (Diabetes) के ज्यादातर मरीज मीठा खाने से खुद को नहीं रोक पाते और अगर कुछ रोक भी लेते हैं तो उनका दिल मीठा खाने को मचलता तो है ही। उनकी इसी कमजोरी का बेजा फायदा उठाती हैं आर्टिफिशल स्वीटनर बनाने वाली कंपनियां। लेकिन ऐसे प्रॉडक्ट (Product) डायबिटीज (मधुमेह) से लेकर दिल (Heart) तक के मरीजों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं और उनकी बीमारी को बढ़ाने का काम करते हैं। दिल्ली डायबिटीज रिसर्च सेंटर (Delhi Diabetes Research Center) की एक स्टडी (study) से ये बात साबित हुई है।
रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा
दिल्ली डायबिटीज रिसर्च सेंटर (Delhi Diabetes Research Center) की स्टडी के मुताबिक ऐसे उत्पादों में मिठास बढ़ाने के लिए चीनी की जगह जो एस्पार्टम (aspartame) मिलाया जाता है वह सेहत के लिए खतरनाक होता है। डायबिटीज के ज्यादातर मरीज चाय या दूसरे ड्रिंक्स में बनावटी स्वीटनर की गोलियों का इस्तेमाल करते हैं। मार्केट में कई नामों से ऐसी गोलियां मिलती हैं। इसके अलावा डाइट कोल्ड ड्रिंक्स से लेकर डाइट कॉफी, डाइट जैम, डाइट डेजर्ट्स, डाइट केक, डाइट चॉकलेट आदि ऐसे आर्टिफिशल स्वीटनर्स (Artificial Sweeteners) से बने होते हैं। इन्हें बनाने वाली कंपनियां ये दावा बढ़चढ़ कर करती हैं कि उनका प्रॉडक्ट डायबिटीज के रोगियों के लिए हानिकारक नहीं है और मरीजों की सेहत को ध्यान में रखकर ही बनाया गया है।
क्या है हकीकत?
इन गोलियों या ऐसे पदार्थों का रोजाना सेवन करने वाले टाइप-1 डायबिटीज वाले 15-20 साल के रोगियों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिला है। इनमें गुस्सा, नींद कम आना जैसे लक्षण दिखे तो इसी श्रेणी के 26 साल के रोगियों में पेट दर्द, जी घबराना और उलटी जैसे लक्षण दिखे। खास बात ये है कि इन गोलियों का सेवन बंद करते ही सारे लक्षण गायब हो गए।”
डॉ. ए.के. झिंगन, चेयरमैन, दिल्ली डायबिटीज रिसर्च सेंटर
डॉ. ए.के. झिंगन के मुताबिक दूसरी उम्र के रोगियों पर की गई स्टडी में नतीजे और भी हैरान करने वाले आए। इन्होंने सिर दर्द, बदन दर्द, जोड़ों में दर्द, यादाश्त में कमी और चक्कर आने की शिकायत की। इस स्टडी से सहमत डॉ. मानव अग्रवाल कहते हैं कि ऐसी ज्यादातर ड्रिंक्स में जो एस्पार्टम (aspartame) होता है वह एस्पार्टिक एसिड, फिनाइल एलानाइन और मेथनॉल से बना होता है। इसके रेग्युलर इस्तेमाल से इस तरह के लक्षण उभरने तय हैं।
बताया गया कि मार्केट में मिलने वाले शुगर फ्री चुइंगगम, जूस से बने पदार्थ, सॉफ्ट ड्रिंक्स, इंस्टेंट चाय-कॉफी, डाइट कोल्ड ड्रिंक्स, डाइट जूस और जैम में इस तरह के आर्टिफिशल स्वीटनर्स होते हैं। डॉ. झिंगन कहते हैं, “ऐसी चीजें खाने या पीने वालों को मानसिक तनाव भी होता है। डायबिटीज के रोगियों के अलावा हाई ब्लडप्रेशर, पार्किन्सोनिज्म और मानसिक बीमारियों के शिकार लोगों को इसके नियमित सेवन से जरूर बचना चाहिए। यही नहीं, गर्भवती महिलाओं औऱ बच्चों को तो इससे ज्यादा नुकसान होने का अंदेशा रहता है।”