हार्ट अटैक के मामलों में पीरियड्स हैं महिलाओं का ‘सुरक्षा चक्र’

Healthy Hindustan
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Heart Attack
क्यों खास है महिलाओं का दिल?

दुनियाभर में हार्ट अटैक (Heart Attack) से पुरुषों की तुलना में महिलाओं की कम मौत होती है। भारत में भी यही ट्रेंड है। ऐसा वैज्ञानिक तौर पर यह साबित होने के बावजूद है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का दिल (Heart) कमजोर होता है। यही नहीं, तथ्य ये भी कहते हैं कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ज्यादा तनाव से गुजरना पड़ता है।

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडीज 2020 के मुताबिक भारत में  हार्ट की बीमारी से एक लाख लोगों में 272 लोगों की जान जाती है। साल 2020 में भारत में हार्ट की बीमारियों की वजह से 26 लाख लोगों की मौत हुई। मरने वालों में 14 लाख पुरुषों की तुलना में 11 लाख महिलाएं थीं।

पुरुषों से अलग होते हैं मह‍िलाओं का दिल (Male Vs Female Heart Size)

डॉक्टरों का कहना है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के हार्ट का आकार छोटा होता है। हार्ट के चार चैंबर होते हैं और इन्हें चार हिस्सों में बांटने वाली दीवारें भी पतली होती हैं। इस वजह से उन्हें पुरुषों की तुलना में हार्ट अटैक या हार्ट से जुड़ी बीमारियों का ख़तरा भी पुरुषों से ज्यादा होता है।

स्ट्रेस में अलग तरीके से काम करता है महिलाओं का दिल

महिलाओं का हार्ट अपेक्षाकृत कमजोर होने और तनाव ज्यादा होने के बावजूद हार्ट अटैक का जोखिम पुरुषों की तुलना में कम है तो इसकी कुछ खास वजहें हैं। डॉक्टरों के मुताबिक बनावट में अंतर के चलते महिलाओं का दिल पुरुषों के दिल से ज्यादा तेज पंपिंग करता है। हालांकि इसके बावजूद हर बार 10 फीसदी कम ब्लड बाहर निकलता है। जब महिलाएं स्ट्रेस में होती हैं तो उनकी हार्ट बीट बढ़ जाती है और दिल ज्यादा मात्रा में खून पंप करने लगता है। लेकिन जब पुरुष तनाव में होते हैं, तब उनके दिल की धमनियां सिकुड़ जाती हैं और ब्लड प्रेशर तेज हो जाता है, जिससे पुरुषों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

पीरियड्स देते हैं सुरक्षा चक्र (Periods Impact on Heart)

मां बनने की उम्र और पीरिड्स के दौरान महिलाओं को हार्ट अटैक का खतरा दूसरों के मुकाबले कम रहता है। असल में जब तक पीरियड्स होते हैं, महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन नाम के दो हार्मोन्स का लेवल ठीक रहता है। एस्ट्रोजन ब्लड वेसेल्स (रक्त वाहिकाओं) को चिकना बनाता है जिससे खून का प्रवाह ठीक रहता है। साथ ही खून के मुक्त कणों को सोखता है ताकि हार्ट की धमनियों को नुकसान न पहुंचे। मेनोपॉज (पीरियड्स बंद होने) की स्थिति आने से पहले तक एस्ट्रोजन लेवल महिलाओं को हार्ट की बीमारियों से बहुत हद तक बचाता है। जब महिलाएं 50 की उम्र पार कर जाती हैं तब उनके शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल गिर जाता है ज‍िससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

ये भी पढ़ें- सुबह के वक्त हार्ट अटैक क्यों हो सकता है जानलेवा?

महिलाओं में हार्ट अटैक की वजह (Reasons of Heart Attack in Women)

जॉन हॉप्किंस की रिपोर्ट के मुताबिक जो महिलाएं बर्थ कंट्रोल पिल्स का सेवन अधिक करती हैं, उनमें दिल या पैरों में रक्त का थक्का बनने का खतरा ज्यादा होता है। इससे हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट से जुड़ी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए हाई ब्लड प्रेशर या थक्के की समस्या वालों को डॉक्टर बर्थ कंट्रोल पिल्स लेने से बचने की सलाह देते हैं। इसके अलावा हाई कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान और सेंडेंटरी लाइफस्टाइल के कारण भी महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा हो सकता है। महिलाओं में आम तौर पर ये खतरा 60 की उम्र के बाद बढ़ जाता है।

मह‍िलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण (Heart Attack Symptoms)

महिलाओं में हार्ट अटैक से पहले कुछ लक्षण जरूर उभरते हैं, जिनकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। डॉक्टरों के मुताबिक गर्दन, जबड़े, कंधे, पीठ के ऊपरी भाग में या पेट में असहज महसूस करना, सांस लेने में तकलीफ, एक या दोनों बांहों में दर्द, मतली या उल्टी, पसीना आना, चक्कर आना, असामान्य थकान, बदहजमी ऐसे लक्षण हैं ज‍िसकी वजह से मह‍िलाओं को तुरंत अलर्ट हो जाना चाह‍िए। कई मामलों में हार्ट अटैक से पहले स्तन में दर्द होने की शिकायतें भी मिलीं।

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