Heart Care : नाजुक दिल को संभालने के लिए कदमों पर रखिए नजर, छू भी नहीं पाएंगी हार्ट को बीमारियां!

Healthy Hindustan
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Courtesy : Freepik

बदले खान-पान और लाइफस्टाइल ने भले ही हार्ट (दिल) (Heart) के लिए खतरा बढ़ा दिया है, लेकिन इसे संभाल कर रखना इतना भी मुश्किल नहीं। बस समझदारी भरे चंद कदम और दिल बन जाएगा बुलेटप्रूफ।ये न तो कोरी गप्पबाजी है और न ही किस्सागोई। ये कई नामचीन संस्थानों के रिसर्च का रिजल्ट है।
हार्ट को सेहतमंद बनाने की चिंता अगर दुनियाभर के विशेषज्ञों को है और वो इसे बुलेटप्रूफ बनाने के लिए दिन-रात दिमाग खपा रहे हैं, तो ये खतरा बड़ा और बढ़ा है। दिल (Heart) और रक्त धमनियों (blood vessels) की बीमारियों के समूह को कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular Disease) कहा जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी बीमारियों के इस समूह में हार्ट अटैक और स्ट्रोक को सबसे खतरनाक माना है। कोरोनरी आर्टरी डिजीज, अरिदमिया, हार्ट मसल्स की समस्या और हार्ट वाल्व की परेशानी  कमजोर हार्ट के लक्षण माने जाते हैं। छाती में दर्द, छाती में जकड़न, सांस फूलना, गर्दन-जबड़े में दर्द, हाथ-पैर में सुन्नपन या असामान्य धड़कन जैसे लक्षण इन बीमारियों की निशानी हो सकते हैं। 

हार्ट अटैक की आम वजह
मोटापा
धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन
हाई फैट डाइट
डायबिटीज
हाई कॉलेस्ट्रॉल
हाई ब्लड प्रेशर


हार्ट अटैक से मौत के मामले में भारत को इसकी राजधानी माना जाता है। अमेरिका के एक रिसर्च जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक 2015 तक भारत में 6 करोड़ 20 लाख लोगों को दिल से जुड़ी बीमारी हुई। इनमें 2 करोड़ 30 लाख लोग 40 साल से कम उम्र के हैं। साइंस जर्नल ने 1990 से 2016 तक जो आंकड़े जुटाए वो 2018 में सामने आया। इसमें बताया गया कि 1990 में भारत में होने वाली कुल मौतों में 15.2% की वजह दिल से जुड़ी बीमारियां थीं। साल 2016 में ये आंकड़ा बढ़ कर 28.1% हो गया। चिंता की बात यह है कि भारत में हार्ट अटैक से मरने वाले 10 में 4 की उम्र 50 साल से कम है। बीते 10 साल में भारत में हार्ट अटैक से होने वाली मौतें करीब 75 प्रतिशत बढ़ गई हैं। संयुक्त राष्ट्र ने इसकी बड़ी वजह हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को माना। ज्यादातर भारतीयों में नियमित रूप से एक्सरसाइज नहीं करने का चलन इन बीमारियों की बड़ी वजह है जो अंत में हार्ट अटैक तक पहुंच जाता है।

चिंता की बात यह है कि भारत में हार्ट अटैक से मरने वाले 10 में 4 की उम्र 50 साल से कम है। बीते 10 साल में भारत में हार्ट अटैक से होने वाली मौतें करीब 75 प्रतिशत बढ़ गई हैं। संयुक्त राष्ट्र ने इसकी बड़ी वजह हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को माना। ज्यादातर भारतीयों में नियमित रूप से एक्सरसाइज नहीं करने का चलन इन बीमारियों की बड़ी वजह है जो अंत में हार्ट अटैक तक पहुंच जाता है। 

हार्ट अटैक के लक्षण
सांस लेने में परेशानी
जल्दी थकान महसूस होना
बार बार बेहोश होना
हार्ट का तेजी से धड़कना
सीने में जलन और दर्द
सिर घूमना
पेट और सीने में एक साथ दर्द


सवाल उठता है कि हार्ट अटैक से बचने का क्या कोई आसान तरीका है? सवाल ये भी है कि ऐसा क्या किया जाए कि हार्ट अटैक का रिस्क बेहद कम हो जाए? अमेरिका की मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी ने इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए माथापच्ची की। मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी ने अपनी स्टडी में पाया कि 60 से ज्यादा उम्र के लोग अगर प्रतिदिन 6,000 से 9,000 कदम चलते हैं तो उनके हृदय रोगों का खतरा 50 प्रतिशत कम हो जाता है।

मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी ने अपने अध्ययन में अमेरिका और 42 दूसरे देशों के 20,000 से ज्यादा लोगों के डेटा का विश्लेषण किया। इसमें पाया गया कि 2,000 कदम चलने वालों की तुलना में रोजाना 6,000 से 9,000 कदम चलने वालों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक सहित हृदय रोग का जोखिम 40 से 50 प्रतिशत कम था। खास बात यह है कि 6,000 से 9,000 कदम चलने का फॉर्मूला युवाओं की तुलना में अधेड़ उम्र के लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद पाया गया।

ऐसे नतीजे देने वाली मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी की स्टडी इकलौती नहीं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन जर्नल पर छपी रिसर्च बताती है कि रोजाना पर्याप्त कदम चलने (Walking Benefits) से दिल को परेशान करने वाली कई बीमारियों से बचाव होता है। इसका सबसे बड़ा फायदा 60 साल से बुजुर्ग लोगों को मिलता है। पैदल चलने से बुढ़ापे में होने वाले हार्ट अटैक व स्ट्रोक से बचाव किया जा सकता है। मेडिकल न्यूज टुडे के मुताबिक, दिल को हेल्दी रखने के लिए हर दिन कम से कम 6000 कदम चलना जरूरी है। छह हजार या उससे ज्यादा कदम चलने से बुजुर्ग लोगों के साथ वयस्कों को भी दिल की बीमारी से दूर रखा जा सकता है। हालांकि, स्टडी रोजाना 10,000 कदम तक चलने को ज्यादा फायदेमंद मानती है।

मेडिकल न्यूज टुडे के मुताबिक 6,000 कदम के बाद आप जितनी बार 1000 कदम ज्यादा चलेंगे, आपको उतना ज्यादा फायदा मिलेगा। जो लोग दिनभर में सिर्फ 2-3 हजार कदम चलते हैं, उन्हें 6 हजार या उससे ज्यादा कदम चलकर बड़ा रिजल्ट देखने को मिल सकता है।

पैदल चलने के फायदे
तेजी से कैलोरी बर्न होकर पतले बनते हैं
ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है
हड्डियों के जोड़ मजबूत रहते हैं
इम्यून सिस्टम सही काम करता है
हमेशा एनर्जी बनी रहती है
मूड अच्छा रहता है


लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जिन्हें पैदल चलने की आदत नहीं, क्या वो दिल को सेहतमंद बनाने के लिए पहले दिन से 10,000 कदम चलने लगें? इसका जवाब है नहीं। पहले ही दिन से इतने कदम चलने की जरूरत नहीं है। समय के साथ धीरे धीरे कदमों की संख्या बढ़ाएं। पहले एक हफ्ते तक रोजाना 500 कदम चलें। फिर हर हफ्ते 500 कदम बढ़ाएं और ऐसे करते-करते टारगेट तक पहुंचे।
जानकारों का मानना है कि एक दिन में 6,000 से ज्यादा कदम चलने से मांसपेशियों में इंसुलिन रेजिस्टेंस कम होता है। यह हृदय और रक्त वाहिकाओं को लाभ पहुंचता है। इससे ब्लड प्रेशर और शरीर के वजन को भी काबू में रखने में मदद मिलती है।

बुढ़ापे में पैदल चलने के दूसरे फायदे
बेहतर संतुलन और कम गिरना
कब्ज से बचाव
अधिक मानसिक सतर्कता
डिप्रेशन से बचाव
पॉजिटिव सोच


डिस्क्लेमर- ये सलाह सामान्य जानकारी है और ये किसी इलाज का विकल्प नहीं है।

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