Diabetes है तो रखें पैर का ध्यान, कहीं कटने की नौबत ना आ जाए!

Healthy Hindustan
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डायबिटीज (diabetes) को शरीर का घुन कहा जाता है। कुछ डॉक्टर इसे धीमा जहर भी कहते हैं। इन दो तुलनाओं की एक बड़ी वजह है। जिस शख्स को डायबिटीज हो जाता है उसके शरीर को डायबिटीज उसी घुन की तरह खाने लगता है जैसे लकड़ी को घुन खोखला कर देता है। शरीर में अगर कोई दूसरी बड़ी बीमारी है तो वह डायबिटीज की वजह से बढ़ जाती है या फिर जल्दी ठीक नहीं होती। चूंकि शरीर में पैर एक ऐसा हिस्सा है जिसके जख्मी होने या जिसे लेकर लापरवाही बरतना आम है, इसलिए डायबिटीज के मरीजों को पैर पर खास ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। कुछ और भी अहम वजहें हैं जिसकी वजह से डायबिटीज (diabetes) के मरीजों को पैर की अच्छी तरह देखभाल करने को कहा जाता है। ऐसा नहीं करने पर पैर काटने तक की नौबत आ सकती है।

डायबिटीज होने की वजह पैनक्रियाज का सही मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाना या बिलकुल ही नहीं बना पाना है। डायबिटीज के मरीज में जितना इंसुलिन बनता है कई बार शरीर उसका भी इस्तेमाल नहीं कर पाती। ऐसा होने पर कोशिकाएं (cell) प्रतिक्रियाएं देना बंद कर देती हैं। कोशिकाओं की प्रतिक्रिया नहीं मिलने का मतलब है शरीर पर होने वाले अहसास का दिमाग तक नहीं पहुंचना। इसी की वजह से गंभीर हालात पैदा होते हैं और कई बार यह जानलेवा साबित होता है।
 

डायबिटीज के चलते मरीज के पैरों में आम तौर पर दो तरह की दिक्कतें आती हैं। एक को डायबिटिक न्यूरोपैथी कहा जाता है और दूसरे को पेरीफेरल वस्कुलर डिजीज (पेरीफेरल धमनी रोग)। डायबिटिक न्यूरोपैथी के नाम से ही साफ है कि इसका सीधा असर नसों पर पड़ता है, जिसकी वजह से शरीर को नुकसान हो सकता है। पेरीफेरल वस्कुलर डिजीज शरीर में रक्त के बहाव को प्रभावित करता है। ऐसा होने पर इसके लक्षण पैरों में नजर आने लगते हैं।

डायबिटीज का पैरों पर असर

दर्द, झनझनाहट और पैरों का सुन्नपन– डायबिटिक न्यूरोपैथी में पैरों की नसें डैमेज हो जाती हैं जिससे पैर और हाथ में दर्द और सुन्न पड़ने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। इसके अलावा इससे डाइजेस्टिव सिस्टम (digestive system), यूरिनरी ट्रैक्ट (urinary tract), रक्त कोशिकाओं (blood cells) और हृदय (heart) संबंधित दिक्कतें भी हो सकती हैं। कुछ लोगों में इसके लक्षण हल्के हो सकते हैं और कुछ में उन्हें पीड़ादायक स्थितियों और दर्द से गुजरना पड़ सकता है।

पैर में अल्सर- चूंकि डायबिटीज के मरीजों की कोशिकाएं प्रतिक्रियाएं देना बंद या कम कर देती हैं, इसलिए डायबिटीज के मरीजों के लिए पैरों की समस्या आम है। एक अनुमान के मुताबिक डायबिटीज के करीब 15 फीसदी मरीजों को डायबिटिक फुट अल्सर का सामना करना पड़ता है। डायबिटिक फुट अल्सर आम तौर पर तलवे में होता है, जो एक तरह से खुला घाव होता है। ज्यादातर मामलों में जहां अल्सर होता है वहां की स्किन खराब हो जाती है। चूंकि डायबिटीज के मरीजों का घाव जल्दी नहीं भरता इसलिए नजरअंदाज करने पर कई बार मामला बिगड़ जाता है और शरीर के घाव वाले हिस्से को काटने यानी शरीर से अलग करने की नौबत आ जाती है।

एथलीट फुट–  डायबिटीज के मरीजों में एथलीट फुट यानी पैरों में दाद की समस्या भी आम है। इसकी वजह भी पैर के नसों का डैमेज होना ही है। एथलीट फुट एक तरह का फंगल इंफेक्शन होता है। इस बीमारी में पैरों में खुलजी, रेडनेस और दरार जैसे लक्षण नजर आते हैं। यह एक या दोनों पैरों में हो सकता है।

गांठ बनना या कॉर्न्स और कॉलस– डायबिटीज के मरीजों में गांठ बनने की परेशानी भी आम है। ऐसी परेशानी तब आती है जब किसी जगह की स्किन पर ज्यादा दबाव या रगड़ पड़ती है। ज्यादा दबाव या रगड़ पड़ने से वहां की स्किन सख्त और मोटी होने लगती है और गांठ बन जाता है।

पैर के नाखूनों में फंगल इंफेक्शन– डायबिटीज के मरीजों को फंगल इंफेक्शन का खतरा सबसे ज्यादा होता है और खासकर नाखूनों में होने वाला फंगल इंफेक्शन तो इनके लिए आम है। इसे ऑनिकोमाइकोसिस के नाम से जाना जाता है जो आमतौर पर अंगूठे के नाखून को प्रभावित करता है। इस समस्या के चलते नाखूनों का रंग बदल जाता है। कई बार नाखून बदरंग दिखने लगते हैं और भद्दे होने के साथ ही ये काफी मोटे हो जाते हैं। कुछ मामलों में ऐसे नाखून अपने आप ही टूटने लगते हैं। कई बार नाखून में लगी चोट भी फंगल इंफेक्शन की वजह बनती है।

गैंग्रीन– डायबिटीज के मरीजों के लिए यह बीमारी बहुत ही खतरनाक है। इसकी वजह ब्लड सेल्स का प्रभावित होना है। डायबिटीज की वजह से ब्लड सेल्स प्रभावित होती है तो पैरों की उंगलियों तक खून और ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है या नहीं के बराबर हो पाती है। खून और ऑक्सीजन जहां नहीं पहुंचता है वहां के टिश्यू मर जाते हैं। ऐसा होने पर शरीर के इस हिस्से में क्या हो रहा है यह दिमाग को पता नहीं चल पाता। ऐसे में किसी तरह की चोट या घाव लगने पर मरीज को बहुत देर के बाद इस पर नजर जाती है या इसका पता चल पाता है। ऐसे में जख्म होने पर वहां का घाव नहीं भरता और उस अंग को काट कर शरीर से हटाने की नौबत आ जाती है। गैंग्रीन की वजह से पैरों का कटना आम है।

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