Diabetes के बार में जानिए A टू Z

Healthy Hindustan
6 Min Read


अगर आपको डायबिटीज (diabetes) होने का शक है या आपके परिवार में किसी के डायबिटीज पीड़ित होने का शक है तो हम आपको यहां डायबिटीज के बारे में सब कुछ बता रहे हैं। डायबिटीज क्या है (What is diabetes), कब से है, क्या हैं इसके लक्षण और कैसे इस बीमारी की करें पहचान।

भले ही आजकल के डॉक्टर इसे आज के जमाने की बीमारी बताएं लेकिन सच यही है कि लाइफस्टाइल डिजीज (lifestyle disease) (जीवनशैली से जुड़ी बीमारी) होने के बावजूद यह सबसे पुरानी बीमारियों में से एक है। डायबिटीज का जिक्र मधुमेह के रूप में चरक और सुश्रुत के जमाने से है। यह एक क्रॉनिक डिजीज (Chronic Disease) है, यानी वो बीमारी जो जिंदगी भर या लंबे समय तक रहती है और जिसे ठीक होने में मुश्किलों का सामना करना पड़े।

डायबिटीज का सीधा संबंध पैनक्रियाज (अग्नाशय) से है। जब शरीर का अहम अंग पैनक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन बिलकुल भी नहीं कर पाता या कम मात्रा में कर पाता है तब डायबिटीज की बीमारी का जन्म होता है। शरीर में इंसुलिन का उत्पादन नहीं होने से उस व्यक्ति के खून में ग्लूकोज का स्तर तय मात्रा से ज्यादा या काफी ज्यादा हो जाता है। इसी स्थिति को डायबिटीज कहते हैं। इंसुलिन एक तरह का हार्मोन होत है जो पैनक्रियाज नाम के पाचन ग्रंथि से बनता है। इसका काम भोजन को ऊर्जा में बदलना होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक इस वक्त दुनिया में 422 मिलियन यानी 4220 लाख लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं।

डायबिटीज दो तरह के होते हैं। टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज। टाइप 1 डायबिटीज में पैनक्रियाज बिलकुल भी इंसुलिन नहीं बना पाता है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज में पैनक्रियाज बहुत काम मात्रा में इंसुलिन बनाता है। इन दोनों के अलावा एक और खास तरह की डायबिटीज होती है, जो महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होती है। इसे जेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं। डायबिटीज टाइप-1 में लक्षण जल्दी दिखते है और डायबिटीज टाइप-2 के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते है।

अब बात करते हैं डायबिटीज के लक्षण (symptoms of diabetes) की। डायबिटीज दो तरह के होते हैं तो इन दोनों की पहचान के भी लक्षण भी अलग अलग हैं।


खून में शुगर लेवल ज्यादा होने पर डायबिटीज के शुरुआती लक्षण
• यूरिन का बढ़ना
• प्यास ज्यादा लगना
• भूख का बढ़ना
• वजन कम होना
• घाव या चोट का धीरे बढ़ना
• थकान
• सिरदर्द
• धुंधला दिखना
• रेकर्रेंट संक्रमण (इम्यूनिटी सिस्टम का कमजोर होना)
• प्राइवेट पार्ट में दिक्कत
• दिल की धड़कन तेज

इनमें से एक साथ एक से ज्यादा लक्षण होने पर ये डायबिटीज के शुरुआती लक्षण (symptoms of diabetes) हो सकते हैं और शुरुआत में ही लक्षणों की अनदेखी किए बगैर डॉक्टर की सलाह से इलाज कराने पर इस पर काबू पाया जा सकता है।

खून में शुगर लेवल कम होने पर डायबिटीज के शुरुआती लक्षण

• बेचैनी
• कपकपी
• ज्यादा भूख लगना
• पसीना आना

डायबिटीज के गंभीर (serious) मामलों में लक्षण
• बेहोशी
• दौरा पड़ना
• व्यवहार में बदलाव (डिप्रेशन, एंग्जाइटी और चिड़चिड़ापन)

Courtesy – Freepik


डायबिटीज के इन लक्षणों पर ध्यान नहीं देने वालों पर धीरे धीरे इसका असर (impact of diabetes) भी दिखने लगता है। खून में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ने पर शरीर के कुछ अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसकी अनदेखी करने पर इसके गंभीर नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।

• आँखों पर बुरा प्रभाव- लंबे समय तक खून में ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा होने से आंखों के आकार में बदलाव हो सकता है। इसके अलावा देखने की क्षमता (नजर) में भी कमी आ सकती है।
• डायबिटिक डर्माड्रोम (Diabetic dermadromes)- डायबिटीज होने की वजह से शरीर की इम्यूनिटी क्षमता पर इसका असर पड़ता है जिसकी वजह से स्किन पर रैशेज (चकत्ते) दिखने लगते हैं।
• डायबिटीज कीटोएसिडोसिस- डायबिटीज की वजह से शरीर का मेटाबोलिक प्रॉसेस गड़बड़ा जाता है जिसके कारण उलटी, पेट दर्द, घबराहट, गहरी सांस और बेहोशी जैसी हालत हो जाती है।
• पेरीफेरल डायबिटिक न्यूरोपैथी- खून में ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा होने पर नसों को भी नुकसान पहुंचता है, और ऐसा होने पर मरीज को लगता है कि उसके पैरों में सुई चुभ रही है। यानी पैरों में एक अलग तरह की झनझनाहट होती है और चलने में दिक्कत आने लगती है।
• डायबिटिक रेटिनोपैथी- डायबिटीज के कारण आँख पर बुरा प्रभाव पड़ता है। रेटिना के अंदर स्थित ब्लड वेसल को डैमेज कर देता है, जिसके कारण ब्लाइंडनेस भी हो सकता है।
• मानसिक स्वास्थ्य– शरीर में खून के लेवल में असंतुलन से मानसिक संतुलन भी बिगड़ जाता है। इससे डिप्रेशन, एंग्जाइटी और चिड़चिड़ापन होने लगता है।

डायबिटीज खराब जीवन शैली की वजह से होने वाली बीमारी के साथ ही आनुवांशिक (heredity) यानी वंशानुगत बीमारी भी है। यानी ये परिवार में किसी को होने पर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को होने का रिस्क रहता ही है। लेकिन जीवनशैली (lifestyle) में बदलाव कर और तंदरुस्ती के रास्ते पर चल कर इसे टाला जा सकता है।

Follow

Subscribe to notifications

Most Viewed Posts

Share this Article
Leave a comment
चमकती स्किन के लिए क्या खाएं किस तरह के तेल से करें मसाज ? क्या है निगेटिव कैलोरी फूड ऑयल मसाज ब्लॉकेज हटा कर ब्लड सर्कुलेशन ठीक करता है पांच बैक्टीरिया जो हर साल भारत में लाखों लोगों की लेते हैं जान
adbanner