• वैदिक भारत में चरक संहिता ने आहार और सेहत के रिश्ते के बारे में बताया गया है
• चरक संहिता में ‘विरुद्ध आहार’ को सेहत के लिए हानिकारक बताया गया • विरुद्ध आहार से नपुंसकता, स्किन, पेट और हड्डियों से जुड़ी बीमारियों का खतरा
• चरक संहिता आयुर्वेद (Ayurveda) का सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ है
हमारा खान पान कैसा होना चाहिए, किस तरह का आहार हमें सेहतमंद यानी तंदरुस्त और बीमारियों से दूर रखता है, इसके बारे में दुनिया को सबसे पहले भारत ने बताया। वैदिक भारत में चरक संहिता में इस बात का खास तौर पर जिक्र है कि हमारा आहार-विहार कैसा हो। हजारों साल पहले चरक संहिता में जिस तरह के खान-पान का जिक्र है, उसे आज भी जानकार बिलकुल सटीक पाते हैं।
भारत के प्रसिद्ध हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव ने लोगों को हंसाने के लिए एक विदेशी शख्स का जिक्र इस तरह किया था कि जब उसे एक गांव वाले ने देखा तो उसके गोरे रंग को देखकर अचंभित रह गया। हैरान ग्रामीण ने अपने साथी को बताया कि शायद इसने दूध के साथ मछली खाने की गलती की, इसलिए यह आदमी इतना गोरा हो गया। भले ही यह बात हंसाने के लिए कही गई लेकिन आयुर्वेद के चरक संहिता में सफेद दाग सहित कई बीमारियों के लिए विरुद्ध आहार को जिम्मेदार ठहराया गया है।
विरुद्ध आहार’ से किन बीमारियों का खतरा?
• नपुंसकता
• मोटापा
• दुबलापन
• बहुत लंबा होना (गिगेनटिज्म)
• नाटापन (ड्वार्फिज्म)
• बालों का झड़ना (गंजापन)
• बालों का ज्यादा उगना
• स्किन का कालापन
• सफेद दाग
• जरूरत से ज्यादा गोरापन
• खून की कमी (एनिमिया)
• जोड़ों में दर्द और सूजन (रूमैटाइड आर्थराइटिस)
• बिना चोट के सूजन होना
• कम उम्र में नजर का कमजोर होना
• पेट में पानी भर जाना
• पेट फूलना
• पेट में दर्द
• पेट में जलन और खट्टी डकार
• कब्ज
• दस्त
• स्किन पर फफोले
• भगंदर (फिस्टुला)
• गले में खराश
क्या है ‘विरुद्ध आहार’?
आयुर्वेद की चरक संहिता में कुछ खान-पान के साथ मिलावट की मनाही है। आयुर्वेद में दिन, पहर के हिसाब से खान-पान तय है। चरक संहिता में कुछ खास महीनों में कुछ खास चीजों को खाने की मनाही है। इसकी अनदेखी कर जो खान-पान हो, वह विरुद्ध आहार है। खाने-पीने की दो चीजें जब अलग-अलग खाई जाती हैं तो इससे शरीर को नुकसान नहीं पहुंचता, लेकिन जब दो चीजों को मिलाकर खाएं तो उनमें से कई सेहत का सत्यानाश कर देते हैं। क्योंकि इनके योग से बनी चीज कई बार सेहत के अनुकूल नहीं होतीं। विरुद्ध आहार को आयुर्वेद में कुछ गंभीर बीमारियों की वजह बताया गया है।
किन चीजों को आपस में न मिलाएं?
• दूध और मछली
• दूध और खट्टी चीजें
• दूध और फल
• दूध और समा या जंगली चावल
• दूध और कुलथी दाल
• दूध और उड़द दाल
• दूध और सेम की फली
• दूध और नमक
• दही और केला
• दही और गरम चीजें
• कढ़ी और खीर
• मूली और उड़द की दाल
• मूली के पत्ते और मक्खन
• शराब और दूध
• शराब और खिचड़ी
• शराब और खीर
• नया अनाज और पुराना अनाज
• कच्चा भोजन और पक्का भोजन
• लस्सी और केला
• दूध और चाय पत्ती
इसी तरह आयुर्वेद में रात को दही और जौ का सत्तू खाने की मनाही है। कई चीजें ऐसी हैं जो गलत आदतों की वजह से ज्यादातर घरों में सामान्य है। इन्हीं में एक है बासी खाने को गर्म कर खाना और दूसरा चाय पीना। आयुर्वेद में चाय को पित्त बढ़ाने वाला माना जाता है। चाय का विकल्प ब्लैक टी, ग्रीन टी या लेमन टी हो सकता है, जिनमें दूध का इस्तेमाल नहीं होता। आयुर्वेद के मुताबिक विरुद्ध आहार वात, पित्त और कफ को असंतुलित करते हैं। वात, पित्त और कफ ही हमारे शरीर को सेहतमंद और बीमार बनाने के लिए जिम्मेदार होता है। सेहतमंद रहने का मंत्र इसी में छुपा है।
आयुर्वेद में किसके लिए क्या ‘विरुद्ध आहार’?
• वात : ठंडा खाना, दाल, हरी पत्तेदार सब्जियां, सरसों का साग, बासी खाना
• पित्त : इमली, दही, खमीर वाली चीजें जैसे इडली, डोसा, अचार, शराब
• कफ : चावल, बर्फ, ठंडे पदार्थ, मीठा भोजन, तेल या घी में तली चीजें
आयुर्वेद के विशेषज्ञों के साथ ही दूसरी चिकित्सा विधियों के जानकारों का भी दावा है कि विरुद्ध आहार से बच कर बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है। यही नहीं, जो बीमारी की चपेट मे हैं और किसी भी चिकित्सा विधि से इलाज करा रहे हैं, अगर ऐसे मरीज विरुद्ध आहार से बचें तो वो उन पर दवाइयों का असर भी ज्यादा होता है। ऐसे मरीज जल्दी सेहतमंद होते हैं।