शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए
चुभती-जलती गर्मी (Heat) (summer) को बयां करने का ये अंदाज महज दो पंक्तियों में भारत के बड़े हिस्से में खासकर मैदानी हिस्से में अप्रैल से जून तक बिलकुल सटीक बैठता है। जगह जगह 45 डिग्री को भी पार करने वाला पारा नाजुक शरीर को ऐसे तचाता है कि इंसान को बेसुध होकर गिरते या बीमार पड़ते देर नहीं लगती। इसकी बड़ी वजह है हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) यानी लू, जिसे सन स्ट्रोक भी कहा जाता है। गर्म हवा के थपेड़े कई बार जान को जोखिम में डाल देते हैं। पारा के 45 डिग्री के पार करते ही हीट स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।
जब लंबे समय तक धूप में या ज्यादा तापमान (temperatute)में काम करने या रहने की नौबत आती है तो इंसान का शरीर अपने तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता है। लू लगने पर शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है और पसीना आना भी बंद हो जाता है। इससे शरीर की गर्मी निकल नहीं पाती है। ऐसे में शरीर में मिनरल्स (minerals) खासकर सोडियम (sodium) यानी नमक और पानी की कमी हो जाती है। ऐसे में शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है यानी पानी की कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति को हीट एग्जॉशन कहा जाता है।
डॉ. रमेश दत्ता, सीनियर फीजिशियन
हीट स्ट्रोक (Heat Stroke)में शरीर खुद को ठंडा नहीं कर पाता है और 10 से 15 मिनट में बॉडी टेंप्रेचर 105 डिग्री फॉरेनहाइट हो जाता है, जिससे सेंट्रल नर्वस सिस्टम (Central nervous system) में दिक्कत शुरू हो जाती है। समय रहते इसका इलाज नहीं करने पर ये जानलेवा साबित हो सकता है। हीट एग्जॉशन का खतरा बुजुर्ग, हाई ब्लड प्रेशर के मरीज और गर्मी-धूप में रहने वाले लोगों को ज्यादा होता है। हीट स्ट्रोक से पहले हीट एग्जॉशन के लक्षण दिखते हैं।
हीट एग्जॉशन के लक्षण
सिरदर्द
जी मिचलाना
सिर घूमना
कमजोरी
चिड़चिड़ापन
प्यास लगना
अत्यधिक पसीना निकलना
शरीर का तापमान ज्यादा होना
पेशाब कम निकलना
ज्यादा देर तक धूप या गर्म हवा में रहने वालों में हीट एग्जॉशन के लक्षण दिखे तो उन्हें फौरन छांव में चले जाना चाहिए। छांव में जाने के बाद ऐसे लक्षण वालों को नॉर्मल से थोड़ा ठंडा पानी पिलाना चाहिए। शरीर का तापमान सामान्य होने तक उन्हें किसी तरह का काम नहीं करना चाहिए।
ज्यादा देर तक धूप या गर्म हवा में रहने वालों में हीट एग्जॉशन के लक्षण दिखे तो उन्हें फौरन छांव में चले जाना चाहिए। छांव में जाने के बाद ऐसे लक्षण वालों को नॉर्मल से थोड़ा ठंडा पानी पिलाना चाहिए। शरीर का तापमान सामान्य होने तक उन्हें किसी तरह का काम नहीं करना चाहिए।
हीट स्ट्रोक के लक्षण
उलटी और मतली
जी मिचलाना
तेज बुखार
लूज मोशन
स्किन का सूखना या गर्म होना
स्किन का लाल होना
कंफ्यूजन
साफ ना बोल पाना
शरीर बहुत ज्यादा गर्म होना
बहुत पसीना आना
मांसपेशियों में ऐंठन
धड़कन तेज होना
दौरे
हीट स्ट्रोक की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें। थोड़ी-सी लापरवाही जान पर भारी भी पड़ सकती है। हीट स्ट्रोक मस्तिष्क (brain), लीवर, किडनी, हृदय, फेफड़े आदि जैसे आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
हीट स्ट्रोक आने पर क्या करें?
मरीज को ठंडे और धूप से दूर जगह पर ले जाएं
संभव हो तो बर्फ के पानी से नहलाएं
स्किन (त्वचा) को गीला करें
स्किन पर ठंडा गीला कपड़े रखें
मरीज के आसपास हवा रखें
सिर, गर्दन, बगल और जांघ पर गीला कपड़ा रखें
हीट स्ट्रोक के केस में जल्दी इलाज शुरू होने पर गर्मी से थकावट के लक्षण आमतौर पर 30 मिनट या उससे कम समय तक ही रहते हैं। पूरी तरह से ठीक होने में 24 से 48 घंटे तक का समय लग सकता है। इस दौरान खूब पानी पीना चाहिए और अगर आप गर्मी से होने वाली थकावट से पीड़ित हैं तो आराम करने और ठीक होने के लिए एक ठंडी जगह खोजें।
हीट स्ट्रोक से बचने के उपाय
जितना संभव हो धूप में जाने से बचें
धूप में छाते का उपयोग करें
ज्यादा से ज्यादा पानी या जूस पीयें
ढीले व हल्के रंग के कपड़े पहनें
शराब और कैफीन से बचें
हीट स्ट्रोक से बचने के उपाय
जितना संभव हो धूप में जाने से बचें
धूप में छाते का उपयोग करें
ज्यादा से ज्यादा पानी या जूस पीयें
ढीले व हल्के रंग के कपड़े पहनें
शराब और कैफीन से बचें
(Photo Courtesy: freepik)
लू लगने पर घरेलू इलाज
आम पन्ना, नींबू-पानी, टमाटर, तरबूज, खीरा, ककड़ी का सेवन करें
छाछ-लच्छी भी लू लगने पर फायदेमंद होता है
प्याज को कच्चा या भूनकर खाना भी फायदेमंद है
नारियल पानी पीने से शरीर को मिनरल्स मिलते हैं
इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी पूरी करने के लिए नमक-चीनी का घोल भी पी सकते हैं
आयुर्वेद में लू लगने पर सेब का सिरका पीने की सलाह दी जाती है
बेल का शरबत भी लू से बचाने में मददगार है
डिस्क्लेमर- ये सलाह सामान्य जानकारी है और ये किसी इलाज का विकल्प नहीं है।