नमक और शरीर का संबंध रिस्क का है। नमक कम तो खतरा, नमक ज्यादा तो भी गड़बड़। नमक, यानी सोडियम का प्रमुख स्रोत। सेहतमंद शरीर के लिए जिन पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है उसमें सोडियम भी प्रमुख है। ये सच है कि शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ जाने से शरीर में सूजन आ जाती है, ब्लड प्रेशर हाई रहता है और दिल से जुड़ी बीमारियां होती हैं। लेकिन सोडियम का स्तर कम होने से भी कम आफत नहीं आती। सोडियम की कमी से दिल और दिमाग के कामकाज पर असर पड़ता है। जिन लोगों में सोडियम की कमी होती है उन्हें हाइपोनेट्रेमिया (Hyponatremia) नाम की बीमारी हो सकती है। सोडियम की कमी से कमजोरी, आंतों में रुकावट,पायरिया, हैजा होने का खतरा रहता है।
हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. बिकास सिंह कहते हैं,
शरीर की कोशिकाएं ठीक से काम करें, शरीर में मौजूद फ्लूइड्स और इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस्डं रहें और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहे, ये सभी काम सोडियम की वजह से ही मुमकिन है। एक वयस्क व्यक्ति में सोडियम का स्तर 135 से 145 mEq/L के बीच होना चाहिए। सोडियम ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करने का काम करता है। साथ ही सोडियम मांसपेशियों को सही तरह से काम करने के लिए भी बूस्टल करता है। इन सबके लिए जरूरी है कि शरीर में सोडियम की मात्रा कम न हो।”
डॉ. बिकास सिंह, तीरथराम अस्पताल, दिल्ली
डॉ. सिंह इसे आसान भाषा में समझाते हैं। वह कहते हैं कि अगर आपके शरीर में द्रव्य (Fluid)की मात्रा कम हो जाएगी, तो शरीर का हर अंग अपना पानी खो देगा। इतना ही नहीं खून में भी तरल पदार्थ की जो मात्रा होती है वो सोडियम के लेवल से जुड़ा हुआ होता है। ये द्रव्य हार्ट (heatr), लिवर (liver) और किडनी (kidney) के स्वास्थ्य (health) के लिए भी बेहद जरूरी है और इसके लिए शरीर में सोडियम का संतुलित होना जरूरी है।
शरीर में सोडियम कम होने के लक्षण
• जी मिचलना और उलटियां होना
• सिरदर्द होना
• मतिभ्रम हो जाना
• थकान, गला सूखना, शरीर की उर्जा घट जाना
• चिड़चिड़ापन
• बेचैनी
• मांसपेशियों का कमजोर होना, क्रैम्प आना
• कोमा
• स्ट्रोक
लो ब्ल्ड प्रेशर होने पर नमक के पानी का घोल या इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक देने की यही वजह है। दरअसल, नमक जिसमें सोडियम होता है वो हमारे द्रव्य के स्तर को संतुलित करने में मदद करता है। हमारी नसों को फैलने में मदद करता है और एक तरह से खून की आवाजाही को स्मूद रखता है। ये हमारी मांसपेशियों को सिकुड़ने और आराम करने में सक्षम बनाता है, जिससे ब्लड प्रेशर सही रहता है और संतुलित रहता है। सोडियम शरीर के चारों ओर तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) (Nervous System) के ट्रांसमिशन को सक्षम बनाता है।
खून में सोडियम का स्तर बहुत कम होने से बॉडी में पॉजिटिव इलेक्ट्रॉन्स की भी कमी आ जाती है। इससे दिमाग सही तरीके से कनेक्ट नहीं कर पाता। ऐसा होने पर मरीज सही तरीके से चल नहीं पाता। उसके लड़खड़ाने और गिरने का खतरा बना रहता है। दरअसल, मसल्स और सेल्स इलेक्ट्रिकल कंरेंट पास करते हैं जिसके लिए शरीर में फ्लूड की मात्रा और पॉजिटिव इलेक्ट्रॉन्स सही होनी चाहिए।
ये ब्लड में इलेक्ट्रिकल चार्ज को कंट्रोल करने में मदद करता है। साथ ही ये मसल्स में इलेक्ट्रिकल कंट्रक्शन को स्टीमूलेट करने में भी मददगार है। यही नहीं, शरीर में सोडियम की मात्रा में कमी होने से भूलने की बीमारी हो जाती है। कई बार मरीज को यही याद नहीं रहता कि वो कहां है और किन हालात में है। कई बार मरीज लोगों को पहचान तक नहीं पाते और कई बरस पीछे के दौर में चले जाना और बहकी बहकी बातें करना आम लक्षण की तरह उभर आता है।
सोडियम कम होने की कुछ वजहें
• कुछ मेडिकेशन की वजह से भी कई बार शरीर में सोडियम की कमी हो सकती है
• दिल संबंधी बीमारी, किडनी या फिर लिवर से जुड़ी समस्याएं होने पर भी शरीर में सोडियम की कमी हो सकती है
• शरीर में जब बहुत अधिक मात्रा में एंटी-डाईयूरेटिक हार्मोन (Anti-Diuretic Hormone) बनने लगता है इस वजह से भी ये समस्या हो सकती है
• डायरिया होने, लगातार उल्टियां होने की वजह से डिहाइड्रेशन हो जाता है. इस वजह से भी शरीर में सोडियम की कमी हो जाती है
• जरूरत से ज्यादा मात्रा में पानी पीने की वजह से भी शरीर में सोडियम कम हो सकता है
• शरीर में हार्मोनल चेंजेस होने की वजह से भी कई बार सोडियम लो हो जाता है

सोडियम मांसपेशियों (मसल्स) के फंक्शन को बेहतर बनान में भी मदद करता है। ये मांसपेशियों के अंदर कैल्शियम आयनों को ट्रिगर करने के लिए संदेश भेजता है और मसल्स के काम काज में मदद करता है। ये कैल्शियम आयन मांसपेशी फाइबर में फैल जाते हैं। मांसपेशियों की कोशिकाओं के भीतर प्रोटीन की बनावट के बीच संबंध बदल जाता है, जिससे संकुचन होता है।
दरअसल, नसें मांसपेशियों की कोशिकाओं को सिकुड़ने के लिए कहती हैं। आराम की स्थिति में, सोडियम अंदर की तुलना में मांसपेशियों की कोशिकाओं के बाहर ज्यादा होता है और पोटेशियम बाहर की तुलना में अंदर अधिक होता है। तो, दोनों मिल कर मसल्स कांट्रेक्शन में मदद करते हैं।
एक दिन में कितना नमक खाना सही है?
• जन्म से 6 महीने के शिशु के लिए 0.12 ग्राम
• 9 से 13 साल के बच्चे के लिए 1.5 ग्राम
• 14 से 18 साल के पुरुष को 1.5 ग्राम
• 14 से 18 साल की महिला को 1.5 ग्राम
• 19 से 50 साल के पुरुष को 1.5 ग्राम
• 19 से 50 साल की महिला को 1.5 ग्राम
• गर्भवती महिलाओं को 1.5 ग्राम
• स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 1.5 ग्राम
सोडियम की गंभीर कमी कई बार मरीज को कोमा में डाल देता है। कोमा से दिमाग में सूजन आ जाती है और इसका असर याददाश्त पर पड़ता है और दिमाग कमजोर हो जाता है। इससे हमेशा सिर दर्द रहता है, मन में अक्सर उलझन रहती है और थकान महसूस होती है। चिड़चिड़ापन और भूलने की बीमारी भी पैदा हो जाती है। सोडियम की कमी से पेट खराब होने के साथ मतली, उल्टी और पेट दर्द भी होता है। कई बार मरीज बेहोश भी हो जाता है।
सोडियम की कमी का इलाज
• गंभीर हालत में हाइली कॉन्सेंट्रेटेड इंट्रावेनस सोडियम (3% सेलाइन) देने की जरूरत
• जरूरत से ज्यादा पानी पी रहे हों तो पानी की खपत में कमी लाना
• डाइयुरेटिक्स (हाई ब्लड प्रेशर) दवाओं की खुराक को डॉक्टर की सलाह से एडजस्ट करना
• डॉक्टर की सलाह से खाने में नमक की मात्रा बढ़ाना
• सोडियम सोलूशन को इंट्रावेनस द्वारा लगाना
डिस्क्लेमर- ये सलाह सामान्य जानकारी है और ये किसी इलाज का विकल्प नहीं है।