सेहत खराब होने पर आप दवाई खाते हैं, लेकिन ये असर नहीं करती तो हो सकता है कि आप डॉक्टर को कोसने लगें। कई बार आप मामूली बीमारी को ठीक करने के लिए दवा लेते हैं, लेकिन सेहत में सुधार नहीं होने पर उसकी क्वालिटी पर शक करने लगते हैं। बहुत मुमकिन है कि दोनों ही नताजों पर पहुंचने की आपकी वजह गलत हो। क्योंकि एक नई रिसर्च में पाया गया है कि सही तरीके से दवाई नहीं खाने से ये अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं करती, यानी कम असरदार साबित होती है।
बीते कुछ वक्त में दवा के असर को लेकर कई स्टडीज की गई। इन स्टडीज के नतीजों के आधार पर दवा खाने का तरीका भी सुझाया गया। बताया गया कि सुझाए गए तरीके पर अमल कर दवाई के प्रभाव का बेहतर असर हो सकता है।
सवाल उठता है कि दवा कैसे खाएं? परंपरागत तरीका तो यही है कि पानी या दूध के साथ सामान्य रूप से दवा गटकी जाती है। मान लिया जाता है कि दवा के पेट में पहुंचते ही इसका असर शुरू हो जाता है। अब कई जेहन में ये सवाल उठेगा कि आखिर बेहतर नतीजे के लिए दवा कैसे खाएं? बैठकर, लेटकर या खड़े होकर? फीजिक्स ऑफ फ्ल्यूड्स (Physics of Fluids) ने जो स्टडी की है उसमें इसका विस्तार से जिक्र है। इस स्टडी के मुताबिक जो लोग लेटकर दवा खाते हैं उन पर दवा का असर जल्दी होता है। स्टडी में सीधे हाथ की करवट, यानि दायीं ओर करवट लेकर लेटने और फिर दवा खाने की सलाह दी गई है।
दायीं करवट लेटकर ही दवा क्यों खाएं?
– गैस (एसिडिटी) जैसी समस्या होने पर बायीं करवट लेटने की सलाह दी जाती है
– इसकी वजह फूड पाइप का ऊपर की तरफ होना और पेट का नीचे की तरफ होना है
– इससे एसिड पलटकर ऊपर की तरफ नहीं जा पाता
– दवा खाते समय दायीं करवट पर लेटने की सलाह दी गई है
– दायीं करवट लेटकर दवा खाने से दवा खून में जाकर जल्दी और आसानी से मिलती है
– इसका संबंध ग्रेविटी से भी बताया गया है
लेकिन जरूर नहीं कि आप लेटकर ही दवा खायें। अगर आप खड़े होकर दवा खाते हैं तो इसके लिए भी एक प्रक्रिया बताई गई है, जो प्रभावकारी है। खड़े होकर दवा खाने के लिए थोड़ा पीछे की ओर झुककर दवा खाने की सलाह दी गई है।
दवा खाने को लेकर न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन ने भी कुछ सुझाव दिए हैं। इस संस्था के सुझाव का आधार भी एक स्टडी है। इस स्टडी के मुताबिक दवा खाते समय चार नियमों का पालन करना जरूरी है।

दवा खाने के चार नियम
1. सही तरीके से दवा खाएं
2. सही समय पर खाएं दवा
3. दवा रखने का तरीका
4. डोज बीच में छोड़ने की गलती
यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन की स्टडी के नतीजे के मुताबिक डॉक्टर जिस तरह दवा खाने की सलाह दें, उसका पूरी तरह पालन करें। अगर डॉक्टर ने दवा खाने का वक्त तय किया है तो इसका ध्यान रखें। सुबह और शाम दवा खाने का मतलब तय अंतराल पर दवा खाने से है। दवा के दो डोज के बीच जितने घंटे का अंतर रखने को कहा जाए, उससे कम या ज्यादा नहीं करें। दवा खाली पेट खाने कहा जाए तो खाली पेट या नाश्ता-खाने के बाद कहा जाए तो उसी तरह खायें।
कई बार दवा को नार्मल टेम्परेचर पर रखने की सलाह दी जाती है तो कई बार फ्रिज में रखने की। इसका जिक्र दवा की शीशी पर भी होता है। लेकिन ये भी ध्यान रखना चाहिए कि हर दवा फ्रीज में रखने के लिए नहीं होती। इसलिए दवा को जैसे स्टोर करने को कहा जाए, जहां जिस तापमान पर रखने को कहा जाए, उसका भी पालन करना चाहिए।
कई बार लोग दवा के डोज को लेकर भी गलती करते हैं। सेहत में सुधार होने के बाद डॉक्टर की सलाह की अनदेखी कर दवाई बंद करने की गलती अक्सर होती है। ये सेहत के साथ खिलवाड़ है। अगर एक हफ्ते की दवा है और इसकी खुराक बीच में ही छोड़ दें, तो बाद में ये शरीर में असर करना बंद कर देती है। एंटीबायोटिक्स के मामले में ऐसा होना आम है। ऐसे में ऐसी दवाओं का कोई असर नहीं होता, जिससे कई बार गंभीर संकट का सामना करना पड़ता है।