IQ Level : पहले हत्या फिर शव के टुकड़े टुकड़े, कैसे कम्प्यूटर की तरह काम करता है आफताब जैसे ‘अपराधियों’ का दिमाग?

Healthy Hindustan
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श्रद्धा वालकर (Shraddha) की गला घोंटकर हत्या। हत्या के बाद आफताब (Aftab) पर 16 दिनों तक शव के टुकड़े टुकड़े करने का आरोप। श्रद्धा के सिर को फ्रिज में खाने-पीने के सामान के साथ रखने और महीनों नियमित रूप से उसके शव के टुकड़े थैले में भरकर जंगलों में फेंकने का दावा। और छह महीने तक इस हत्याकांड की किसी को भनक तक नहीं लगने देना। क्या एक मामूली इंसान ऐसा कर सकता है? क्या कत्ल के बाद सामान्य तरीके से उसी फ्लैट में रहना, रोज दफ्तर जाना, गर्लफ्रेंड को उसी कमरे में लाना और डेटिंग ऐप (dating app) पर नए नए शिकार तलाशना, क्या ये मामूली इंसान कर सकता है? हत्या के बाद पकड़े जाने पर बेखौफ दिखना, पुलिस की पूछताछ में दिए जवाब को पॉलीग्राफ टेस्ट में दुहराना और नार्को टेस्ट में उसे तीसरी बार हूबहू बताना, क्या पुलिस को छकाने वाला ऐसे शातिर का दिमाग आम इंसान जैसा हो सकता है?
बिना दिमाग पर जोर डाले आपका जवाब होगा नहीं। आपने अनुमान के आधार पर जो जवाब दिया, विज्ञान (science) ने अपनी कसौटियों पर कसने के बाद इस पर मुहर लगाई। वैज्ञानिक पैमाने पर इस तरह के अपराधियों के दिमाग को पढ़ने और उसका विश्लेषण करने के बाद जो तथ्य सामने आए, उसमें ऐसे लोगों के दिमाग आम इंसान की तुलना में बेहद तेज पाए गए। खास तौर पर इनका IQ Level आम अपराधियों और आम इंसानों से ज्यादा पाया गया।
आफताब पर अपनी लिवइन पार्टनर की हत्या कर उसके 35 टुकड़े करने के आरोप लगे। इसी तरह सुशील शर्मा पर अपनी पत्नी की हत्या कर उसके शव के टुकड़े टुकड़े करने के बाद तंदूर में जलाने के आरोप लगे। उत्तराखंड में अनुपमा गुलाटी की हत्या के इलजाम में पकड़े गए उसके पति ने भी आफताब की ही तरह हत्याकांड को अंजाम दिया था। इस तरह के अपराध जिसमें बर्बरता से अपनों की हत्या की गई, उसने दूसरों की तरह वैज्ञानिकों को भी झकझोरा। वैज्ञानिक हैरान हो जाते जब उन्हें अपनों की इतनी बर्बरता से हत्या का पता चलता। इसी के बाद वैज्ञानिकों ने पुलिस की तरह इनके दिमाग को पढ़ने की कोशिश की। पुलिस को भले ही हर केस के बाद ऐसे अपराधियों के दिमाग को पढ़ने में समय लगे, लेकिन साइंस ने इसका जवाब तलाश लिया है।
जर्नल ऑफ फॉरेंसिक साइंस में इसी मुद्दे की गई स्टडी का नतीजा छपा है। ये स्टडी उन पर की गई जिनकी आपराधिक पृष्ठभूमि (criminal background) नहीं थी। जिन लोगों ने अपनों की हत्या के बाद उनके शव के टुकड़े टुकड़े कर ठिकाने लगाए, स्टडी में उनके दिमाग को पढ़ा गया। जर्नल ऑफ फॉरेंसिक साइंस में छपी रिसर्च का नतीजा चौंकाने वाला था।

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रिसर्च का नतीजा
• शव के टुकड़े करने वाले आम अपराधी नहीं होते
• यह काम गुस्से या आवेग में नहीं किया गया होता
• यह काम बहुत सोच-समझकर उठाया गया कदम होता है
• ऐसे हत्यारों का दिमाग सामान्य अपराधी से तेज होता है
• ऐसे हत्यारों का IQ Level आम अपराधियों से ज्यादा तेज होता है


जर्नल ऑफ फॉरेंसिक साइंस में छपी स्टडी में हत्या की वजह और हत्या के बाद शव के टुकड़े टुकड़े करने की वजह भी समझने की कोशिश की गई। साल 1995 से 2004 के बीच हुए कत्ल के 591 मामलों को इस स्टडी का हिस्सा बनाया गया, जिनमें कत्ल हुए थे। इनमें 2.2 प्रतिशत यानी 13 मामलों में हत्यारों ने शव के कई टुकड़े किए थे। स्टडी का नतीजा कहता है कि 61.5 प्रतिशत मामलों में शव के टुकड़े करने की वजह डिफेंसिव म्यूटिलेशन था। यानी इतने मामलों में शव के टुकड़े सबूत मिटान के मकसद से किए गए। ऐसे अपराधियों ने यह मान लिया था कि अगर उन्होंने शव के टुकड़े टुकड़े कर ठिकाने लगा दिए और लाश नहीं मिली, तो वह बचने में कामयाब रहेंगे।
जाहिर है, शव के टुकड़े टुकड़े को गुस्सा या आवेग से जोड़ा जाना गलत है और न ही पीड़ित के प्रति नफरत से इस करतूत का कोई नाता निकला। हालांकि इस स्टडी में 15.5 प्रतिशत ऐसे मामले भी निकले जो ऑफेंसिव म्यूटिलेशन के थे। यानी इन मामलों में कातिल ने गुस्से में आकर हत्या के बाद शव को काट डाले। जर्नल ऑफ फॉरेंसिक साइंस में छपी स्टडी के मुताबिक कुछ मामले दिमागी असंतुलन से भी जुड़े निकले। ऐसे मामले साइकॉटिक म्यूटिलेशन कहलाते हैं। करीब 23 प्रतिशत मामले साइकॉटिक म्यूटिलेशन के निकले जिनमें हत्यारे स्कित्जोफ्रेनिया या डिल्यूशन के मरीज थे।

अपनों के बर्बर कातिल
• हर केस में हत्यारे और पीड़ित परिचित थे
• 50% केस में हत्यारा परिवार का सदस्य या लाइफ पार्टरनर था
• कोई भी हत्यारा ह्यूमन एनाटॉमी से जुड़े रोजगार में नहीं था
• इन हत्यारों का औसत IQ लेवल बाकी हत्यारों से ज्यादा था
• सभी हत्यारों को बचपन से ही दिमागी परेशानी थी
• हालांकि सभी का क्लिनिकल डायग्नोसिस नहीं हुआ था


स्टडी का नतीजा साफ साफ कहता है कि शव के टुकड़े टुकड़े करने वाले हत्यारों का IQ लेवल ज्यादा था। यानी ये अपराधी दूसरों से अलग होते हैं।

IQ Level ज्यादा होने का मतलब
• ज्यादा IQ Level वाले हमेशा नई नई बातें जानने के इच्छुक होते हैं
• ऐसे लोगों को तरह तरह की किताबें पढ़ने का बहुत शौक होता है
• ऐसे लोगों के जेहन में हमेशा कुछ न कुछ सवाल होते हैं
• इनके अंदर किसी न किसी चीज को जानने की लालसा रहती है
• ऐसे लोग सवाल पूछने से हिचकिचाते नहीं
• ऐसे लोगों के जवाब में आत्मविश्वास झलकता है
• किसी फैसले पर पहुंचने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार करते हैं
• ऐसे लोग खराब या चुनौतीपूर्ण हालात में भी नहीं घबराते
• चुनौतियां सामने आने पर ऐसे लोग इनका धैर्य से सामना करते हैं


ज्यादा IQ Level वालों की इन खासियत को जानने के बाद अब अगर आफताब के बारे में मिली जानकारियों पर नजर डालें, तो हैरानी नहीं होती। श्रद्धा की हत्या, उसके शव के टुकड़े टुकड़े करने, हत्याकांड को लंबे समय तक छिपाए रखने में उसने जो कुछ किया, वह उसके ज्यादा IQ Level का नतीजा है। गिरफ्तारी के बाद पुलिस का सामना करना, जेल में मनपसंद उपन्यास की मांग करना, शतरंज खेलना और लिवइन पार्टनर की हत्या के बावजूद बच जाने का भरोसा, ऐसा कोई मामूली शख्स नहीं कर सकता।

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