तपती जलती गर्मी के मौसम में राहत के लिए सबसे पहले ठंडे पानी की याद आती है। फिर तो फ्रिज में रखा पानी निकाला और एक ही सांस में गटकते चले गए। फ्रिज का ठंडा पानी भले ही फौरी तौर पर राहत देता है, लेकिन सेहत के लिहाज से देखें तो यह आदत अनजाने में ही कई बीमारियों की वजह बन सकती है।
गर्मियों में ठंडा पानी प्यास ही नहीं बुझाती बल्कि मन को भी भाता है। ज्यादातर लोग फ्रिज का चिल्ड वाटर पीना पसंद करते हैं। अक्सर इस तरह का पानी पेट में जलन, गैस जैसी समस्याओं में राहत देता लगता है और इससे शरीर के साथ साथ दिमाग को भी ठंडक महसूस होती है। लेकिन बड़ा सच यह है कि फ्रिज का ठंडा पानी (चिल्ड वाटर) लंबे समय में स्वास्थ्य (Health) पर बुरा असर डालता है, भले ही तुरंत इसके नुकसान का पता नहीं चल पाए।
सवाल उठता है कि फ्रिज का ठंडा पानी क्यों नुकसान करता है? इसकी वजह है फ्रिज के पानी का गैर कुदरती तरीके से इतना ठंडा कर देना, जिससे सामंजस्य बिठाना शरीर के लिए मुश्किल हो जाता है। साइंस से यह साबित हो चुका है कि हमारा शरीर हर वक्त अपने अंदरुनी तापमान (टेम्परेचर) करीब 37 डिग्री को बनाए रखने की कोशिश में जुटा रहता है। लेकिन जब बाहर का तापमान (एयर कंडीशनर की वजह से) इससे कम हो और ऊपर से फ्रिज का ठंडा पानी भी पी लें तो शरीर इससे तालमेल नहीं बिठा पाता। यही असंतुलन बीमारियों की वजह बनता है।
फ्रिज के ठंडे पानी से नुकसान
मोटापा
खराब पाचन शक्ति
पेट दर्द
कब्ज
गले में खराश
सर्दी-जुकाम
लो हार्ट रेट
सुस्ती
ज्यादा ठंडा पानी पीने पर शरीर टेम्परेचर (तापमान) मैंटेन करने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा खर्च कर इसकी भरपाई करता है। यह वही ऊर्जा है जो पाचक और पोषक तत्वों को अवशोषित करने की प्रक्रिया में उपयोग की जाती है। इसलिए इसका सीधा असर पाचन तंत्र पर पड़ता है। ठंडा पानी शरीर में जमे वसा (फैट) (fat) को और सख्त बना देता है जिससे इसे बर्न करने में दिक्कत होती है। इससे Metabolism Rate घट जाता है और ऐसा होने पर मोटापा बढ़ता है।
बहुत अधिक ठंडा पानी पाचन क्रिया को बाधित करता है जिससे कब्ज, पेट दर्द, जी मिचलाना, पेट फूलना जैसी परेशानी हो सकती है। चूंकि फ्रिज का ठंडा पानी आंतों के सिकुड़ने की वजह बनता है, इसलिए इससे आंत (Intestine) ठीक से काम नहीं कर पाती और कब्ज होता है। इसके अलावा ज्यादा ठंडे पानी से कमजोर इम्यूनिटी वालों को गले में खराश से लेकर सर्दी-जुकाम, खांसी के लक्षण उभर आते हैं। ज्यादा ठंडा पानी ब्रेन फ्रिज की भी वजह बनता है जिससे स्पाइन की सेंसेटिव नसें ठंडी पड़ जाती हैं और साइनस से लेकर सिर दर्द उभर सकता है।

हमारे शरीर में वेगस नर्व (vagus nerve) होती है जो गर्दन से होते हुए हार्ट, लंग्स और डाइजेस्टिव सिस्टम को कंट्रोल करती है। ये नर्व्स ठंडी पड़ती हैं तो हार्ट रेट और पल्स रेट लो हो जाती है। इससे सुस्ती के साथ ही हार्ट से जुड़ी परेशानी होने का अंदेशा बढ़ जाता है। रक्त वाहिकाओं (blood vessels) के सिकुड़ने की वजह से भी हार्ट पर दबाव बढ़ता है और कई बार ये हार्ट अटैक (Heart Attack) की वजह भी बन जाता है। कुछ रिसर्च में तो फ्रिज के ठंडा पानी को घटते शुक्राणुओं (Sperms) के लिए भी जिम्मेदार ठहराया गया है।
विशेषज्ञ हाइड्रेटेड रहने के लिए कम से कम 8-10 गिलास पानी पीने की सलाह देते हैं। गर्मी के मौसम में ठंडा पानी पीने से तुरंत राहत मिलती है, लेकिन आयुर्वेद में ठंडे पानी को सेहत के लिए हानिकारक बताया गया है। खासकर फ्रिज के ठंडे पानी से हर हाल में बचना चाहिए।
धूप से आने के बाद, व्यायाम करने के बाद या खाना खाने के बाद ठंडा पानी पीने से शरीर पर बुरा असर पड़ता है। ‘द कम्प्लीट बुक ऑफ आयुर्वेदिक होम रेमेडीज’ ( The Complete Book Of Ayurvedic Home Remedy) में अनहेल्दी ईटिंग हैबिट्स में खाने के दौरान या खाने के बाद ठंडा पानी पीने को भी रखा गया है।
फ्रिज का पानी पीने की मजबूरी हो तो इस बात का ध्यान रखें कि पानी बहुत ज्यादा ठंडा ना हो। कम मात्रा में और सीमित मात्रा में ही ठंडा पानी पीयें। फ्रिज का पानी पीयें तो इसका तापमान 37 डिग्री से ज्यादा न हो, ये सुनिश्चित करें। आयुर्वेद फ्रिज के बजाय मटके का ठंडा पानी पीने की सलाह देता है। आयुर्वेद का मानना है कि हमारे शरीर में खाने को पचाने और खाने को तोड़ने के लिए पेट में अग्नि पैदा होती है। बहुत ज्यादा मात्रा में ठंडा पानी पी लेने से यह अग्नि शांत हो जाती है जिससे खाना ठीक से नहीं पचता है और इससे जुड़ी परेशानी शुरू हो जाती है। गर्मियों में रूम टेम्परेचर पर रखा पानी पीने की भी सलाह दी जाती है।