बिना लक्षण के कैसे जानें कि आपको डायबिटीज है या नहीं?

Healthy Hindustan
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देश में भले ही हर दूसरे घर में डायबिटीज (diabetes) का एक मरीज हो, लेकिन इसके बावजूद कई लोग बरसों तक इसकी चपेट में रहने के बावजूद नहीं जान पाते कि उन्हें डायबिटीज है। इसमें उनकी कोई गलती नहीं। इसकी बड़ी वजह है उनमें डायबिटीज से जुड़े किसी लक्षण का नहीं दिखना।

एक मीडिया हाउस में काम करने वाली रमिता (बदला नाम) उस समय फ्री हेल्थ चेकअप करने वाली उस टीम से नाराज हो गई जिसने उसके खून की जांच कर तत्काल बता दिया कि वो डायबिटीज की चपेट में हैं। लेकिन बाद में जब एक प्राइवेट लैब में टेस्ट ने उनके डायबिटिक होने की पुष्टि की तो वो हैरान रह गईं।

असल में हिन्दुस्तान में 50 फीसदी ऐसे लोग हैं जिनमें डायबिटीज से जुड़ा कोई लक्षण नजर नहीं आता। एक स्टडी के मुताबिक ऐसे लोग जब किसी और वजह से कोई जांच कराते हैं तब उनके डायबिटीज का शिकार होने का खुलासा होता है। ब्लड शुगर की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर पहले तो उन्हें यकीन नहीं होता लेकिन बाद में उन्हें सच को स्वीकार करना ही पड़ता है। ऐसे में सवाल उठता है कि बिना किसी लक्षण वाले मरीज कैसे खुद को रिस्क ग्रुप में रखें या जांच कराने जाएं।
बिना किसी लक्षण के डायबिटीज का करें पता

Courtesy – Pixels

अमेरिकन डायबिटिक असोसिएशन के गाइडलाइन के मुताबिक उन लोगों को डायबिटीज का स्क्रीनिंग (जांच) जरूर कराना जिनमें सेहत से जुड़े नीचे लिखे रिस्क फैक्टर हों-
• जिन्हें हार्ट की कोई बीमारी हो
• जिन्हें ब्लड प्रेशर (B.P.) की परेशानी हो
• जिनके परिवार में डायबिटीज का इतिहास (family history) रहा हो
• महिला जिसे प्रेगनेंसी के वक़्त डायबिटीज हुआ था (Gestational diabetes)
• लड़की या महिला में पीरियड का अनियमित होना

इन लोगों को 25 साल की उम्र के बाद हर साल कम से कम एक ब र डायबिटीज का टेस्ट कराना चाहिए। जिस इंसान में ये रिस्क फैक्टर नहीं है या कोई भी रिस्क फैक्टर या लक्षण नहीं दिखता है, उन्हें भी 40 साल की उम्र के बाद साल में एक बार ब्लड शुगर की जांच ज़रूर कराना चाहिए।

ये तो हुई वयस्कों की बात। लेकिन बच्चों के मामले में क्या करें? डायबिटीज यूके की मानें तो माता-पिता को बच्चों में इन 4 ‘टी’ को लेकर सतर्क रहना चाहिए और नजर बनाए रखनी चाहिए।
4 T से करें बच्चों में डायबिटीज की पहचान
• टॉइलेट- बच्चे के बार-बार पेशाब करने के लिए बाथरूम जाना, नवजात शिशु का डायपर सामान्य से ज्यादा गीला या भारी रहना या बिस्तर पर पेशाब कर देना।
• थर्स्ट या प्यास- बच्चा सामान्य से ज्यादा पानी या तरल पदार्थों का सेवन कर रहा है लेकिन फिर भी उसकी प्यास नहीं बुझ रही।
• टायर्ड या थकान- बिना ज्यादा खेलकूद किए ही बच्चा सामान्य दिनों से ज्यादा थकान महसूस कर रहा है।
• थिनर यानी पतला होना- अगर अचानक बच्चे का वजन कम होने लगे।

बच्चों में डायबिटीज का डायग्नोसिस * (diagnosis of diabetes in children)*
बच्चे में डायबिटीज की जांच करने के लिए डॉक्टर यूरिन टेस्ट करवाते हैं। यूरिन टेस्ट से यूरिन में शुगर की मात्रा का पता चलता है। इसके अलावा उंगली पर चुभोकर ब्लड टेस्ट के जरिए भी बच्चे के ब्लड ग्लूकोज लेवल की जांच होती है। नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ केयर एंड एक्सिलेंस का सुझाव है कि अगर बच्चे में नीचे लिखे कुछ लक्षण दिखे तो डायबिटीज की जांच जरूर करवाएं।
• परिवार में टाइप 2 डायबिटीज की हिस्ट्री
• बच्चे में मोटापा
• अगर बच्चे में इंसुलिन प्रतिरोध दिखे

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