आपने कई लोगों की जुबानी सुनी होगी कि फलां व्यक्ति पान, बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, गुटखा तो क्या सुपारी का एक कतरा तक मुंह में नहीं लेता था। लेकिन कैंसर की वजह से उसकी मौत हो गई। अब धीरे-धीरे कैंसर की कई वजहों के बारे में खुलासा होने लगा है, जिनमें एक बेहद हैरान करने वाला तथ्य दुनिया के सामने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने रखा है। WHO के मुताबिक कोल्ड ड्रिंक्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक और च्यूइंग गम जैसी चीजों का सेवन करने वालों को कैंसर होने का खतरा है। चूंकि इन चीजों में आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial Sweetener) के रूप में एस्पार्टेम (Aspartame) मिलाए जाते हैं, और एक नए रिसर्च में एस्पार्टेम (Aspartame) को कैंसर होने की वजह बताया गया है, इसलिए इस खतरे को देखते हुए खाद्य पदार्थों में एस्पार्टेम मिलाने पर रोक लग सकत है। एस्पार्टेम सुक्रोज (सामान्य चीनी) से लगभग 200 गुना अधिक मीठा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एजेंसी इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) (IARC) इसे 14 जुलाई को आधिकारिक तौर पर कार्सिनोजेन यानी कैंसरकारक घोषित करेगी। इससे पहले WHO ने वजन नियंत्रण के लिए नॉन शुगर स्वीटनर (NSS) का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी थी। हालांकि IARC ने कहा है कि एस्पार्टेम को संभावित कैंसरकारक घोषित करने का मकसद भ्रम या मुश्किलें पैदा करना नहीं, बल्कि इसके संबंध में और ज्यादा रिसर्च को प्रोत्साहित करना है।
बताया गया कि बीते साल फ्रांस में एक लाख से ज्यादा लोगों पर एस्पार्टेम के इस्तेमाल पर रिसर्च किया गया। इसी में इस बात का खुलासा हुआ कि जो लोग जितना ज्यादा कृत्रिम मीठा लेते हैं, उनमें कैंसर का खतरा उतना ज्यादा बढ़ जाता है। WHO को जिस नतीजे पर पहुंचने में इतना वक्त लग गया, भारत के कई स्वास्थ्य विज्ञानी और जानकार उसका अंदेशा बहुत पहले से जताते रहे हैं।
आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial Sweetener) के खतरे को करीब ढाई दशक पहले ही स्वास्थ्य विज्ञानी डॉ. ए.के. अरुण ने पहचान लिया था। डॉ. अरुण अपने अनुभव के आधार पर दशकों से यह दावा करते रहे हैं कि एस्पार्टेम (Aspartame) जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial Sweetener) न केवल वजन बढ़ाने वाले, हार्ट और डायबिटीज का जोखिम बढ़ाने वाले हैं बल्कि ये कैंसर सहित कुछ और बीमारियों की भी वजह हैं जिसमें तनाव, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा सहित पेट संबंधी कई और बीमारियां हैं। डॉ. अरुण के आकलन पर अब WHO ने मुहर लगा दी है।
इससे उन कंपनियों की पोल खुल गई है जो अब तक तय सीमा में कोल्ड ड्रिंक्स, डायट सोडा, मार्स एक्स्ट्रा च्यूइंग गम को सुरक्षित बताते रहे हैं। हालांकि एक तथ्य यह भी है कि WHO ने अभी ये नहीं बताया है कि एस्पार्टेम युक्त उत्पाद का कितनी मात्रा में सेवन सुरक्षित है। नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ का कोई कितना सेवन कर सकता है, यह सुझाव WHO की एक अलग एक्सपर्ट कमेटी देती है। आमतौर पर यह सुझाव जॉइंट WHO एंड फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन एक्सपर्ट कमेटी ऑन फूड एडिटिव्स (JECFA) देता है।
डॉ. ए.के. अरुण, स्वास्थ्य वैज्ञानिक
एस्पार्टेम (Aspartame) के खतरे को बताने के लिए डॉ. अरुण एक रिसर्च का हवाला देते हैं, जिसके मुताबिक 350 ml की छोटी कोल्ड ड्रिंक्स कैन में भी 10 से 12 चम्मच चीनी घुली होती है। दूसरी ओर, WHO की एक रिपोर्ट कहती है कि दिन में 5-6 चम्मच से ज्यादा चीनी खाना खतरनाक है। यानी कोल्ड ड्रिंक्स की एक छोटी बोतल पीने के बाद आप अपने दो से तीन दिनों की चीनी का कोटा पूरा कर लेते हैं। न्यू हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (HSPH) की एक रिपोर्ट (2015) के मुताबिक हर साल लगभग 2 लाख मौतों के लिए ऐसी ड्रिंक्स सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
जैसा कि कई मामलों में होता रहा है, विकसित देशों की कंपनियां पश्चिमी देशों और अपने मुल्क के लोगों के लिए जो पैमाना अपनाती है, वह भारत के मामले में नहीं होता। कोल्ड ड्रिंक्स के मामले में भी यही हो रहा है। एक और रिपोर्ट के मुताबिक
भारत में बिकने वाले कोल्ड ड्रिंक्स में ब्रिटेन और फ्रांस से तीन गुनी चीनी मिलाई जाती है। एक्सन अगेंस्ट शुगर की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन और फ्रांस में 350 ml की छोटी कोल्ड ड्रिंक की बोतल में 4 चम्मच चीनी होती है जबकि कनाडा में इसी बोतल में 10 चम्मच, भारत में 11 चम्मच और थाईलैंड में 12 चम्मच चीनी मिलाई जाती है।
सवाल उठता है कि अगर भारत में 11 चम्मच चीनी 350 ml की छोटी कोल्ड ड्रिंक की बोतल में मिलाई जाती है तो ये उतनी मीठी क्यों नहीं लगती? क्योंकि आम तौर पर 11 चम्मच चीनी मिलाये जाने पर इतनी मिठास झेल पाना किसी के लिए भी मुश्किल हो जाएगा और इतनी मिठास को छुपाया नहीं जा सकेगा। इसका जवाब डॉ. अरुण देते हैं। वह कहते हैं कि सभी कार्बोनेटेड ड्रिंक्स यानी कोल्ड ड्रिंक्स में फास्फोरिक एसिड मिला होता है। जिसके चलते चीनी की मिठास का पता नहीं चलता। कोल्ड ड्रिंक्स थोड़ी मीठी करने के लिए उसमें बहुत ज्यादा चीनी मिलाने की एक बड़ी वजह यह भी है।
एस्पार्टेम (Aspartame) से जुड़ी WHO की रिपोर्ट के आने के बाद डॉ. अरुण देश के आम लोगों की सेहत को लेकर खबरदार करते हैं। डॉ. अरुण एक रिपोर्ट के हवाले से कहते हैं कि

साल 2016 में प्रति व्यक्ति कोल्ड ड्रिंक की सालाना खपत 44 बोतल थी। जो साल 2021 तक दोगुनी होकर 80 बोतल तक पहुंच गई। भारत के ग्रामीण इलाकों में जिस तरह बेल, आम-पन्ना और दूसरे घरेलू शरबत की जगह कोल्ड ड्रिंक्स ले रहे हैं, उससे भारत में कैंसर और एस्पार्टेम (Aspartame) से जुड़ी दूसरी बीमारियों के बेतहाशा बढ़ने का खतरा है। यह वक्त सेहत के मोर्चे पर कड़े फैसले लेने का है, केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि उन सभी 90 देशों के लिए जहां कोल्ड ड्रिंक्स, च्यूइंग गम और स्नैपल ड्रिंक्स में आर्टिफिशियल स्वीटनर (Artificial Sweetener) का इस्तेमाल होता है।