Male Contraceptive : ऑपरेशन का झंझट ख़त्म, मर्द को लगेगी एक सुई और पूरा होगा परिवार नियोजन का सपना

Healthy Hindustan
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Courtesy : Pexels

बेतहाशा बढ़ती आबादी को काबू में करने की जब भी बात होती तो यह परिवार नियोजन तक पहुंचती और परिवार नियोजन की बात आती तो महिलाओं तक। सबसे ज्यादा सुरक्षित, स्थायी और भरोसेमंद तरीका एक ही- ऑपरेशन। हालांकि पुरुषों के ऑपरेशन के जरिये भी परिवार नियोजन को सफल बनाया जा सकता है। लेकिन बात जब ऑपरेशन तक पहुंचती तो परिवार की महिलाओं को ही यह बीड़ा उठाना पड़ता। लेकिन अब 40 साल की स्टडी और सात साल के क्लिनिकल ट्रायल के बाद परिवार नियोजन का मिनटों में स्थायी हल देने वाला तरीका आ गया है। वह भी मर्द को सुई लगाकर।

पुरुष गर्भनिरोधक पाने का सफर
• टार्गेट- पुरुष गर्भनिरोधक की खोज
• स्टडी में समय- 40 साल
• टेस्ट में समय- सात साल
• वॉलिंटियर- 303 स्वस्थ पुरुष
• वॉलिंटियर्स की उम्र- 25-40 साल
• प्रोसेस- गैर-हार्मोनल इंजेक्शन
• टेस्ट करने वाली संस्था- ICMR
• रिजल्ट- सफल

इस कामयाबी का श्रेय भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) को जाता है, जिसका पहला खास गर्भनिरोधक टेस्ट सफल रहा। खास इस मायने में कि ये पुरुषों के लिए है और गैर हार्मोनल इंजेक्शन के रूप में। इससे पहले महिलाओं के लिए ऑपरेशन के अलावा गर्भनिरोधक गोलियां, कंडोम और सुई का विकल्प था, लेकिन पुरुष इसके दायरे से बाहर थे। पुरुषों के लिए विकल्प नसबंदी और कंडोम तक सीमित थे। स्वास्थ्य के जानकार पुरुषों के लिए स्थायी और आसान गर्भनिरोधक (Male Contraceptive) उपायों की जरूरत लंबे समय से बता रहे थे।

बहुत सोच-विचार के बाद भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने इस चुनौती से निपटने का बीड़ा उठाया। पहली पहल आईआईटी खड़गपुर के डॉ. सुजॉय कुमार गुहा की रही, जिनका इससे संबंधित पहला साइंटिफिक पेपर 1979 में छपा। इसके बाद इसके तीसरे चरण के ट्रायल तक के सफर में चार दशक यानी 40 साल लग गए। इस स्टडी में गैर-हार्मोनल इंजेक्शन वाले पुरुष गर्भनिरोधक RISUG (Reversible Inhibition of Sperm under Guidance) (रिवर्सिबल इनहिबिशन ऑफ स्पर्म अंडर गाइडेंस) की संभावनाओं का विस्तार से जिक्र था और इसे पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी उपाय बताया गया। डॉ. गुहा ने ही इसे विकसित किया। इसके बाद इस पर स्टडी शुरू हुई जिसमें स्पर्म डक्ट से स्पर्म (sperm) (शुक्राणु ) सेल्स के टेस्टिकल (testicle) से पेनिस (penis) तक पहुंचने के व्यवहार का अध्ययन किया गया। 

अस्पताल आधारित स्टडी के लिए जयपुर, नई दिल्ली, उधमपुर, खड़गपुर और लुधियाना के अस्पतालों को चुना गया। करीब 25 से 40 साल तक के सेक्सुअली ऐक्टिव 303 स्वस्थ विवाहित पुरुष वॉलिंटियर्स की पहचान के बाद उन्हें परिवार नियोजन के उपाय के क्लिनिकल ट्रायल में शामिल किया गया। अब अंतरराष्ट्रीय ओपन एक्सेस जर्नल एंड्रोलॉजी में स्टडी के तीसरे चरण के निष्कर्ष को प्रकाशित किया गया है। इसमें बताया गया है कि वॉलिंटियर्स को 60 मिलीग्राम आरआईएसयूजी वाला इंजेक्शन दिया गया। स्टडी में इस इंजेक्शन के काम के तरीके और प्रभाव का विस्तार से जिक्र है।

स्टडी में क्या हुआ?
• RISUG ने 97.3% एजोस्पर्मिया हासिल किया
• एजोस्पर्मिया यानी सीमेन में ऐक्टिव शुक्राणुओं पर रोक
• RISUG को स्पर्म डक्ट में इंजेक्ट किया गया
• हर टेस्टिकल में vas deferens या स्पर्म डक्ट होता है
• इंजेक्शन वाली जगह पर लोकल एनेस्थीसिया दिया गया
• RISUG को स्पर्म डक्ट्स में इंजेक्ट किया गया
• इंजेक्शन से चार्ज्ड पॉलिमर स्पर्म डक्ट की दीवार में चिपक गए
• निगेटिव चार्ज्ड स्पर्म के संपर्क में आकर पॉलिमर ने उन्हें नष्ट किया
• ऐसा होने पर स्पर्म अंडाणु को फर्टिलाइज करने में सक्षम नहीं रहा

इस स्टडी के दौरान पुरुषों के अलावा महिलाओं के सेहत पर पड़ने वाले असर (side effect) पर नज़र रही। जिन पुरुषों को इंजेक्शन लगे उनकी पत्नियों की सेहत की जांच की जाती रही। जांच में इन पुरुषों की पत्नियों पर किसी तरह का साइड इफैक्ट नहीं दिखा। कुछ पुरुषों को पेशाब और जलन से जुड़ी कुछ शुरुआती दिक्कतें आईं, जिन्हें आसानी से ठीक कर दिया गया। अंतिम नतीजे में पाया गया कि RISUG बिना किसी गंभीर साइड इफेक्ट के प्रेग्नेंसी रोकने में 99.02 फीसदी कारगर है।

Male Contraceptive पर ICMR की इस स्टडी के नतीजों को दिल्ली मेडिकल असोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रमेश दत्ता ने अच्छी खबर बताया। डॉ. दत्ता के मुताबिक

स्थायी गर्भनिरोधक अपनाने का मामला लिंगभेद जैसा प्रतीत होता रहा है। इस मामले में ज्यादातर महिलाओं को ही ऑपरेशन कराने को कहा जाता है। बहुत कम पुरुष अपनी जिम्मेदारी समझ कर परिवार नियोजन के लिए नलबंदी कराने आगे आते हैं। लेकिन अब ऑपरेशन का झंझट ख़त्म होने वाला है और एक सुई से मकसद पूरा हो सकता है।

डॉ. रमेश दत्ता, पूर्व अध्यक्ष, दिल्ली मेडिकल असोसिएशन

डॉ. रमेश दत्ता कहते हैं पुरुष गर्भनिरोधक के सुई के रूप में आने से अब परिवार नियोजन का काम पहले से ज्यादा आसान होगा और उम्मीद की जानी चाहिए कि देश की बेहताशा बढ़ती आबादी पर रोक लगाने में इससे बहुत ज्यादा मदद मिलेगी।

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