DMA PROTEST : बहुत हो गया, अब बर्दाश्त नहीं! दिल्ली के एकजुट डॉक्टर गुस्सा जताने के लिए क्यों उतरेंगे सड़कों पर?

Healthy Hindustan
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कभी डॉक्टरों पर हमला तो कभी गाली-गलौच। कभी नर्सिंग होम या अस्पतालों में तोड़फोड़ तो कभी मरीज की मौत के बाद कोट-कचहरी के चक्कर से लेकर मीडिया ट्रायल से गुजरने की नौबत। और जब इनकी शिकायत लेकर सरकार और प्रशासन से गुहार लगाएं तो व्यवस्था का मूक-बधिर बन जाना। यही नहीं, सरकार-प्रशासन की तरफ से भी डॉक्टरों को परेशान करने के तमाम कायदे-कानूनों की दीवार। दिल्ली के डॉक्टरों को लगता है कि वो मुसीबत के चक्रव्यूह में घिरे हैं और इस लड़ाई में उन्हें अभिमन्यू की तरह अकेला छोड़ दिया गया है। इसलिए दिल्ली के डॉक्टरों ने अपनी पीड़ा बताने के लिए ‘राजघाट मार्च’ का फैसला किया है।

दिल्ली के तमाम डॉक्टर 29 अक्टूबर (रविवार) को सुबह सात बजे मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से राजघाट तक पैदल जाएंगे। चूंकि प्रदर्शनकारी डॉक्टर हैं तो प्रदर्शन के इस तरीके को एक पॉजिटिव नाम ‘मेडिकल मैराथन’ (Medical Marathon) दिया गया है। इस प्रदर्शन के जरिये दिल्ली के डॉक्टर केंद्र सरकार, प्रदेश सरकार, नगर निगम और प्रशासन को अपनी ताकत दिखायेंगे। इसमें किसी तरह की कमी न रह जाए इसलिए बीते कुछ दिनों से लगातार ‘चलो राजघाट’ की अपील की जा रही है। दिल्ली के सभी डॉक्टरों से एकजुटता, शक्ति प्रदर्शन और अपने हक के लिए लड़ने की अपील की जा रही है। 

अब सवाल उठता है कि ताकत की इस नुमाइश की जरूरत क्यों? कौन से अधिकार पाने के लिए डॉक्टरों को सड़क पर उतरने की नौबत आ गई? इसका जवाब इस मार्च का नेतृत्व करने वाले दिल्ली मेडिकल असोसिएशन (Delhi Medical Association) (Dma) के अध्यक्ष डॉ. अश्विनी डालमिया देते हैं। डॉ. डालमिया कहते हैं, “दिल्ली के डॉक्टरों का कुनबा सरकार, नौकरशाही, पुलिस, नगर निगम, नेता और गुंडों के षटकोणों (छह कोणों) से घिरा है। इनसे परेशान होकर डॉक्टरों के पास कोर्ट जाने का रास्ता बचता है। लेकिन हर जगह मेडिकल प्रोफेशन को ही कठघरे में खड़ा किया जाता है। डॉक्टरों की कहीं कोई सुनवाई नहीं।” डॉ. डालमिया अपनी बिरादरी की पीड़ा विस्तार से बताते हैं,

“दिक्कत एक नहीं हजार हैं। डॉक्टरों पर हमले से लेकर नर्सिंग होम-अस्पताल में तोड़फोड़ की घटनाएं आम हो गई हैं। नर्सिंग होम के रजिस्ट्रेशन से लेकर कई लाइसेंस और परमिट के झंझटों में इस तरह उलझा दिया गया है कि इसे बिना सिरदर्दी के चलाया ही न जा सके। एमसीडी ने हाउस टैक्स फैक्टर को दो से चार कर दिया। व्यावसायिक बिजली (Commercial Power), Standalone क्लिनिकों में कमर्शियल वाटर चार्ज के दायरे में लाकर बोझ दोगुना कर दिया गया है। पीएनडीटी एक्ट जैसे कई अतार्किक कानून, बायोमेडिकल अपशिष्ट (Biomedical Waste), ठोस अपशिष्ट शुल्क (Solid waste charges) लगाए गए हैं। ”

डीएमए के अध्यक्ष कहते हैं कि प्रदूषण से जुड़ी एजेंसियां हमें परेशान कर रही हैं। साइन बोर्ड का साइज बड़ा बताकर बेवजह नोटिस भेजे जाते हैं और लाखों का जुर्माना ठोका जाता है। फायर एनओसी गले का दर्द बन गई है।

ये तो एक खास तरह की दिक्कत हुई जिससे खुद का अस्पताल या नर्सिंग होम चलाने वालों को जूझना पड़ता है। दिक्कत में वो भी हैं जो व्यवस्था का हिस्सा होकर जनता की सेवा कर रहे हैं। डॉ. डालमिया के मुताबिक एमसीडी के अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिलता। जो बकाया है उसका भुगतान नहीं होता। त्योहारों के दौरान भी उनके घर रौनक नहीं होती। युवा रेजिडेंट डॉक्टरों का आत्म सम्मान रोज चूर-चूर होता है। कामकाज का माहौल खराब होना और तय वक्त से ज्यादा काम करने की समस्या तो बरसों से जस की तस है। एनईईटी परीक्षा से संबंधित समस्याएं और जेनरिक दवाओं का मुद्दा भी हमारे लिए अहम है।

दिल्ली मेडिकल असोसिएशन के मुताबिक जरूरी नहीं कि इस एक प्रदर्शन से उनकी सारी समस्याएं हल हो जाएंगी। लेकिन इतना जरूर होगा कि उनकी परेशानियों और मुद्दों को गंभीरता से लिया जाएगा। एकजुट डॉक्टरों की ताकत की अनदेखी करना किसी सरकार या व्यवस्था के वश की बात नहीं। इसलिए इस एकजुटता में कोई कमी न रह जाए इसके लिए डॉ. अश्विनी डालमिया के साथ ही डॉ. विनय अग्रवाल, डॉ. गिरीश त्यागी, डॉ. आलोक भंडारी, डॉ. अजय बेदी और डॉ. अतुल अरोड़ा ने पूरी ताकत झोंक दी है और दिल्ली के सभी जिलों के असोसिएशन से एकजुट होकर इसमें शामिल होने की अपील की जा रही है।

डॉ. डालमिया कहते हैं,

चूंकि गांधी जी ने हमें सत्य और अहिंसा का रास्ता दिखाया था, इसलिए हमने राजघाट जाने का फैसला किया। उम्मीद है संकट से उबारने के लिए जिस बापू की तरफ दुनिया देखती है, उन्हीं की समाधि राजघाट से निकली आवाज को देश-दिल्ली की व्यवस्था चलाने वाले अनसुनी नहीं करेंगे।

डॉ. अश्विनी डालमिया, अध्यक्ष, दिल्ली मेडिकल असोसिएशन

डीएमए के तमाम पूर्व अध्यक्षों ने भी राजघाट मार्च में सभी डॉक्टरों से शामिल होने की अपील की है।

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