दूध, की तुलना अमृत से की गई है। दूध को संपूर्ण आहार (complete food diet) कहा गया है। दूध को रोगनाशक और जीवनदायिनी कहा गया है। दूध को पवित्र माना गया है। इतने गुणकारी दूध में गाय के दूध की अहमियत विशेष है। विशेष नहीं, बहुत विशेष है। गाय का दूध भगवान की पूजा से लेकर भगवान का रूप कहे जाने वाले बच्चों के पालन-पोषण तक में होता है। वेद, उपनिषद, महाभारत, चरक संहिता, आर्यभिषक्र अष्टांगहृदय, भावप्रकाश निघंटू, दीन-ए-इलाही, आईन-ए-अकबरी, कुरान शरीफ से लेकर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की किताबों और रिसर्च में गाय के दूध की महिमा का बखान है।
सनातन धर्मग्रंथों में तो गाय के दूध की विस्तार से चर्चा है। महाभारत में एक जगह युधिष्ठिर और यक्ष के संवाद का जिक्र है। यक्ष ने धर्मराज से प्रश्न किया, “पृथ्वी पर अमृत कौन-सा है?” धर्मराज ने जवाब दिया, “गाय का दूध।” ऋग्वेद 101/15 में कहा गया है, “माता रुद्राणां दुहिता वसूनांस्वसादित्यानां अमृतस्य नाभि:।” अर्थात- गाय रुद्रों की माता, वसुओं की पुत्री और आदित्यों की भगिनी है और इसकी नाभि में अमृत है।
तो क्या इतने गुणकारी गाय के दूध को मां के दूध के विकल्प के रूप में देखा जा सकता है? बदलते जमाने की तेज रफ्तार दौड़ और प्रतिस्पर्धा में फैशनेबल, फिगर को लेकर फिक्रमंद या कामकाजी महिलाएं अपने दूध के विकल्प के रूप में गाय के दूध को देख सकती हैं। जवाब है- नहीं। ‘Healthy हिन्दुस्तान’ ने आयुर्वेद से लेकर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान (modern medical science) के कई जानकारों से बातकर इसके हर पहलू को समझने की कोशिश की।
दूध निश्चित तौर पर सर्वोत्तम आहार है, संपूर्ण आहार है, पौष्टिक है। लेकिन आयुर्वेद से लेकर मॉडर्न साइंस तक गाय के दूध को मां के दूध का विकल्प तब तक नहीं मानता जब तक कि मां दूध स्तनपान (breastfeeding) कराने में सक्षम हो। आयुर्वेद में गाय, भैंस, बकरी, ऊंटनी, घोड़ी, हथिनी, गधी और स्त्री के के दूध का वर्णन है। इनमें गाय और बकरी के दूध को अधिकर गुणकारी माना गया है, लेकिन मां के दूध को ही सर्वोत्तम कहा गया है।
आयुर्वेद, आधुनिक विज्ञान से लेकर चिकित्सा की तमाम पद्धतियों में एक साल तक के बच्चे के लिए मां के दूध के अलावा बाकी किसी भी चीज पर निर्भरता को ठीक नहीं माना गया है। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जच्चा-बच्चा की सेहत के फायदे को देखते हुए माताओं को दो साल तक शिशुओं को स्तनपान कराने की सलाह दी है। डॉक्टर शिशुओं को 6 महीने तक मां के दूध के अलावा बाहर का पानी तक नहीं पिलाने की सलाह देते हैं।
नवजात को एक साल तक मां का दूध ही क्यों?
• मां का दूध बच्चे के मस्तिष्क को पूरी तरह विकसित करने में मदद करता है
• मां का दूध ठीक तरह से पचता है और बच्चे को कई बीमारियों से बचाता है
• मां के दूध में पोषक तत्वों के अलावा एंटीबॉडी की मौजूदगी इम्यूनिटी बढ़ाती है
• मां का दूध बच्चे के पेट के इंफेक्शन को दूर करता है
• मां के दूध से बच्चे का सही तरीके से शारीरिक विकास होता है और हड्डियां मजबूत होती हैं
• मां का दूध बच्चे के कब्ज, उलटी और दस्त को कम करता है
• मां के दूध से बच्चे की दांतों में कीड़े नहीं लगते
डॉक्टर शिशुओं को 6 महीने तक मां के दूध के अलावा बाहर का पानी तक नहीं पिलाने की सलाह देते हैं।
बच्चे को गाय का दूध कब और कितना पिलायें?
• बच्चे की उम्र एक साल पूरा होने के बाद ही गाय का दूध पिलायें
• बच्चे की कैल्शियम की जरूरतों को पूरा करने के लिए गाय का दूध
• दिन में 16 से 24 औंस यानी 2 से 3 कप गाय का दूध दे सकते हैं
• गाय के 100 मिली दूध में मां के दूध के बराबर करीब 65-70 कैलरी
• एक से दो साल के बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में मददगार
• दो से तीन साल के बच्चे को रोज दो कप दूध या दूध की बनी चीजें जरूर दें
• चार से आठ साल के बच्चे को रोज ढाई कप दूध या दूध की बनी चीजें दें
• नौ साल से बड़े बच्चे को रोज तीन कप दूध या दूध की बनी चीजें दें

बच्चे को गाय का दूध कब और कितना पिलायें?
• बच्चे की उम्र एक साल पूरा होने के बाद ही गाय का दूध पिलायें
• बच्चे की कैल्शियम की जरूरतों को पूरा करने के लिए गाय का दूध
• दिन में 16 से 24 औंस यानी 2 से 3 कप गाय का दूध दे सकते हैं
• गाय के 100 मिली दूध में मां के दूध के बराबर करीब 65-70 कैलरी
• 1 से 2 साल के बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में मददगार
• 2 से 3 साल के बच्चे को रोज 2 कप दूध या दूध की बनी चीजें दें
• 4 से 8 साल के बच्चे को रोज ढाई कप दूध या दूध की बनी चीजें दें
• 9 साल से बड़े बच्चे को रोज 3 कप दूध या दूध की बनी चीजें दें (Photo Courtesy : Pexels)
गाय का दूध Mother Milk का विकल्प क्यों नहीं?
• गाय के दूध में शिशुओं के लिए पर्याप्त आयरन नहीं होता
• मां के दूध की जगह दूसरे दूध से पोषक तत्वों (nutrition) की कमी
• गाय या बाहरी दूध देने से खून में आयरन की कमी (एनीमिया) का खतरा
• मां के दूध की जगह दूसरा दूध बच्चों के लिए सुपाच्य (हजम होने लायक) नहीं
• एक साल का होने के बाद ही बच्चा गाय के दूध को पचाने लायक होता है
• गाय के दूध में प्रोटीन और खनिज ज्यादा होने से शिशु के किडनी पर दबाव पड़ता है
• गाय के दूध का टेक्सचर, स्वाद और तापमान मां के दूध से अलग होता है
• मां के दूध से अलग होने की वजह से कई बच्चे बाहरी दूध नहीं पीते
• कुछ बच्चों को गाय के दूध से एलर्जी भी होती है
• एक साल की उम्र से पहले गाय का दूध पिलाने पर आंतों में खून बहने (intestinal bleeding) का डर
डिस्क्लेमर- ये सलाह सामान्य जानकारी है और ये किसी इलाज का विकल्प नहीं है।