OCD : बीमारी है बात बात पर हाथ धोने की सनक, इलाज नहीं कराने पर पूरे परिवार के लिए साबित होगा सिरदर्द

Healthy Hindustan
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हाथ मिलाने के बाद हाथ धोना। किसी का कुछ छू लिया तो उसके बाद हाथ धोना। दूसरे का बिस्तर, कपड़ा, बच्चा तक छूने के बाद हाथ धोने की छटपटाहट। और इस कमजोरी को कोई भांप न ले, इसके लिए खुद के सफाई प्रेमी या पूजा-पाठ प्रेमी बताने की कोशिश। भले ही ये लक्षण बहुत आम नहीं, लेकिन ऐसे लोग बहुत कम हों, अब ऐसा भी नहीं। अगर आप में या आपके किसी रिश्तेदार में ऐसे लक्षण हैं, तो इसे छुपाने के बजाय मान लीजिए कि आप यह एक मानसिक बीमारी का लक्षण है, जिसका इलाज संभव है। अगर ऐसा नहीं किया तो यह बीमारी पहले आपको आपके बेहद अपनों से अलग करेगी, फिर परिवार से और इसके बाद समाज से। यानी, आप एक बीमारी को छुपाने के चक्कर में खुद को अकेला कर लेंगे और ऐसा करते करते खुद और पूरे परिवार को तनाव के चक्रव्यूह में फंसा देंगे।
सफाई की सनक वाली इस दिमागी यानी मानसिक बीमारी का नाम संक्षेप में OCD (ओसीडी) है और पूरा Obsessive Compulsive Disorder (ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर)। कोरोनावायरस के इस दौर में पहले की तुलना में इस बीमारी के मरीज अचानक बढ़ गए। कई लोगों को वायरस या जर्म का डर हर वक्ते सताने लगा और आप सफाई करने के बावजूद बार-बार हाथ धोने की आदत लग गई। बिना वजह बार बार सफाई की यही आदत ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर है।

जरूरी नहीं है कि इस बीमारी में केवल बार बार हाथ धोने और साफ-सफाई की ही सनक सवार हो। अगर गाड़ी बंद करने के बाद बार बार आप उसके दरवाजे की जांच करने जाते हैं, अगर कमरा बंद करने के बाद बार बार आप ताला लगा है या नहीं देखने जाते हैं, अगर किसी चीज की आप बार बार गिनती करते हैं, तो इस तरह के लक्षण Obsessive Compulsive Disorder के संकेत हो सकते हैं।

मानसिक रोग विशेषज्ञों के मुताबिक OCD में पीड़ित व्यक्ति के मन में एक ही तरह के विचार बार-बार आते हैं। खास बात यह है कि पीड़ित व्यक्ति को यह पता रहता है कि बार-बार एक ही चीज सोचने का कोई मतलब नहीं है, लेकिन इसके बावजूद वह ऐसा करने से खुद को रोक नहीं पाता। आमतौर पर किसी मजबूरी का शिकार लोग इस समस्या की चपेट में आ जाते हैं। यह समस्या ज्यादातर किशोरों या युवाओं में देखने को मिलती है। ज्यादा साफ-सफाई करना, चीजों को गि‍नना, बार-बार हाथ धोना आदि इस समस्या के मुख्य लक्षण हैं।

OCD के लक्षण
• हर वक्त् गंदगी का डर रहना
• बार-बार हाथ धोना
• हर वक्त् डाउट में रहना
• हर वक्त् चीजों को साफ करना
• अनियंत्रित हो जाना या दूसरों को नुकसान पहुंचाने का डर
• नहाने में घंटों लगा देना
• पूरा दिन सफाई में लगे रहना
• हर वक्त सोचते रहना कि कहीं मैं साफ करना भूल तो नहीं गया
• किसी ऐसी जगह लॉक हो जाने का डर जहां बहुत गंदगी है
• भीड़ वाली जगह में जाने से डर
• ऐसी जगहों का सामना करते वक्त हाथ हिलना और बेहोश हो जाना
• मन में बार-बार एक ही विचार आना
• डिप्रेशन या एंग्जाएइटी का शिकार होना
• नींद नहीं आना या नींद कम आना
• खुद के या दूसरों के हर्ट होने को लेकर चिंता में रहना
• बार-बार आंख झपकना या एक जैसा काम बार बार दोहराते रहना
• कदमों या किसी भी चीज को बार बार गिनने की आदत
• हर समय छोटी-छोटी बातों को लेकर चिंतित रहना
• जांच करने के बावजूद दरवाजा खुला रहने या गैस खुली छूटने जैसी चिंता

विशेषज्ञों के मुताबिक इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति आधे से ज्यादा वक्त इन विचारों से लड़ने में ही बर्बाद कर देता है। इंटरनेशनल ओसीडी फाउंडेशन के मुताबिक इसकी तब पराकाष्ठा आ जाती है जब यह सनक में बदल जाता है और फिर पीड़ित मजबूरी के चक्रव्यूह में फंस जाता है, जिसे तोड़ने की वह कल्पना भी नहीं करता। यह बीमारी पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में होती है और इस बीमारी की जद में आने वाला हमेशा लोगों से बचा बचा रहने की कोशिश करता है।

OCD के मरीज हर वक्त डर, तनाव, चिड़चिड़ापन, हताशा और उदासी में जीते हैं। सबसे दिक्कत की बात यह है कि इस बीमारी के चंगुल में फंस चुके लोग यह मानने को तैयार ही नहीं होते कि वह किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं। इनकी जिंदगी पर बीमारी का ऐसा असर पड़ता है कि सफाई की सनक वाले लोग डिटरजेंट से नहाने लगते हैं। ऐसा करने से उनकी स्किन झुलस जाती है। यही नहीं बार बार हाथ पैर धोने से उनकी हाथ और पैरों की उंगलियों पर इसका असर दिखता है। इनमें फंगल इन्फेक्शन हो जाता है।  

इस बीमारी की बड़ी वजह स्ट्रेस को माना गया है। बीमारी के रिस्क फैक्टर में फैमिली हिस्ट्री यानी परिवार में किसी को यह बीमारी होना, दिमाग के कुछ भागों में अंतर होना, डिप्रेशन, चिंता, बचपन में ट्रॉमा या किसी चोट से गुजरना भी हो सकता है।

OCD का इलाज
इसके इलाज में साइको थेरेपी शामिल है जिससे व्यक्ति को मानसिक रूप से काफी अच्छा महसूस करने में मदद मिलती है। कॉग्नेटिव बिहेवियर थेरेपी के जरिये सोच पैटर्न को बदलने की कोशिश होती है।
योग, ध्यान और मसाज जैसी तकनीकों को अपना कर रिलैक्स हुआ जा सकता है। अगर डॉक्टर को स्थिति ज्यादा गंभीर लगती है तो वह दवाई भी दे सकते हैं। ऐसे मामलों में डॉक्टर मरीज की हालत को देखते हुए सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर से जुड़ी दवाइयां दे सकते हैं। इसके अलावा कई बार एंटीसाइकोटिक दवाइयां भी मरीज को दी जाती हैं। कुछ मामलों में न्यूरोमॉड्यूलेशन और TMS जैसी तकनीकों का प्रयोग भी किया जाता है।

डिस्क्लेमर- ये सलाह सामान्य जानकारी है और ये किसी इलाज का विकल्प नहीं है।

Keywords : Obsessive Compulsive Disorder, OCD, Mental Health

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