Thyroid : लाखों महिलाओं की तरह आपकी मां, बहन या बेटी थायराइड की चपेट में तो नहीं? इन लक्षणों से पहचाने और ऐसे बरतें एहतियात

Healthy Hindustan
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Courtesy : Freepik

गले में मौजूद एक ग्रंथि जो होती तो तितली के आकार की है, लेकिन उसमें ‘लोचा’ हुआ नहीं कि हाथों ही नहीं दिमाग के भी तोते उड़ जाते हैं। इस ग्रंथि का नाम है थायराइड (thyroid gland)। तस्वीरों में सुंदर-सी दिखने वाली इस थायराइड ग्रंथि (thyroid gland) में गड़बड़ी महिलाओं के मामले में आम है। लेकिन महिलाओं में ही थायराइड से जुड़ी ज्यादा बीमारी क्यों, ये जानने से पहले जानते हैं कि थायराइड है क्या बला?
थायराइड ग्लैंड (thyroid gland) शरीर से निकलने वाले हार्मोन का नियामक या नियंत्रक (hormone regulator) होता है। थायराइड ग्लैंड का काम हार्मोन को स्रावित करना है जो बॉडी फंक्शन को बदलता और मैनेज करता है। खराब जीवनशैली की वजह से महिलाओं में थायराइड ग्लैंड में गड़बड़ी आम है, जिसकी वजह से हार्मोन असंतुलन हो जाता है। एक आंकड़े के मुताबिक इस असंतुलन की वजह से थायराइड से जुड़ी समस्याओं का सामना दुनिया भर में हर 8 में 1 महिला कर रही है। इससे भी ज्यादा चिंता वाली बात यह है कि 60% महिलाएं जिन्हें थायराइड की समस्या है, वे इस बीमारी के लक्षणों और इसकी वजह को पहचान ही नहीं पातीं।

थायराइड ग्लैंड इंसान के गले के बीचोबीच एक तितली के आकार (butterfly-shaped organ) की ग्रंथि है जो गर्दन में श्वासनली (विंडपाइप) (windpipe) के सामने होती है। थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) के रूप में दो तरह के थायराइड हार्मोन होते हैं। जब हार्मोन के स्तर में अचानक उतार-चढ़ाव होता है, तो खास कर महिलाओं में कई लक्षण दिखते हैं। अत्यधिक थकान, बालों का झड़ना, टाइम से पीरियड न आना, तनाव, बहुत ज्यादा पसीना आना और बार-बार भूख लगना कुछ ऐसे लक्षण हैं जिसे लोग सामान्य मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ये थायराइड के संकेत हो सकते हैं।

थायरॉइड हार्मोन के काम
थायरोक्सिन हार्मोन वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित रखता है
खून में शूगर, कोलेस्ट्रॉल और फोस्फोलिपिड की मात्रा को कम करता है
हड्डियों, मांसपेशियों और मानसिक वृद्धि को नियंत्रित करता है
हृदयगति (heart rate) और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है
महिलाओं में दुग्धस्राव को बढ़ाता है

थायराइड ग्लैंड (thyroid gland) जब जरूरत से ज्यादा या जरूरत से कम थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) बनाने लगता है, तो इस असंतुलन की वजह से बीमारी शुरू होती है। T4 और  T3 के ज्यादा बनने पर हाइपरथायरायडिज्म बीमारी होती है, जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होती है। 

हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण
घबराहट
अनिद्रा
चिड़चिड़ापन
हाथों का कांपना
अधिक पसीना आना
दिल की धड़कन बढ़ना
बालों का पतला होना
बालों का झड़ना
मांसपेशियों में कमजोरी
मांसपेशियों में दर्द रहना
बहुत ज्यादा भूख लगना
वजन का घटना
महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता
ओस्टियोपोरोसिस (हड्डी में कैल्शियम तेजी से खत्म होना)

T4 और T3 के कम बनने पर हाइपोथायरायडिज्म बीमारी होती है, जिसके लक्षण भी सामान्य होते हैं।

हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण
धड़कन धीमी होना
हमेशा थकान
डिप्रेशन
ज्यादा ठंड लगना
वजन बढ़ना
नाखूनों का पतला होकर टूटना
पसीना नहीं आना या कम आना
स्किन में सूखापन और खुजली होना
जोड़ों में दर्द
मांसपेशियों में अकड़न
बालों का अधिक झड़ना
कब्ज रहना
आंखों में सूजन
बार-बार भूलना
सोचने-समझने में असमर्थ
मासिक धर्म में अनियमितता
कोलेस्ट्रॉल बढ़ना

थायराइड के ज्यादा मामले महिलाओं में ही क्यों होते हैं, इस पर मेडिकल साइंस में ज्यादा बातें नहीं की गई हैं। हालांकि दिल्ली मेडिकल असोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल बंसल इस बीमारी के होने की वजह से महिलाओं से इसके रिश्ते को जोड़कर देखते हैं।

परंपरावादी समाज में महिलाओं की जीवनशैली पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है जहां उनके खाने, पीने, नहाने से लेकर सोने तक का टाइम टेबल फिक्स नहीं। ऊपर से परिवार की जिम्मेदारियों की चिंता और पुरुषवादी परिवार में बेवजह डांट और गुस्सा झेलना महिलाओं के थायराइड की चपेट में आने की बड़ी वजह हो सकती है।”

डॉ. अनिल बंसल, पूर्व अध्यक्ष, दिल्ली मेडिकल असोसिएशन

डॉ. बंसल आयोडीनयुक्त नमक को छलावा बताते हैं और कहते हैं कि पैकेटबंद आयोडीन वाला नमक घर तक पहुंचते पहुंचते इतने ऊंचे तापमान से गुजर चुका होता है कि उसमें आयोडीन नाम मात्र का ही बचता है। जो बचता है वो चूल्हे की गर्मी से खत्म हो जाता है। ऐसे में आयोडीन की कमी की वजह से थायराइड की समस्या आम है। इसी तरह कई महिलाएं ज्यादा नमक खाती हैं और खाने में ऊपर से नमक लेने की वजह से दूसरी बीमारियों के साथ ही आयोडीन की अधिकता भी थायराइड से जुड़ी परेशानी की वजह बन जाती है।

थायराइड रोग होने की वजह
अव्यवस्थित लाइफस्टाइल
खाने में आयोडीन कम या ज्यादा
चिंता
वंशानुगत
गलत खानपान
देर रात तक जागना
डिप्रेशन की दवाई
डायबिटीज
सोयाबीन या सोयाबीन से बनी चीजों का ज्यादा इस्तेमाल

डॉ. बंसल के मुताबिक हाइपर और हाइपो (दोनों तरह के) थायरायडिज्म में बांझपन का खतरा बढ़ जाता है। इसकी वजह से महिलाओं को गर्भधारण करने में परेशानी हो सकती है और महिलाएं वक्त से पहले मीनोपॉज का शिकार हो सकती हैं। थायराइड पीड़ित महिलाओं के गर्भ में पलने वाले शिशु में जन्मजात विकृतियों का भी अंदेशा रहता है। इससे गर्भस्थ शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास पर असर पड़ सकता है। यही नहीं, थायराइड रोग में पुरुषों में भी शुक्राणुओं की संख्या घटने का खतरा रहता है।

थायराइड रोग से बचाव के उपाय
रोजाना योग या एक्सरसाइज
खाने में ज्यादा रंगबिरंगी सब्जियां और फल
हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन
पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें
रात को हल्दी का दूध पीना
चिकन, मछली, दाल, फलियां
धूप में बैठना
नारियल तेल से बना खाना खाना
अच्छी नींद

थायराइड रोग में इनसे बचें
स्मोकिंग और शराब
चीनी, चावल, ऑयली फूड
रेड मीट, मसालेदार खाना
गोभी और ब्रोकली से बना सलाद
मैदे से बनी चीजें
चाय और कॉफी
पैक्ड और प्रोसेस्ड फूड
सोया प्रोडक्ट
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