जीवन प्राण है। प्राण वायु में है। और प्राणवायु ऑक्सीजन में। प्राणवायु खत्म तो जीवन खत्म। जब तक सांसों के जरिये ये प्राणवायु शरीर में पहुंचता है, इंसान ही नहीं कोई भी प्राणी जिंदा रहता है। सांस में जितनी ज्यादा ऑक्सीजन, वो सांस उतनी ताकतवर, वो प्राणी उतना ऊर्जावान। सांस लेने में जितनी कम ऑक्सीजन, वो सांस उतनी कमजोर, कम जीवन-ऊर्जा वाली यानी बीमारियों को शरीर में जगह देने वाली। जाहिर है, सांस लेने का सही तरीका ही खुद को सेहतमंद, दीर्घायु (Long Life) और ऊर्जावान बनाने का तरीका है। सही ढंग से ली गई सांस दिल और फेफड़ों को ही नहीं शरीर के हर हिस्से के लिए प्राण लेकर दौड़ती है।
शरीर की हर कोशिका को कितनी आक्सीजन (oxygen) मिलेगी, यह सांस लेने का ढंग तय करता है। सही ढंग से ली गई सांस हमारे शरीर में फैली करीब एक लाख मील लम्बी रक्त वाहिनियों (blood vessels) को प्रभावित करती हैं। बचपन में सांस लेने का तरीका ये तय करता है कि बड़ा होने पर आपका चेहरा कैसा दिखेगा। गलत तरीके से ली गई सांस शरीर और मन दोनों को अस्वस्थ (unhealthy) (बीमार) बनाती है।
सांस और उम्र का रिश्ता किस तरह है, इसे कुछ उदाहरणों से भी समझा जा सकता है। एक इंसान आम तौर पर हर मिनट 12 से 20 बार सांस लेता है। एक कुत्ता हर मिनट 60 बार सांस लेता है। हाथी, कछुआ और सांप हर मिनट दो से तीन बार सांस लेते और छोड़ते हैं। जल्दी जल्दी सांस लेने और छोड़ने के कारण कुत्ता 10 से 12 साल जीता है जबकि कछुआ, हाथी और सांप सौ साल से ज्यादा जीते हैं। जाहिर है, सांस लेना ही नहीं, सही तरीके से लेना सेहतमंद लंबी उम्र के लिए जरूरी है।

ये है सांस लेने का सही तरीका
• जागरूक होकर सांस लें
• नाक से सांस लें
• पेट से सांस लें
• धीमी और गहरी सांस लें
• सांस छोड़ने पर ध्यान दें लेने पर नहीं
सांस जागरूक हुए बिना लेने से यानी लापरवाही में लेने से उथली रहती है और जागरुक होकर यानी इस पर ध्यान देने से गहरी होने लगती है। उथली सांस से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है जिससे शरीर के अंग बीमार पड़ते हैं और दिमाग को कम ऊर्जा पहुंचती है। थकान और चिड़चिड़ापन के रूप में इसके लक्षणों को महसूस कर सकते हैं।
सांस लेने की गड़बड़ी के लक्षण
• मुंह से सांस लेना
• सांस का तेज चलना
• सांस की आवाज आना
• अक्सर नि:श्वास छोड़ना
• गहरी सांस लेकर जम्हाई लेना
• बोलने से पहले गहरी-गहरी सांसें लेना
कुदरत ने नाक को सांस लेने के लिए ही बनाया है। नाक से सांस लेकर ही हम सांस से जुड़े सभी फायदे ले सकते हैं। नाक से सांस लेने पर नाक में मौजूद रोम और म्यूकस अंदर आने वाली हवा को फिल्टर करते हैं और तय करत हैं कि हवा फेफड़ों तक पहुंचे। इस दौरान नाक के अंदर निकलने वाली नाइट्रिक ऑक्साइड रोगाणुओं को मार डालती हैं। इससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता (imunity) बेहतर काम कर पाती है। यह प्रक्रिया सीज़नल फ्लू और एलर्जी से हमें बचाती है। मुंह से सांस लेने पर ये फायदे नहीं मिलते। मुंह से सांस लेने के कई नुकसान हैं।
मुंह से सांस लेने के लक्षण
• मुंह का सूखना
• सोते समय खर्राटे लेना
• नींद का बार-बार खुलना
• सोते समय सांस का बाधित होना
• सुबह उठते समय मुंह का सूखा होना
• सुबह उठने पर नाक का बंद होना
• खांसी और सांस का उखड़ना
सांस लेने का सही तरीका वो है जब आप सांस लें तो पेट फूले और छोड़ें तो पेट अंदर जाए। योग में इसे डायाफ्राम ब्रीदिंग कहते हैं। सही तरीके से सांस नहीं लेने पर हवा छाती के ऊपरी हिस्से से नीचे नहीं जाती और ऐसा होने पर शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है।
पेट से सांस लेने पर सांस लंबी और गहरी होने लगती है। योग का अभ्यास करने वाले सांसों के लिए यही काम करते हैं। लंबी और गहरी सांस का सीधा रिश्ता लंबी उम्र से है। जल्दी-जल्दी सांस लेने वाले खरगोश और कुत्ते कम जीते हैं जबकि धीमी और गहरी सांस लेने वाला हाथी 100 साल और कछुआ 300 साल जीता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सांस लेने से ज्यादा सांस छोड़ने की प्रक्रिया पर ध्यान देना चाहिए। जागरूक होकर सांस लेने पर भी अगर फेफड़े पूरी तरह खाली नहीं हुए तो लंबी सांस लेना मुमकिन नहीं हो पाता। जब फेफड़े खाली ही नहीं होंगे तो सांस भरेंगे कहां? सांस छोड़ने की प्रक्रिया (रेचक) जितनी लंबी होगी सांस लेने की प्रक्रिया (पूरक) भी उतनी ही लंबी होगी। सांस ठीक से नहीं छोड़ने पर फेफड़े पूरी तरह नहीं सिकुड़ते हैं और जब पूरी तरह नहीं सिकुड़ते हैं तो सांस लेने पर पूरी तरह खुलते भी नहीं। यानी गहरी सांस लें तो गहरी सांस छोड़ने का भी अभ्यास करें और इसे आदत में बदल डालें।
सही तरह से सांस लेने के फायदे
• लंबी उम्र
• सेहतमंद शरीर
• ऊर्जावान महसूस करना
• मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता
• अस्थमा की बीमारी से मुक्ति
• तनाव से मुक्ति
• दिल-दिमाग की बीमारियों में फायदेमंद
इंसानों में सौ साल से ज्यादा जीने वालों में ज्यादातर योगी होते हैं। योगी बीमार भी नहीं पड़ते। भगवान बुद्ध और महावीर ने योग की महिमा को समझा तो दुनिया को इसका संदेश दिया। देवराहा बाबा का निधन कितनी साल की उम्र में हुआ किसी को नहीं मालूम। लेकिन योगियों की लंबी उम्र का राज सांसों से जुड़े योगचक्र में है। योगियों से लेकर विज्ञान तक इसे मान चुका है।
Badhiya hai mujhe to malum hi nhi tha.