मौसम बदला नहीं कि आपका मूड बदल गया! आपको पता ही नहीं चला कि क्यों अचानक आपको चिड़चिड़ापन ने घेर लिया और बेवजह आप लोगों से उलझने लगीं! अचानक आपकी माहवारी कष्टकारी हो गई और दर्द ने आपको परेशान करना शुरू कर दिया। अगर ऐसा सर्दियों के शुरू होने के बाद शुरू हुआ है तो इस बदलाव की वजह हम बताते हैं आपको।
किसी भी व्यक्ति की सेहत पर जब खान-पान, आबोहवा और हालात का असर होता है, तो क्या ये संभव है कि उस पर मौसम का या मौसम के बदलाव का कोई असर न हो? बिलकुल नहीं। हर इंसान के शरीर पर उसके काम और उस पहर (time) तक का असर होता है। सर्दियां खासकर कई महिलाओं के लिए मुश्किल भरे दिन लेकर आती है। जो महिलाएं या बच्चियां माहवारी (पीरियड्स) (periods) की दौर से गुजरने लगी हैं या गुजर रही हैं, सर्दियों में उनमें कई की मुश्किलें बढ़ जाती हैं।
महिलाएं, मौसम और मुश्किल
• सर्दियों में कई महिलाओं की ब्लीडिंग नॉर्मल नहीं रहती
• ज्यादातर महिलाएं कम ब्लीडिंग की समस्या से गुजरती हैं
• सर्दियों में माहवारी (periods) के दौरान कई महिलाओं को ज्यादा दर्द होता है
• ठंड के मौसम में कई महिलाएं मूड स्विंग की चपेट में आ जाती हैं
• मौसम में बदलाव के बाद कई महिलाओं को भूख-प्यास भी कम हो जाती है
माहवारी किसी भी महिला के लिए सामान्य प्रक्रिया है और आठ साल के बाद जब कभी भी इसकी शुरुआत हो जाती है तो फिर सामान्य महिलाओं को कम से कम 50 साल की उम्र तक इसके साथ जीने की आदत डालनी पड़ती है। यह ऐसी स्थिति है जो मातृत्व के लिए मिला वरदान है तो शारीरिक कष्ट की वजह भी। माहवारी (periods) के करीब पांच दिनों तक महिलाओं को पेट दर्द और कमर दर्द की परेशानियों से भी जूझना पड़ता है। सर्दियों के मौसम में यह काफी बढ़ जाता है और एक आंकड़े के मुताबिक सर्दियों के मौसम में 10 में से 6 महिलाओं ने इस तरह की शिकायत की। सवाल उठता है कि सर्दियों में ये तकलीफ क्यों बढ़ जाती है?

सर्दियों में ‘पीरियड पेन’ की वजह क्या?
• अंडाशय (overy) की गतिविधि में कमी
• PMS का बिगड़ जाना
• विटामिन D की कमी
• पानी की कम मात्रा
• जंक फूड्स का सेवन
• कसरत (Exercise) में कमी
ओवरी की गतिविधि में कमी : एक स्टडी से यह साबित हो चुका है कि सर्दियों का असर महिलाओं में हार्मोन के स्राव पर पड़ता है, जिससे गर्मियों की तुलना में पीरियड्स (मासिक चक्र, माहवारी) 0.9 दिनों तक बढ़ जाते हैं। चूंकि सर्दी की तुलना में गर्मियों में ओवरी (अंडाशय) की गतिविधि तेज होती है, इसलिए महिलाओं को माहवारी से जुड़ी मुश्किलों से गुजरना पड़ता है।
PMS का बिगड़ जाना : सर्दियों के मौसम में दूसरे लोगों की तरह महिलाओं भी घर के अंदर ज्यादा वक्त बिताती हैं और इन दिनों खान-पान भी बढ़ जाता है। इसका असर माहवारी के चक्र पर पड़ता है। इससे माहवारी में देरी हो सकती है और सिरदर्द, उलटी, सूजन, पेट में दर्द और थकान जैसे लक्षण उभर सकते हैं।
विटामिन D की कमी : सर्दियों के मौसम में शरीर में धूप नहीं लग पाने की वजह से विटामिन D की कमी हो जाती है। माहवारी के दौरान शरीर में प्रोस्टाग्लैंडिन नाम का हार्मोन जैसा एक पदार्थ बनता है, जो महिलाओं में इन खास दिनों में दर्द की वजह है। विटामिन D प्रोस्टाग्लैंडिन को कम करने में मदद करता है, लेकिन सर्दियों में धूप नहीं लगने की वजह से विटामिन D की कमी हो जाती है और दर्द बढ़ जाता है। माहवारी के 5 दिन पहले विटामिन D की 3 लाख यूनिट देने से दर्द नहीं होता। इसके अलावा घर के अंदर ज्यादा समय रहना मूड स्विंग की बड़ी वजह है।
पानी की कम मात्रा : ठंड के मौसम में कई लोग पानी पीना कम कर देते हैं। शरीर में पानी की मात्रा कम होने से पीरियड्स पेन ज्यादा होता है।
जंक फूड्स का सेवन : ठंड के मौसम को खाने-पीने के मौसम के रूप में जाना जाता है और जायकेदार खाने की चाह तले-भुने खाने से लेकर जंक फूड्स तक का शौक बढ़ा देते हैं। पीरियड्स पेन की एक बड़ी वजह यह भी है।
सर्दियों में माहवारी के कष्टकारी दर्द से बचने के कई उपाय हैं। कुछ घरेलू उपाय पर अमल कर आप इस दर्द को कम कर सकते हैं या इससे मुक्ति पा सकते हैं। सर्दियों में माहवारी के दौरान कोशिश करें कि पेट के निचले हिस्से और टांगों व पीठ को गर्माहट दें। इसके लिए हॉट वाटर बैग्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। गर्म कपड़े पहनें और खिली धूप में शरीर में अच्छी तरह धूप लगने दें। शरीर को गर्माहट देने वाली चीजें खायें। खासकर गुड़ और गोंद की बनी चीजें फायदेमंद रहती हैं।
कैसे करें दर्द कम?
• विटामिन D की कमी पूरी करें
• खुली धूप में बैठें
• हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें
• दर्द होने पर हीटिंग पैड या गर्म पानी की बोतल का इस्तेमाल करें
• पीरियड्स शुरू होते ही गर्म पानी पीने की आदत डाल लेना
• भूख नहीं होने के बावजूद कुछ कुछ खाते रहना
• संतुलित आहार लें और वजन कंट्रोल रखें
• खाने में दालचीनी की इस्तेमाल करें
• चलते-फिरते रहें और पानी भी पीते रहें
डिस्क्लेमर– ये सलाह सामान्य जानकारी है और ये किसी इलाज का विकल्प नहीं है।