Breastfeeding : मां हैं तो ‘फिगर’ के चक्कर में मत रखिए कलेजे के टुकड़े को Liquid Gold से दूर

Healthy Hindustan
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कुदरत (nature) का तोहफा (gift) कहिए या ईश्वर का वरदान। एक मां को बच्चे को जन्म देने से लेकर उसके जन्म के बाद ‘अमृतपान’ (breastfeeding) कराने का जो अधिकार मिला है, उसकी तुलना दुनिया में किसी हक, किसी खुशी और किसी निर्माण (creation) से नहीं की जा सकती। मां को अगर ये शक्ति मिली है तो इसके जच्चा-बच्चा के लिए बेहिसाब फायदे भी हैं, जिसकी वैसी ही भरपाई दुनिया की किसी चीज से नहीं हो सकती। लेकिन इसके बावजूद फिगर खराब होने के डर से कई मां अपने बच्चे को स्तनपान (breastfeeding) कराने से हिचकती हैं, डरती हैं और इस हिचक में जरूरत से कम breastfeeding कराती हैं या फिर बाहरी दूध से काम चलाकर बचने की कोशिश करती हैं।
जिस बच्चे को सात महीने गर्भ में रखने के बाद, अपने खून से परवरिश करने के बाद महिलाएं मां बनती हैं, उसके सीने में उतरने वाले दूध को तरल सोना (liquid gold) कहा गया है। दुनियाभर के कई रिसर्च से यह साबित हुआ है कि बच्चे के लिए मां के दूध जैसा कोई विकल्प नहीं और मां की सेहत के लिए breastfeeding सौ रोगों का एक इलाज है।
स्वास्थ्यविज्ञानियों (health scientist) के मुताबिक बच्चे के जन्म के तीन से पांच दिन तक मां की स्तन ग्रंथियां (mammary glands) एक अनोखे प्रकार के दूध का स्राव करती हैं, जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है। नवजात की सेहत के लिए इस दूध से बेहतर कुछ भी नहीं। चूंकि इस दूध का रंग पीला होता है इसलिए इसकी खासियत और रंग को जोड़कर इसे पीला सोना (liquid gold) कहा जाता है। इस गाढ़े दूध में बच्चे के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व (nutrition) और एंटीबॉडी होते हैं। यह बच्चे की बीमारियों से लड़ने की क्षमता को भी बढ़ाता है।

तरल सोना (liquid gold) है मां का दूध

  • जन्म के 3 से 5 दिन तक मां की ग्रंथियों से निकलता है खास दूध
  • इस खास दूध को कोलोस्ट्रम कहा जाता है
  • नवजात की सेहत के लिए इस दूध से बेहतर कुछ नहीं
  • इस दूध का रंग पीला होता है और यह गाढ़ा होता है
  • गुणों की खान है मां का दूध जो बच्चे को फौलादी सेहत देता है

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शुरुआती तीन से पांच दिनों के बाद मां की mammary glands एक दूसरे प्रकार के दूध का स्राव करने लगती हैं, जो कम गाढ़ा और पीला होता है। इस दूध में वसा, चीनी, पानी, प्रोटीन के अलावा जरूरी खनिज (mineral), पोषक तत्व और एंटीबॉडी होते हैं। कई रिसर्च से यह साबित हो चुका है कि मां का दूध बच्चे को पेट, पाचन, एलर्जी, अस्थमा, डायबिटीज, मोटापा, कैंसर, सांस और मूत्र मार्ग के इन्फैक्शन से बचाता है। कुदरत ने मां के दूध के रूप में बच्चों के लिए खास इंतजाम कर रखे हैं। मां के दूध को पचाने, शरीर के विकास और सेहतमंद रखने के लिए उसे absorb करने की क्षमता दी है। इसके लिए बच्चे के शरीर में कई तरह के एंजाइम होते हैं। ये एंजाइम मां के दूध पर सबसे ज्यादा असरदार होते हैं।
मां का दूध बच्चे के लिए तो liquid gold है ही, साथ ही बच्चे को दूध पिलाना मां के लिए भी उतना ही फायदेमंद है। कई अध्ययन (study) ये साबित कर चुके हैं कि breastfeeding मां के डायबिटीज, डिप्रेशन के खतरे को कम करता है। इसके अलावा breastfeeding कराने से ब्रेस्ट कैंसर, ओवरियन कैंसर, यूटेरस का कैंसर, सर्विकल कैंसर और एंटोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को कम करता है। स्तनपान (breastfeeding) के दौरान मां और बच्चा स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट में रहते हैं, जो मां के ऑक्सीटोसिन के स्तर को बढ़ाता है, जिससे मां के दूध की मात्रा और प्रवाह में कमी नहीं होती। और सबसे बड़ी बात ये कि breastfeeding से मां और बच्चे का ऐसा भावनात्मक रिश्ता बनता है, जो अटूट होता है, आखिरी सांस तक रहता है और जिस रिश्ते के सामने दुनिया के बड़े से बड़े रिश्ते बेहद बौने होते हैं। तो फिर मां के दूध को तरल सोना (liquid gold) नहीं अमृत ही मानिए।

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