• हर साल 20 मार्च को World Oral Health Day मनाया जाता है
• Oral Health Day पर Healthy Hindustan के पाठकों को Expert की सलाह
• खराब Oral Health की पहचान और सेहतमंद बनाने का Health Mantra
FDI World Dental Federation ने 20 मार्च को दुनिया भर में ओरल हेल्थ डे (Oral Health Day) के रूप में मनाने का फैसला किया, तो इसकी एक बड़ी वजह है। यह वजह है दुनियाभर में मुंह से संबंधित बीमारियों का बढ़ना, इसे लेकर जागरुकता की कमी और गंभीर होते हालात। आंकड़ों की बात करें तो दुनिया की करीब 45 फीसदी जनता किसी न किसी तरह की मुंह से संबंधित बीमारी की चपेट में है। दुनियाभर में करीब 3.5 अरब लोग ओरल डिजीज से पीड़ित हैं। हर साल इससे जुड़ी बीमारियों की जद में 4 लाख नए मरीज जुड़ते जाते हैं। अगर दुनिया की करीब आधी आबादी को अपनी गिरफ्त में लेने वाली ये बीमारियां घटने के बजाय बढ़ रही हैं तो निश्चित रूप से इसे लेकर जागरुकता में कमी है।
ज्यादातर लोग एक वक्त या दो वक्त ब्रश कर लेने को ही मुंह की सफाई का धर्म और कर्म पूरा मान कर बैठ जाते हैं। लेकिन क्या यह पर्याप्त है? वरिष्ठ दंत चिकित्सक (Senior Dentist) डॉ. सत्येंद्र सिंह कहते हैं, “बिलकुल नहीं।”
सामान्यतया लोग दांतों की सेहत को ही मुंह का सेहत समझने की भूल करते हैं, लेकिन मुंह से जुड़े सभी काम और सभी अंग ओरल हेल्थ (Oral Health) के दायरे में आते हैं। इसमें आपकी सांसों की ताजगी, बोलने की क्षमता और जीभ की देखरेख, मसूड़े आदि सब कुछ शामिल हैं।”
डॉ. सत्येंद्र सिंह, सीनियर डेंटिस्ट, संजीवन अस्पताल, दरियागंज, दिल्ली
मतलब साफ है, मूंह से आने वाली बदबू, टेढ़े-मेढ़े दांत, दांतों की सड़न, मसूड़ों से खून आना, दांतों का टूटना या गिरना, मुंह और जीभ के छाले, ये सब खराब ओरल हेल्थ के सबूत हैं। इनकी ज्यादा दिनों तक अनदेखी भारी पड़ सकती है। मुंह की बीमारियों (Oral Disease) में दातों में कैविटी, मसूड़ों से जुड़ी बीमारी, दांत गिरना, ओरल कैंसर, ओरो-डेंटल ट्रॉमा, नोमा और फटे होंट (Cleft Lip) जैसे बर्थ डिफेक्ट भी शामिल होते हैं।
डॉ. सत्येंद्र भी मानते हैं कि मुंह की बीमारियां (Oral Disease) दुनियाभर में सबसे ज्यादा फैलने वाली गैर संक्रामक (Noncommunicable) बीमारी है। उनके मुताबिक आधुनिक जीवनशैली (Modern Lifestyle) ने इसमें और बढ़ोतरी की है। हर वक्त कुछ कुछ खाते रहने का चलन, मीठा खाने पर जोर, खाने के बाद कुल्ला नहीं करना, सिगरेट-तंबाकू और शराब का सेवन मुंह से जुड़ी बीमारियों की बड़ी वजहें हैं। डॉ. सत्येंद्र कहते हैं कि मुंह की बीमारियों की अनदेखी कई बार दूसरी गंभीर बीमारियों की वजह भी बन जाती हैं।
इसे डॉ. सत्येंद्र सिंह विस्तार से समझाते हैं। वह कहते हैं, “डायबिटीज की एक वजह प्रोग्रेस पेरियोडोटाइटिस है। इसके अलावा मुंह और दांत की कई बीमारियों की वजह मिठाई या दूसरी तरह का मीठा खाद्य पदार्थ डायबिटीज, मोटापे और दांतों की कैविटी की भी बड़ी वजह है। कोल्ड ड्रिंक्स, चिप्स, चॉकलेट और दांतों में चिपकने वाले खाद्य पदार्थ मुंह की सेहत के साथ ही दूसरी कई बीमारियों की वजह हैं, इसे विज्ञान साबित कर चुका है।”
ऐसे करें खराब Oral Health की पहचान
• सांसों की बदबू
• सफेद जीभ
• जीभ पर जख्म
• मसूड़ों से खून आना
• दांतों में सड़न या कैविटी
• दांतों में दर्द
• मुंह में छाले
• मुंह के स्किन में किसी तरह का बदलाव
किन चीजों से करें परहेज
• कार्बोनेटेड ड्रिंक
• कॉफी
• ज्यादा चीनी वाला खान-पान
• शराब
• पान-मसाला
• तंबाकू
• खट्टी कैंडी
• ज्यादा ठंडा या गर्म खाना
ऐसे रखें मुंह को सेहतमंद
• दिन में दो बार ब्रश करने की आदत डालें
• गले में दर्द हो तो गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करें
• फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का प्रयोग करें
• सही तरीके से ब्रश करें (दांतों के ऊपर गोल-गोल घुमाकर)
• दांतों की अंदर से भी सफाई करें
• साल में दो बार डॉक्टर से मुंह की जांच कराएं
दांत और मुंह को सेहतमंद रखने के लिए कुछ घरेलू नुस्खे भी बहुत काम के हैं।
बबूल : बबूल में एंटी-माइक्रोबियल गुण होने की वजह से आयुर्वेद इसे दातून की तरह इस्तेमाल करने की सलाह देता है। एंटी-बैक्टीरियल एजेंट ओरल हेल्थ को बेहतर बनाते हैं।
बरगद की टहनी : बरगद की जड़ कसैली होती हैं, जिससे दातून करने पर दांतों की सफेदी बढ़त है और दांत और मसूड़े सेहतमंद बनते हैं।
तुलसी : तुलसी की सूखी पत्तियों के चूर्ण से दांत साफ करना भी फायदेमंद है। इसके अलावा तुलसी की हरी पत्तियां दांत और मुंह को साफ रखती हैं, दांतों की सफेदी बढ़ाती हैं और इससे पायरिया (मसूड़ों से खून आना) में भी लाभ मिलता है।
नीम : नीम की टहनियों का उपयोग आज भी कई भारतीय टूथब्रश के रूप में करते हैं। नीम के तेल में कसैले और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो सांसों की बदबू को रोकते हैं, दांतों में मौजूद कीटाणुओं को नष्ट करते हैं और कैविटी जैसी गंभीर समस्या का इलाज करते हैं।
डिस्क्लेमर- ये सलाह सामान्य जानकारी है और ये किसी इलाज का विकल्प नहीं है।