डेंगू की चपेट में आए एक पत्रकार इसे लेकर अपना एक अनुभव साझा करते हैं जो मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ (cardiologist) डॉ. के.के. अग्रवाल से जुड़ा है। डेंगू बुखार से टूट चुके पत्रकार इलाज के लिए दिवंगत डॉ. के.के. अग्रवाल के पास पहुंचे तो सभी लक्षणों को सुनने के बाद उन्होंने मरीज को अपना मुंह खोलने के लिए कहा। मरीज जब तक कुछ समझता होम्योपैथी की लिक्विड दवा की अच्छी-खासी मात्रा मुंह के अंदर जा चुकी थी। मरीज को अचानक ऐसा लगा मानो आंख-कान-नाक से धुआं निकलने लगा हो। इसके बाद मरीज ने उन्हें बताया कि भूख नहीं लगती, इसका क्या करूं? तो डॉक्टर अग्रवाल ने जवाब दिया, घर जाकर तब तक लिक्विड ही पीते रहो जब तक कि भूख न लगने लगे। शराब के अलावा अपनी मर्जी का कोई भी लिक्विड पी सकते हो। जाते जाते पपीते के पत्ते और गिलोई का रस पीने की नसीहत देकर उन्हें विदा कर दिया। कुछ ही दिन में मरीज का प्लेटलेट काउंट 50 हजार से एक लाख को पार कर गया।
दिवंगत डॉ. (पद्मश्री) के.के. अग्रवाल से जुड़े इस संस्मरण से यह जाहिर होता है कि आम वायरल बीमारियों सहित डेंगू के इलाज में होम्योपैथी बेहद कारगर है और एलोपैथी से जुड़े डॉक्टर भी अपने करीबी लोगों का इलाज होम्योपैथी की दवा और आयुर्वेदिक नुस्खों से करते हैं। चूंकि डेंगू दुनिया के दूसरे हिस्सों के साथ साथ भारत के भी हर हिस्से में फैल चुका है, इसलिए इस गंभीर बीमारी के लक्षण, बचाव और इलाज के बारे में जानना जरूरी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) (WHO) के मुताबिक हर साल दुनिया भर में 3.9 करोड़ से अधिक लोग डेंगू से प्रभावित होते हैं। WHO के अनुसार करीब पांच लाख लोगों को हर साल डेंगू के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। डेंगू बीमारी दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में फैल चुकी है। नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) (NVBDCP) के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 में भारत में ही डेंगू के 67,000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में डेंगू के एक लाख 88 हजार मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें 325 लोगों की मौत हो गई थी। इसलिए सबसे पहले डेंगू के लक्षणों को जानना जरूरी है ताकि इसकी वक्त पर पहचान हो सके।
डेंगू के लक्षण
• बुखार (104 डिग्री तक या इससे भी ज्यादा)
• सिरदर्द
• मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द
• उलटी
• जी मिचलाना
• आंखों में दर्द
• त्वचा (Skin) पर लाल चकत्ते
• ग्लैंड्स में सूजन

दरअसल, डेंगू एक खास एडिस मच्छर के काटने से होता है, जो आम तौर पर दिन में काटता है। डेंगू की चपेट में आने वाले शख्स को तेज बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, स्किन पर चकत्ते के रूप में लक्षण दिखते हैं। मानव शरीर में डेंगू वायरस दस दिनों से ज्यादा जिंदा नहीं रहता।
स्वास्थ्य वैज्ञानिक और होम्योपैथी के एक्सपर्ट डॉ. ए.के. अरुण कहते हैं,

जब डेंगू का संक्रमण गंभीर रूप ले लेता है, तो डेंगू रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ (DHF) (Dengue Haemorrhagic Fever) होने का खतरा बढ़ जाता है। इसमें भारी रक्तस्राव (Heavy Bleeding), ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट, यहां तक कि पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। डीएचएफ (DHF) को डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue shock syndrome) भी कहा जाता है। ज्यादा गंभीर मामलों में तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती नहीं कराने पर मरीज की जान भी जा सकती है।”
डॉ. ए. के अरुण, एक्सपर्ट, होम्योपैथी
डेंगू बुखार तब गंभीर हो जाता है जब सफेद रक्त कोशिका (WBCs) और प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है। ऐसे में बाहर से प्लेटलेट्स चढ़ाने की नौबत आ जाती है।
प्लेटलेट्स कम होने के लक्षण
• गंभीर पेट दर्द
• लगातार उलटी होना
• मसूड़ों या नाक से खून बहना
• पेशाब, मल या उलटी में खून आना
• स्किन के नीचे ब्लीडिंग (रक्तस्राव) जो चोट जैसा दिखे
• सांस लेने में कठिनाई
• थकान
• चिड़चिड़ापन
• बेचैनी
• आंखों के पीछे के हिस्से में दर्द
शरीर में सामान्य स्थिति में प्लेटलेट काउंट डेढ़ लाख से 4 लाख के बीच होता है। लेकिन डेंगू के मरीज़ों में यह 20,000 से 40,000 तक पहुंच सकती है।
प्लेटलेट्स कम होने की तीन प्रमुख वजहें
• डेंगू शरीर में प्लेटलेट बनाने वाले अस्थि मज्जा (बोन मैरो) (bone marrow) को नुकसान पहुंचाता है
• डेंगू रक्त कोशिकाओं (ब्लड सेल्स) पर असर कर प्लेटलेट्स को नुकसान पहुंचाता है
• डेंगू एंटीबॉडीज़ बनाता है जो प्लेटलेट्स को नष्ट कर सकती हैं
इसलिए डेंगू खतरनाक है, लेकिन सावधानी बरत कर इससे बचा जा सकता है। डेंगू बुखार को रोकने का सबसे अच्छा तरीका खुद को मच्छरों से बचाना है। मच्छरदानी का प्रयोग करें, लंबी बाजू की शर्ट और मोजे में लंबी पैंट पहनें और घर के आसपास मच्छरों को पनपने ही न दें। न जन्मेंगे मच्छर, न होगा डेंगू। लेकिन डेंगू हो गया तो फिर होम्योपैथी की कौन-सी दवा लें? होम्योपैथी के एक्सपर्ट डॉ. ए.के. अरुण डॉक्टर की सलाह के बिना दवा नहीं लेने की चेतावनी देते हैं।
डॉ. अरुण के मुताबिक डेंगू मरीजों के अलग-अलग लक्षणों को देखकर अलग अलग दवाइयां दी जाती हैं। जैसे तेज सिरदर्द, आंखों में दर्द, ऐंठन-अकड़न के साथ सूर्यास्त के बाद जुकाम होने वाले मरीज को यूफोरिटियम परफोली दी जाती है तो पेट में मरोड़, गर्दन में दर्द और सांस लेने में तकलीफ होने पर बेल्लादोन्ना। इसी तरह सर्दी, गले में खराश, खांसी, सिर दर्द, मसूढ़ों में सूजन जैसे लक्षण होने पर नक्स वोमिका कारगर है तो बुखार, मांसपेशियों में दर्द, चिड़चिड़ापन, तेज सिरदर्द, आंखों में दर्द होने पर ब्रायोनिया। छाले या छोटे-छोटे घाव, चकत्ते या फोड़े जैसे कोई भी लक्षण के साथ ही टॉन्सिल में सूजन, छाती में भारीपन और मानसिक थकान होने पर कल्केरिया कार्बोनिका देने का चलन है।
लेकिन ये सभी दवाइयां डॉक्टर अपने अनुभव और मरीज की हालत देखकर तय करते हैं। इसलिए कुछ दवाओं का नाम जानकर खुद डॉक्टर बनने की कोशिश न करें।
डिस्क्लेमर- ये सलाह सामान्य जानकारी है और ये किसी इलाज का विकल्प नहीं है।