Kids Health : दुबला बच्चा देखकर ना कोई आंख दिखाना रे, ऐसा करें तो बेबी होगा हृष्ट-पुष्ट!

Healthy Hindustan
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हर वक्त आपको बच्चे (kids) की सेहत की चिंता खाये जाती है। एक तो दुबला-पतला, ऊपर से खाना खाने में किचकिच। लाख कोशिश कर लें लेकिन क्या मजाल कि उसकी खुराक बढ़ जाए। अगर ऐसी मुसीबत से आप भी जूझ रहे हैं तो ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं। Healthy हिन्दुस्तान ने इन समस्याओं से जूझ रहे मां-बाप की चिंता को दूर करने के लिए विशेषज्ञों से विस्तार से बातचीत कर इसका हल निकालने की कोशिश की है।

अक्सर दुबले बच्चे जल्दी बीमार पड़ते हैं। दूसरे बच्चों की तुलना में उन्हें सर्दी-जुकाम की शिकायत ज्यादा रहती है। चूंकि दुबलापन बुरे स्वास्थ्य और कमजोर शरीर के लक्षण हैं, इसलिए ऐसे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता (बीमारियों से लड़ने की क्षमता) कम होती है। दुबले-पतले बच्चे दस्त की चपेट में आने के बाद गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं। इसलिए इन बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।

वैसे तो टीबी, खसरा से लेकर हृदय रोग (heart disease), लीवर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां बच्चों के दुबलेपन की वजह होती हैं, लेकिन हर दुबलेपन को इससे जोड़कर देखने और डरने की जरूरत नहीं।
शिशु और बाल रोग विशेषज्ञों (child specialist) के मुताबिक एक से दो साल तक की उम्र में बच्चों में तेजी से ग्रोथ होता है। इसी समय उनका दिमाग (brain) भी तेजी से विकास करना शुरू करता है। इस समय ऐसे बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पोषण (Nutrition) (न्यूट्रिशन) की जरूरत होती है। लेकिन कई बच्चे या तो दूध पीने और कुछ भी खाने से कतराते हैं या उन्हें अपने पसंद की चीज ही चाहिए, भले ही उससे सेहत को फायदा हो न हो। इस तरह के बच्चों का ग्रोथ कम हो जाता है और और वो बीमार रहने लगते हैं। इसकी वजह पोषण की कमी यानी न्यूट्रिशनल डिफिशिएंसी (Nutritional deficiency) है।

बच्चों में पोषण की कमी के लक्षण 
• बच्चे में बोलने की शुरुआत में देरी, जिसकी वजह विटामिन बी 12 (Vitamin B 12) की कमी है 
• बच्चे का हाइपर एक्टिव होना, जिसकी वजह फूड में प्रोबायोटिक की कमी और गट हेल्थ खराब होना है 
• रूखी Skin और रूखे बाल, जिसकी वजह फैटी एसिड, विटामिन ए, डी, के, ई की कमी है 
• बार बार सर्दी और जुकाम होना, जिसकी वजह कमजोर इम्यून सिस्टम है 
• भूख नहीं लगना, थकान, कमजोरी; जिसकी वजह आयरन की कमी हो सकती है 

बाल रोग विशेषज्ञ (child specialist) डॉ. रमेश दत्ता इन लक्षणों को गंभीरता से लेने की जरूरत बताते हैं। डॉ. दत्ता के मुताबिक

दुबले-पतले बच्चों के गाल फूले ही रहते हैं। इसलिए बच्चों के मामले में दुबलापन जानने का पैमाना पिचके गाल नहीं हो सकते। उनके शरीर, लंबाई और वजन के अलावा बच्चे के बोलने के तरीके, उनकी एक्टिविटी, स्किन, बाल, मौसमी बीमारियों के अंतराल जैसे लक्षणों से बच्चों की सेहत का पता लगाना मुश्किल नहीं।

डॉ. रमेश दत्ता कहते हैं, “जिन बच्चों का वजन न बढ़ रहा हो, उनकी डाइट में कैलोरी का इनटेक बढ़ाएं। माता-पिता बच्चे को फैट, डेयरी प्रोडक्ट्स, क्रीम या चीज जैसे हाई कैलोरी फूड्स खाने में दे सकते हैं।”

वजन बढ़ाने के नुस्खे
• बच्चे के लिए खाने का रोज के लिए एक समय तय करें 
• रोज समय पर खाना खिलाने से बच्चेो का वजन बढ़ने में भी मदद मिलेगी 
• बच्चाम खेल रहा है तो उसे जबरन लाने के बजाय वहीं हेल्दी स्नैकक्सज खिला दें 
• बहुत कम मात्रा में खाने वाले बच्चों की थाली में खाने की मात्रा नहीं बढ़ायें 
• कम मात्रा में खाने वाले बच्चों के खाने में हाई कैलोरी फूड्स को शामिल करें 
• बच्चे के पसंद के खाने को ही पौष्टिक बनाने की कोशिश करें 
• डॉक्ट र की सलाह से बच्चेक की डाइट में वेट गेन सप्लीयमेंट शामिल करें 

डॉ. दत्ता बच्चों को सेहतमंद बनाने के लिए उन्हें जंक फूड से दूर रखने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि बच्चों को ज्यादा पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और खाने में हरी सब्जियां जरूर देनी चाहिए। ऐसा करने पर बच्चे की सेहत फौरन सुधरने लगेगी।

बच्चों का वजन बढ़ाने के घरेलू तरीके 
• प्रोटीन शेक: दूध, केला, अंडा और ड्राई फ्रूट्स से बना शेक 
• बनाना शेक: दूध, केला और ड्राई फ्रूट्स से बना शेक 
• सब्जियों का जूस: पालक, चुकंदर, लौकी जैसी सब्जियों का जूस 
• मिक्स जूस: संतरे, केला, ब्लूबेरी, बादाम, सोया दूध से बना जूस  
• सुपरफूड्स: केला, डेयरी प्रोडक्ट्स, चिकन, अंडा, ड्राई फ्रूट्स, ओट्स, आलू, खजूर 

डिस्क्लेमर- ये सलाह सामान्य जानकारी है और ये किसी इलाज का विकल्प नहीं है।

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