- समाजसेवियों की मदद से शहरी स्थानीय निकाय तैयार कर रहे ‘सिटीवाइड टास्क फोर्स’
- आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन-शहरी ने तैयार की पहले चरण की रूपरेखा
- कमियां दूर कर बनाया जाएगा हर शौचालय को सुंदर और सुचारु, हर नागरिक बनेगा स्वच्छता का दूत
- वेस्ट टु वेल्थ बैंक बनेंगे प्रेरणास्रोत, हर शौचालय को मिलेगा प्रहरी, पुराने शौचालयों का भी बदलेगा स्वरूप
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA)की ओर से स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के तहत चलाए जा रहे ‘टॉयलेट्स 2.0’ अभियान के पहले चरण ‘पीपल फॉर टॉयलेट्स’ की रूपरेखा तैयार कर ली गई है। पहले चरण में आमजन की भागीदारी से आदर्श सार्वजनिक शौचालयों की मुहिम को जनआंदोलन में परिवर्तित किया जा रहा है। इसमें समाजसेवियों की मदद से शहरी स्थानीय निकाय (ULB) पूरे शहर में ‘सिटीवाइड टास्क फोर्स’तैयार करने में जुट गए हैं। यह टास्क फोर्स सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों की कमियों को दूर कर उन्हें सुंदर और सुचारु बनाने के लिए हर नागरिक को स्वच्छता का दूत बनाएगी। अभियान को मजबूती देने के लिए इस बार ‘वेस्ट टु वेल्थ बैंक’ बनाने की भी योजना है, जो वेस्ट मटीरियल जमा कर उसे राजस्व का स्रोत बनाने के लिए प्रेरित करेगी।इस चरण में हर शौचालय को प्रहरी के रूप में एक जिम्मेदार नागरिक को निगरानी देने की योजना है और पुराने शौचालयों का स्वरूप बदलकर उन्हें इस्तेमाल करने योग्य आदर्श सार्वजनिक या सामुदायिक शौचलय बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
शहरी स्थानीय निकाय और समाजसेवियों की मदद से टास्क फोर्स :पहले चरण में पीपल फॉर टॉयलेट्स थीम के तहत देशभर के हर शहर में स्थानीय निकायों के अधिकारी स्वच्छ और सुरक्षित शौचालयों की व्यवस्था बनाए रखने के लिए जनता को साथ जोड़ेंगे। शहर स्तर पर सिटीवाइड टास्क फोर्स के रूप में जागरूकता पैदा करने, शौचालयों की कमियां पता करने, मरम्मत कार्यों की निगरानी में जनप्रतिनिधियों, सफाई कर्मचारी, आरडब्ल्यूए, मार्केट असोसिएशन, स्मॉल हाउसिंग ग्रुप्स, ट्रेड यूनियंस, वॉलेंटियर्सऔर पूर्व अधिकारियों की मदद ली जाएगी।
शहरी स्थानीय निकाय संचालन और रखरखाव करने वाली एजेंसियों से वर्तमान में शौचालयों में मिलने वाली खामियां दूर कराएंगे। इसमें वॉल पेंट कराना, खराब लाइट ठीक कराना, टूटी टाइल्स बदलवाना, टूटी टॉयलेट सीट बदलवाना आदि शामिल है। इस काम के लिए जरूरत पड़े तो स्थानीय शहरी निकाय बजट भी उपयोग कर सकते हैं।

आमजन तक पहुंच और जागरूकता संबंधी गतिविधियां :बाजार, बस स्टैंडऔर ऑटो स्टैंड जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में मैस्कॉट की मदद से जागरूकता पैदा करने पर जोर होगा। द अर्बन लर्निंग इंटर्नशिप प्रोग्राम (Swachch TULIP) के इंटर्न्स के जरिए लोगों को नजदीकी शौचालय के बारे में बताया जाएगा,ऑडियो संदेश के जरिए जागरूकता पैदा की जाएगी।
आमजन की भागीदारी और निगरानी :अभियान में आमजन को जोड़कर समूहों में वॉल पेंटिंग और चित्रकारीकरने के लिए आयोजन होंगे।गलियों में संकेत बोर्ड बनाकरशौचालयों की जानकारी दी जाएगी, शौचालयों के आसपास पौधे लगाने की गतिविधियां कराई जाएंगी। वेस्ट टु वेल्थ रिसोर्स बैंक बनाकर स्पॉट्स को साफ करके वेस्ट को अलग-अलग करने और उससे राजस्व जुटाने की पहल भी अभियान का हिस्सा है। कोई भी एक व्यक्ति प्रतिदिन एक घंटे के लिए शौचालयों का असिस्टेंट बनकरनिगरानी के साथ-साथलोगों को स्वच्छ शौचालयोंके बारे में शिक्षित करसकताहै।
शौचालयों का बदलेगा स्वरूप :अभियान के तहत शौचालयों को नया स्वरूप देकर दोबारा उद्घाटन कराया जाएगा, जिसमें चुने हुए प्रतिनिधि, लोकल सिलेब्रिटी, कोई प्रमुख व्यक्ति आदि को बुलाकर शुभारंभ कराया जाएगा। शहरी स्थानीय निकाय अभियान के प्रति जागरूकता पैदा करने या उसे बढ़ावा देने के लिए कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम कराएंगे। अंत में नए स्वरूप में मिले सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों को इस्तेमाल करने वालों से बेहतर हुईं सुविधाओं पर उनकी राय ली जाएगी।