Fairness cream : ‘छोरी तो गोरी ही हो’ की फितरत ले लेगी जान, Kidney की बीमारी कहीं की नहीं छोड़ेगी!

Healthy Hindustan
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Courtesy : Pexels

गांव हो, शहर, कस्बा या महानगर। हर दौर में फेयर स्किन (गोरी त्वचा) के लिए दीवानगी महसूस की गई। गोरेपन की इसी चाहत ने कॉस्मेटिक बाजार में गोरापन बढ़ाने वाली क्रीम की हिस्सेदारी को सबसे ज्यादा कर दिया। लेकिन शायद आपको यह नहीं पता हो कि गोरेपन की चाहत में आप जिस महंगे फेयरनेस क्रीम का सहारा लेते हैं, वह इसी आड़ में आपको जानलेवा बीमारियां देता है। कभी धीमे जहर के रूप में तो कभी बेहद तेजी से मौत के मुंहाने की तरफ धक्का लगाते।
इसकी वजह है फेयरनेस क्रीम में मौजूद मरकरी और दूसरे धातु के साइड इफैक्ट्स। आप अगर इस पर यकीन नहीं कर रहे तो आपको मुंबई के अकोला की दो बहनों और उनकी मां की हकीकत से रूबरू होना चाहिए। महज 20 साल की उम्र में बायोटेक की छात्रा को किडनी से जुड़ी परेशानी शुरू हुई। कुछ ही दिनों में उसकी एक और बहन और मां को भी ऐसी ही परेशानी शुरू हो गई और तीनों इलाज के लिए मुंबई के मशहूर केईएम अस्पताल पहुंच गईं। कम उम्र में एक ही परिवार के तीन महिला सदस्यों को किडनी की बीमारी से डॉक्टर भी सकते में रह गए। उनके इस्तेमाल की हर कॉमन चीज की जांच शुरू हुई और अंत में पता चला कि तीनों एक ही फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल करते थे, जो उनकी खतरनाक बीमारी की वजह बनी।

क्या है मामला?
असल में 20 साल की छात्रा ने अपने ब्यूटीशियन की सलाह पर एक लोकल फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल करना शुरू किया, जिससे उसके रंग में कुछ ही दिनों में ऐसा निखार आया कि हर कोई उनकी तारीफ करने लगा। इस बदलाव को देखकर उसकी दूसरी बहन और मां ने भी उसी क्रीम का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। और फिर महज चार महीने में ही ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (Glomerulonephritis) हो गया। ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें Kidney के छोटे फिल्टर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।

क्रीम का किडनी पर असर क्यों?
अस्पताल ने जांच में पाया कि फेयरनेस क्रीम में मरकरी (पारा) का स्तर हजारों में था, जबकि इसकी मान्य सीमा 1PPM (पार्ट्स पर मिलियन) से कम है। पीड़ित बायोटेक छात्रा के खून (Blood) में मरकरी  का स्तर 46 था जबकि सामान्य स्तर 7 से कम होती है।

कितना खतरनाक है मरकरी?
• मरकरी एक भारी धातु है, जो इंसान के लिए जहरीला होता है
• यह मेलोनोसाइट्स के लिए जरूरी कोशिकाओं के विकास को रोक देता है
• मेलेनिन स्किन के नीचे की एक परत है जो इंसान का रंग तय करते हैं
• फेयरनेस क्रीम शरीर के मेलेनिन को कम करती है जिससे रंग हल्का होता है
• मरकरी का सीधा असर नर्वस सिस्टम, डाइजेस्टिव सिस्टम, लंग्स और किडनी पर पड़ता है
• मरकरी के असर से गर्भ में पल रहे शिशु के दिमाग पर असर पड़ता है
• सांस लेने में दिक्कत, भूलने की बीमारी, नींद नहीं आने के लिए भी मरकरी जिम्मेदार है
• मरकरी सिर दर्द, खूनी डायरिया और स्ट्रोक की वजह भी बनता है

कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में हैवी मेटल्स (भारी धातुओं) का मामला पहली बार सामने नहीं आया है। 2014 में दिल्ली की एक संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने 32 क्रीमों की जांच की जिनमें 14 में हैवी मेटल्स मिले।
मरकरी के सेहत पर खतरे को देखते हुए 2019 में जीरो मरकरी वर्किंग ग्रुप ने एक ग्लोबल स्टडी की, जिसमें 12 देशों के प्रोडक्टर को शामिल किया गया। इसमें पाया गया कि 158 क्रीम सैंपलों में से 96 में मरकरी का स्तर 40 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) से 1,30,000 पीपीएम तक है। भारत से लिए गए सैंपलों में मरकरी की मात्रा 48 से 1,13,000 पीपीएम तक पाई गई। इसी तरह साल 2021 में दिल्ली की एक संस्था टॉक्सिक्स लिंक ने भी अपनी स्टडी में गोरा बनाने वाली क्रीमों में मरकरी और न्यूरोटॉक्सिन का खतरनाक स्तर पाया।

फेयरनेस क्रीम के और क्या खतरे?

• गोरापन लाने वाली क्रीम में दो तरह के ब्लीचिंग एजेंट पाए जाते हैं
• इनमें हाइड्रोक्विनोन (hydroquinone) और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (corticosteroids) होते हैं
• क्रीम में हाइड्रोक्विनोन की मात्रा 4% से कम होनी चाहिए
• इसके उच्च स्तर से खुजली, जलन और एलर्जी हो सकती है
• हाइड्रोक्विनोन को दिन में केवल दो बार ही लगाने की सलाह दी जाती है
• हाइड्रोक्विनोन का इस्तेमाल केवल हाथों और पैरों पर करने की सलाह
• चेहरे पर हाइड्रोक्विनोन लगाना खतरनाक हो सकता है
• 8 से 12 हफ्तों से ज्यादा हाइड्रोक्विनोन लगाने पर साइड इफैक्ट का खतरा

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