Smartphone Vision Syndrome : मोबाइल फोन के चक्कर में चली गई महिला की आंखों की रोशनी, आप भी ऐसा करते हैं तो हो जाएं होशियार

Healthy Hindustan
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Courtesy : Pexels

अगर आप घंटों मोबाइल फोन (Mobile Phone) पर समय बिताते हैं, अगर आप अंधेरे में भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, अगर आप लाइट बुझाकर सोते वक्त घंटों मोबाइल फोन पर कुछ भी देखते रहते हैं, तो आपको ये आदत हर हाल में छोड़नी होगी। मोबाइल फोन पर घंटों वक्त बिताने की वजह आंखों को नुकसान होने के दावे तो आंखों के डॉक्टर करते रहे हैं, लेकिन अब जो मामला सामने आया है उसमें अंधेरे में मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल ने एक महिला की आंखों की रोशनी अचानक छीन ली।

छिन गई आंखों की रोशनी
यह मामला किसी और देश का नहीं, बल्कि भारत का ही है। हैदराबाद में सामने आए इस चौंकाने वाले मामले ने इलाज करने वाले डॉक्टर को भी हैरान कर दिया। बताया गया कि 30 साल की मंजू डेढ़ साल तक एक खास बीमारी से पीड़ित रही जिसका नाम स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम (CVS) है।

डेढ़ साल तक मंजू की दोनों आंखें खराब रहीं। उन्हें लाइट के चमकीले फ्लेशेज (नजर के सामने तैरती चीजें दिखने), डार्क जिग जैक लाइन्स और किसी चीज पर फोकस करके में दिक्कत हो रही थीं। कई बार तो उन्हें कुछ सेकंड के लिए कुछ नहीं दिखता था। खासकर तब जब वो रात को वॉशरूम जाने के लिए जगती थीं। यानी उनकी आंखों की पूरी रोशनी चली जाती थी। 

जब आंखों की परेशानी इस हद तक बढ़ गई तब मंजू हैदराबाद के एक बड़े प्राइवेट अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार से सलाह लेने के लिए पहुंचीं। डॉ. सुधीर ने जब मंजू से उनके लाइफस्टाइल के बारे में पूछताछ की तो बीमारी की असली वजह का खुलासा हुआ।

बीमारी की वजह क्या?
असल में मंजू ने दिव्यांग बच्चे की देखभाल के लिए ब्यूटिशियन की नौकरी छोड़ दी। इसके बाद महिला को लाइट बंद करने के बाद दो घंटे से भी ज्यादा अंधेरे में मोबाइल चलाने की लत लग गई। मंजू बीते कई बरसों से घंटो फोन चलाती थीं। धीरे धीरे उन्हें दिनभर बैठकर फोन चलाने की एक खराब आदत पड़ गई। जैसे ही खाली वक्त मिलता वह दिनभर फोन पर फीड स्क्रॉल करती रहती थीं। ऐसा केवल दिन में नहीं बल्कि रात में भी होता था। मंजू रात को भी अंधेरे में (लाइट ऑफ करके) फोन देखती रहती थीं। फोन चलाने की इस आदत की वजह से मंजू को विजन सिंड्रोम की समस्या हो गईं। जिसकी वजह से उनकी आंखों की रोशनी जाने लगी।

कैसे हुआ इलाज?
डॉ. सुधीर के मुताबिक मंजू की आंखों की रोशनी वापस लाने के लिए या आंखें ठीक करने के लिए कोई दवाई नहीं दी। उन्हें मोबाइल फोन बिलकुल नहीं देखने की सलाह दी गई। डॉक्टरों द्वारा उन्हें सलाह दी गईं कि वे एक महीने तक मोबाइल फोन बिल्कुल न चलाएं। जब बहुत जरूरी हो, तभी फोन का इस्तेमाल करें। करीब एक महीने के बाद मंजू की आंखें बिल्कुल ठीक हो गईं, उन्हें सब कुछ साफ दिखाई देने लगा। साथ ही फिर उन्हें ध्यान केंद्रित करने में भी दिक्कत नहीं हुई। डॉ. सुधीर कुमार के मुताबिक स्मार्टफोन, कंप्यूटर या टैबलेट जैसे इलैक्ट्रोनिक उपकरणों का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से आंखों से जुड़ी डिसेबिलिटी के अलग-अलग लक्षण पैदा हो सकते हैं, जिन्हें कंप्यूटर विजन सिंड्रोम (Computer Vision Syndrome ) या डिजिटल विजन सिंड्रोम कहा जाता है।

बताया गया कि मंजू सही वक्त पर इलाज के लिए डॉक्टर के पास पहुंच गईं इसलिए उनकी आंखों की रोशनी वापस आ गई। कई ऐसे यूजर्स हैं जो लंबे समय तक स्क्रीन देखते हैं और स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम (SVS) या कंप्यूटर विजन सिंड्रोम (CVS) या डिजिटल विजन सिंड्रोम (DVS) से पीड़ित होते हैं और समय से इलाज नहीं कराते हैं। इससे आंखों की रोशनी खत्म होने का खतरा रहता है।

ब्लिंकिंग रेट कम कर देती है मोबाइल-टीवी की रोशनी
• अंधेरे में स्क्रीन देखने से मोबाइल, लैपटॉप या टीवी की रोशनी सीधे आंखों तक आती है
• इससे आंख अंधेरे में आने वाली रोशनी पर ज्यादा कॉन्सन्ट्रेट करने लगती है
• इससे आंखों की ब्लिंकिंग रेट (पलक झपकने की क्षमता) कम हो जाती है
• सामान्य इंसान प्रति मिनट 12 से 14 बार पलक झपकता है
• लगातार स्क्रीन देखने से यह रेट कम होकर 6 से 7 रह जाती है
• कम ब्लिंकिंग रेट की से ड्राइनेस, जलन, इन्फेक्शन, मैक्यूलर डिजनरेशन जैसी समस्याएं
• रेटिना को नुकसान पहुंचाती है स्क्रीन लाइट
• अंधेरे में निकलने वाली मोबाइल, लैपटॉप या टीवी की लाइट रेटिना पर असर करती है
• अंधेरे में आने वाली लाइट के असर से रेटिना धीरे-धीरे यह ढीली हो जाती है
• रेटिना को नुकसान पहुंचने के बाद धुंधला दिखाई देता है
• सोने से पहले और उठने के तुरंत बाद फोन चलाना सबसे खबसे खतरनाक है
• सोने से पहले और उठने के बाद आंखों को सबसे ज्यादा आराम की जरूरत होती है

‘स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम’ से कैसे बचें?
• डिजिटल गैजेट्स की स्क्रीन को लंबे समय तक देखने से बचें
• डिजिटल स्क्रीन पर काम करते समय हर 20 मिनट में 20 सेकेंड का ब्रेक
• 20 फीट की दूरी पर स्थित कोई चीज देखने की आदत बनाएं
• कंप्यूटर या फोन की स्क्रीन को देखते वक्त कमरे में लाइट जलाएं रखें
• अंधेरे में मोबाइल फोन, लैपटॉप, कम्प्यूटर चलाने से बचें
• अगर आपको हल्का सा भी तनाव महसूस हो तो हमेशा आंखों की जांच कराएं

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