Eye Twitching : आंख फड़के तो आंख मूंद कर मत कीजिए अंधविश्वास पर विश्वास, दिमाग नहीं खोले तो पड़ेंगे लेने के देने

Healthy Hindustan
5 Min Read
Courtesy : Pexels

दुनिया में शायद ही कोई ऐसा हो, जिसकी आंख न फड़की हो। जब से मोबाइल फोन, टैबलेट, कम्प्यूटर या लैपटॉप पर काम करने का चलन शुरू हुआ है, आंख फड़कना पहले से ज्यादा आम हो गया है। लेकिन आंख फड़की नहीं, कि आपके आसपास लोग फटाक से पूछ बैठेंगे, “कौन सी आंख फड़क रही है? दायीं? अच्छा है, कुछ शुभ होने वाला है।”
आंखों के बारे में लंबे समय से जो कुछ भ्रांतियां फैली हुई हैं, यह संवाद उन्हीं में एक है। कुछ लोग अब तक सुनी-सुनाई बातों में आकर ‘ज्ञान’ दे देते हैं तो कुछ सामुद्रिक शास्त्र का हवाला देकर इसे सच बताते सुनाई पड़ते हैं। लब्बोलुआब यह कि पुरुष की दायीं आंख फरकी तो शुभ होगा, पदोन्नति, धन लाभ या इच्छआएं पूरी हो सकती हैं। लेकिन अगर महिला की दायीं आंख फड़के तो उन्हें इसका ठीक उलटा फल मिलता है। महिलाओं का बायीं आंख फड़कना फायदेमंद यानी शुभ/शगुन माना जाता है तो पुरुषों का बायीं आंख फड़कना नुकसानदेह यानी अशुभ/अपशगुन माना जाता है।
यहां सवाल उठता है कि आंख क्यों फड़कती है और इसके फड़कने के क्या मायने हैं? विज्ञान इसके बारे में क्या कहता है? नेत्र विज्ञान (Eye Science) के मुताबिक पलक की मांसपेशियों में ऐंठन के कारण आंखों का फड़कना आम बात है। पलक की मांसपेशियों में ऐंठन के कारण आंखों के फड़कने का असर ज्या़दातर ऊपरी पलक पर होता है और यह कुछ मिनट या घंटे में खुद-ब-खुद बंद हो जाती है। हालांकि अगर नीचे और ऊपर की दोनों पलके फड़कने लगे और ऐसा हफ्तों या इससे ज्याोदा समय तक बना रहे तो यह गंभीर बीमारी की चेतावनी हो सकती है।

आंखों के फड़कने को मेडिकल भाषा में ‘Myokymia’ कहा जाता है। मेडिकल में आंख फड़कने की तीन अलग-अलग स्थित बताई गई है।

• मायोकेमिया
• ब्लेफेरोस्पाज्मे
• हेमीफेशियल स्पाज्म

आईलिड मायोकेमिया
जब हल्का हल्का यानी कम आंख फड़के तो यह स्थिति आईलिड मायोकेमिया है, जो सामान्य है। लाइफस्टाइल से जुड़े बदलाव की वजह से यह कभी-कभार होता है और कुछ घंटों या फिर एक-दो दिन में अपने आप ही ठीक हो जाता है। यह स्ट्रेस, आंखों की थकावट, कैफीन का उच्च सेवन, नींद का पूरा न होना या फिर मोबाइल और कम्प्यूटर का ज्यादा इस्तेमाल से होता है।

बिनाइन इसेन्शियल ब्लेफेरोस्पाज्म
यह आंखों से जुड़ी गंभीर बीमारी है। जब आंखों की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं, तब आंख फड़क कर इसका संकेत देती है। इस बीमारी में पलक के साथ आंखों के आसपास की मांसपेशियां भी फड़कने लगती हैं। इससे आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति जब अपनी पलकें झपकाता है तो उसे दर्द महसूस होता है। इसमें कई बार आंखों को खोलना मुश्किल हो जाता है, आंखों में सूजन रहती है और धुंधला दिखने लगता है।

हेमीफेशियल स्पाज्म
हेमीफेशियल स्पाज्म बीमारी में पहले आंखें फड़कती हैं और फिर गाल और मुंह की मांसपेशियां भी फड़कने लगती हैं। इस बीमारी में चेहरे का आधा हिस्सा सिकुड़ जाता है जिसका असर आंखों पर पड़ता है। यह आमतौर पर किसी तरह के जलन और चेहरे की नसों के सिकुड़ने के कारण होता है। इस मामले में आंखें लगातार फड़कती रहती हैं। इसमें बैन पल्सी, सर्विकल डिस्टोनिया, डिस्टोनिया, मल्टीपल सेलोरोसिस और पार्किन्सन जैसे विकार शामिल हैं।

आंख फड़कने के आम कारण
• तनाव
• चाय या कॉफी की अधिकता 
• मैग्नीशियम की कमी 
• एल्कोहॉल का सेवन
• आंखों में एलर्जी
• आंखों का बहुत अधिक थकना
• स्क्रीन पर कई घंटे बिताना
• नींद पूरी नहीं होना
• आंखों में सूखेपन की समस्या (Dry eyes)

आंख फड़कने पर सामान्य घरेलू उपाय
• पलकों को 30 सेकंड तक झपकाएं
• आंखों को आधी खुली अवस्था में लाएं
• इससे ठीक न हो तो हल्के हाथों से मसाज करें
• सात से आठ घंटे की पर्याप्त नींद ले
• आंखों की Exercise करें (ऊपर-नीचे और दायें-बायें देखने वाली Exercise)
• रोज 8 से 10 ग्लास पानी पीयें
• हाइड्रोथिरेपी (बंद आंखों पर बारी बारी से गुनगुने और ठंडे पानी के छींटे मारें)
• अगर दो-तीन दिनों से ज्यादा आंख फड़के तो डॉक्टर से संपर्क करें

Follow

Subscribe to notifications

Most Viewed Posts

Share this Article
1 Comment
चमकती स्किन के लिए क्या खाएं किस तरह के तेल से करें मसाज ? क्या है निगेटिव कैलोरी फूड ऑयल मसाज ब्लॉकेज हटा कर ब्लड सर्कुलेशन ठीक करता है पांच बैक्टीरिया जो हर साल भारत में लाखों लोगों की लेते हैं जान
adbanner