Cancer को बुलावा है अखबार में लिपटा खाना, नपुंसकता की भी बन सकता है वजह

Healthy Hindustan
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अखबार में लिपटा खाना है खतरनाक

क्या आप यात्रा पर जाते हैं तो ट्रेन में अखबार (newspaper) पर रखकर खाना खाते हैं?

क्या स्ट्रीट फूड बेचने वाला आपको अखबार में लपेट कर खाने का सामान देता है?

क्या पूरी, भटूरे या दूसरी चीजों पर ज्यादा तेल दिखने पर आप अखबार के बीच दबाकर तेल को हटाने की कोशिश करते हैं?

क्या टिफिन में खाना अखबार में लपेट कर रखने की आदत है?

अगर इन सवालों का जवाब हां है तो आप कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को न्योता दे रहे हैं। कैंसर ही क्यों, कई और बीमारियां भी हैं जो ऐसा करने वालों के गले पड़ने के लिए तैयार हैं।  

फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया का निर्देश?  
जाने-अनजाने कई बार हम अखबार पर खाने का सामान लेते हैं जिनमें कई बार गर्म चीजें होती हैं। कई बार दुकानदार या ठेले वाला जल्दबाजी में या नियमित तौर पर अखबार में ही लपेटकर खाने का सामान देता है। लेकिन ये ऐसी वजहें हैं जिससे कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इन्हीं खतरों की वजह से फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने एक अडवाइजरी जारी की है। इसमें अखबार या प्लास्टिक पर खाना देने की मनाही की गई है। लेकिन इतनी साफ साफ मनाही के बावजूद हर जगह इसकी अनदेखी जारी है।  

अखबार पर खाने से मनाही की वजह क्या?    
फूड अथॉरिटी की मानें तो अखबार की स्याही में मल्टिपल बायोऐक्टिव मटीरियल मौजूद होते हैं जिससे शरीर पर नकारात्मक असर पड़ता है और अगर यह स्याही खाने के जरिए शरीर के अंदर पहुंच जाए तो यह धीमा जहर का काम करता है।

• अखबार की प्रिंटिंग में इस्तेमाल स्याही खतरनाक
• स्याही में डाई आइसोब्यूटाइल फटालेट होता है
• स्याही में आइसोस्यूटाइल जैसे केमिकल होते हैं
• ये दोनों केमिकल धीमा जहर होते हैं  
• इनमें कई तरह के बायोएक्टिव तत्व मौजूद होते हैं  
• गर्म खाने के संपर्क में आते ही ये ऐक्टिव हो जाते हैं
ये धीमा जहर खाने के साथ हमारे शरीर में चला जाता है  

अखबार पर खाने से कितने तरह की बीमारियां?  
असल में, अखबार पर गर्म खाना खाने से इसकी स्याही पिघलकर खाने में घुल जाती है। इससे स्याही में मौजूद ग्रेफाइट धीमा जहर शरीर के अंदर जाता है। ग्रेफाइट के शरीर में जाने से किडनी (गुर्दा) (kidney) और फेफड़ों (लंग्स) (lungs) से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। ग्रेफाइट शरीर के अंदर जाकर हार्मोन्स (hormones) के संतुलन को भी बिगाड़ता है। इसका सीधा असर प्रजनन क्षमता पर पड़ता है और नौबत नपुंसक होने तक की आ सकती है। अखबार का स्याही खाने में मिलकर धीरे धीरे आंखों की रोशनी खत्म कर सकता है। अंधेपन का ये खतरा बच्चों और बुजुर्गों में ज्यादा है।  स्याही में मौजूद विषैले तत्व के कारण स्किन रोग, पेट दर्द और गैस की समस्या होने लगती है। स्याही के शरीर में जाने से मुंह, गले और पेट का कैंसर भी हो सकता है।  

• मुंह, गले और पेट का कैंसर
• लंग कैंसर  
• लीवर कैंसर  
• मूत्राशय का कैंसर  
• किडनी और लंग्स से जुड़ी बीमारियां
• स्किन रोग, पेट दर्द और गैस की समस्या  
• आंखों की रोशनी जाने का खतरा
• नपुंसकता  

अखबार पर खाना कैसे लंग कैंसर की वजह?
• खाने पर चिपकी स्याही फेफड़े तक पहुंचती है  
• फेफड़ों के कुछ हिस्सों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है
• ब्रोंची ओल्स या एल्वियोली फेफड़े के संवेदनशील हिस्से हैं  
• इनकी कोशिकाओं से कैंसर फैलना शुरू होता है
• फुस्फुस नाम की पतली परत में कैंसर सबसे तेजी से फैलता है
• धीरे धीरे सांस लेने में दिक्कत से लक्षण दिखने शुरू होते हैं  

अखबार पर खाना नहीं तो क्या है तरीका?
लगभग हर डाइटिशियन इस बात पर सहमत हैं कि अखबार पर खाना रखना बीमारियों को बुलावा है। टिफिन में खाना ले जाने वालों को अखबार की जगह कपड़े में खाना लपेटकर रखने की सलाह दी जाती है। कई लोग कपड़े की जगह टिफिन या कैसरोल में फॉयल पेपर रखते हैं और इसी में रोटी या दूसरी चीजें लपेटते हैं। कुछ डाइटिशियन फॉयल पेपर को भी सेहत के लिए ठीक नहीं मानते। इनके मुताबिक फॉयल पेपर में गर्म चीजें रखने पर कई बार उस पर एक काली परत दिखाई देती है। इस काली परत की वजह भी कैंसर होने का कारण बन सकती है। इसलिए फॉयल पेपर से भी बचें।

डिस्क्लेमरयहां दी गई सामग्री केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी इलाज से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

हमारे डॉक्टरों के एक्सपर्ट पैनल से सलाह के लिए ईमेल करें- [email protected]

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