न तो लाइफ स्टाइल (Lifestyle) खराब है और न ही खान-पान में किसी तरह की लापरवाही। नियमित रूप से एक्सरसाइज (Exercise) करने के साथ ही स्मोकिंग (Smoking) से हमेशा दूरी बना कर रखी। यही नहीं, डिओडोरंट (Deodorant) का इस्तेमाल कभी किया नहीं और बाल को रंगने वाले डाई (Dye) का इस्तेमाल करने की नौबत ही नहीं आई। लेकिन इसके बावजूद दिल्ली की रहने वाली रितु को ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) ने अपनी चपेट में ले लिया। जब रिपोर्ट आई तो यकीन करना मुश्किल था। लेकिन इस सच को मानने के बाद जेहन में एक ही सवाल उठा, आखिर ऐसा क्यों हुआ?
बार बार एक हूक की तरह उठते इस सवाल का जवाब तब मिला जब अमेरिका और फ्रांस की एक स्टडी सामने आई। करीब 20 साल में पूरी हुई यह स्टडी बीते महीने छपी तो कई हैरान करने वाली जानकारियां सामने आईं। इस स्टडी में वायु प्रदूषण और स्तन कैंसर के बीच के रिश्ते को दिखाया गया। इस स्टडी के बाद साफ हो गया कि सेहत को लेकर बहुत ज्यादा सजग रहने के बावजूद रितु ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में कैसे आ गई। रितु को ब्रेस्ट कैंसर होने की एक वजह दिल्ली की जहरीली हवा हो सकती है।
अमेरिका और फ्रांस की हुई स्टडी में पार्टिकुलेट मैटर (particulate matter) और स्तन कैंसर के घर के अंदर और बाहर के संपर्क के बीच संबंध को दिखाया गया है। स्टडी में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसों की केमिकल रिएक्शन्स के जरिये वातावरण में बनने वाले कणों – PM2.5 को जोड़ने वाली कई बातें सामने आई हैं। इसमें कुछ कार्बनिक कंपाउंड असमय मौतों से जुड़े हैं। इनमें विशेष रूप से वे लोग शामिल थे, जिन्हें पुरानी हृदय या फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां थीं। 2015 में ही इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने निष्कर्ष निकाला था कि बाहरी वायु प्रदूषण में मौजूद पीएम फेफड़ों के कैंसर का कारण बनता है।
लेकिन PM2.5-स्तन कैंसर के बीच संबंध बहुत नया है। फ्रांस की स्टडी में मैड्रिड में आयोजित यूरोपियन सोसाइटी फॉर मेडिकल ऑन्कोलॉजी (ईएसएमओ) कांग्रेस 2023 में प्रस्तुत किया गया था। इसमें पाया गया कि जब सूक्ष्म कण (पीएम2.5) वायु प्रदूषण के संपर्क में 10 ग्राम/घन मीटर की वृद्धि हुई तो स्तन कैंसर का खतरा 28% बढ़ गया। इसमें 1990 से 2011 के बीच स्तन कैंसर से पीड़ित 2,419 महिलाओं और बिना स्तन कैंसर वाली 2,984 महिलाओं को स्टडी में शामिल किया गया।
अमेरिकी स्टडी सितंबर की शुरुआत में नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के जर्नल में प्रकाशित हुई थी। इसमें उच्च PM2.5 जोखिम वाले क्षेत्रों में रह रहे लोगों में स्तन कैंसर की घटनाओं में 8% की वृद्धि देखी गई। स्टडी में अध्ययन में 20 साल की अवधि में पांच लाख महिलाओं और पुरुषों को फॉलो किया गया। इनमें से 15,870 में स्तन कैंसर के मामले पाए गए।
ईएसएमओ मीटिंग में लंदन के ऑन्कोलॉजिस्ट चार्ल्स स्वैंटन ने कहा
पीएम 2.5 फेफड़ों में गहराई से प्रवेश कर सकता है। यहां से वे ब्लड फ्लो में प्रवेश कर ब्रेस्ट और अन्य टिश्यूज में सोखे जा सकते हैं। यानी, इस बात के सबूत हैं कि वायु प्रदूषक स्तन (ब्रेस्ट) की संरचना को बदल सकते हैं।
डॉ. चार्ल्स स्वैंटन, कैंसर रोग विशेषज्ञ
हालांकि अब और टेस्ट की जरूरत महसूस की जा रही है जिससे पता चल सके कि क्या ये सूक्ष्म प्रदूषक ब्रेस्ट के टिश्यूज में पहले से मौजूद उत्परिवर्तन वाली कोशिकाओं को बढ़ाने और ट्यूमर का कारण बनते हैं।
मशहूर होम्योपैथ डॉ. ए.के. अरुण फ्रांस और अमेरिका की स्टडी के नतीजे को लेकर देश और दिल्ली के हुक्मरानों को आगाह करते हैं। दिल्ली सहित देश के कई शहरों में जिस तरह वायु प्रदूषण बड़ी समस्या बनकर उभरी है, उसमें फेफड़े के कैंसर और दूसरी बीमारियों के साथ ब्रेस्ट कैंसर बढ़ने का जोखिम डराने वाला है।
इस डर की वजह है। डॉ. अरुण कहते हैं,
भारत में, 1965 और 1985 के बीच स्तन कैंसर की घटनाओं में 50% की वृद्धि हुई। ग्लोबोकैन डेटा 2020 के मुताबिक भारत में, स्तन कैंसर सभी कैंसर के मामलों में 13.5% (1,78,361) और 10.6% ( सभी मौतों में से 90,408) है। कई अध्ययनों के आधार पर साल 2030 तक स्तन कैंसर का वैश्विक बोझ करीब 20 लाख होने का अंदेशा है।”
डॉ. ए.के. अरुण, सीनियर होम्योपैथ
हालांकि डॉ. अरुण अभी वायु प्रदूषण और स्तन कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर) के रिश्ते के लिए और ज्यादा व्यापक स्टडी की जरूरत बताते हैं। उनके मुताबिक पश्चिम के कुछ स्टडी के नतीजों के आधार पर इसे पूरी तरह से मान लेना ठीक नहीं होगा, लेकिन यह वायु प्रदूषण के एक और जोखिम को तो बताता ही है। चूंकि वायु प्रदूषक शरीर में सूजन पैदा करते हैं इसलिए स्टडी के नतीजे को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता।
This is shocking study because nobody can correlate lungs infection and breast cancer. Dear writer keep sharing your knowledge with us.