दिल (heart) को तंदरुस्त रखने के लिए कई बार जो योगासन (yoga) सबसे अच्छे होते हैं, दिल की बीमारी होने के बाद उनमें से कई जानलेवा साबित हो सकते हैं। इसलिए योग एक्सपर्ट (yoga expert) से पूछे बिना हर तरह के आसन, प्राणायम नहीं करना चाहिए। हालांकि ये बात हर तरह की बीमारी से पीड़ित मरीजों पर लागू होती है, लेकिन दिल (हार्ट, हृदय) के मरीजों को तो इस बात का खास तौर पर ध्यान रखना चाहिए।
निश्चित रूप से योग शरीर के लिए लाभदायक है। अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में योग को शामिल करना स्वस्थ जीवनशैली (हेल्दी लाइफस्टाइल) (healthy life style) का हिस्सा है। बीमारियों को अपने आसपास फटकने भी न देना हो तो योग से अच्छा कुछ भी नहीं। लेकिन बिना जानकारी के हर तरह के योगासन और प्राणायम से लेने के देने पड़ सकते हैं। यानी योग से हर बीमारी का इलाज मुमकिन है, लेकिन हर तरह के योगासन और प्राणायम हर बीमारी के इलाज नहीं। जब बात सांस और दिल से जुड़ी बीमारियों का हो, तो खास सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है।
देश के ज्यादातर हृदय रोग विशेषज्ञ (heart specialist) (cardiologist) निजी बातचीत में मानते हैं कि बीमारियों को दूर रखने के लिए वे योग और व्यायाम (कसरत) (exercise) नियमित रूप से करते हैं। लेकिन इन डॉक्टरों का यह भी दावा है कि हृदय रोग (heart disease) से बचने का योग में हर समाधान होने के बावजूद इस बीमारी की चपेट में आ चुके लोगों को योग की कुछ मुद्राओं से बचना चाहिए। इनमें योग की वो मुद्राएं हैं जो दिल पर ज्यादा दबाव डालती हैं। योग विशेषज्ञों और योगाचार्यों का भी मानना है कि कुछ योग मुद्राओं से दिल पर दबाव पड़ता है। एक तो पैरों और हाथों तक खून पहुंचाने के लिए हार्ट (हृदय) (दिल) को वैसे ही गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ ज्यादा मेहनत से पंप करना पड़ता है, दूसरा इस पर दबाव बनाने वाली योग मुद्राओं से हार्ट पर दोहरा दबाव पड़ने लगता है। ऐसे में कमजोर हार्ट (दिल) के फेल होने या उसे नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ जाता है।
योग एक्सपर्ट (योगाचार्य) (योग विशेषज्ञ) के मुताबिक दिल के मरीजों (हार्ट पेशेंट) (हृदय रोगी) को नीचे लिखी कुछ योग मुद्राओं को किसी भी हालत में नहीं करना चाहिए।
दिल के मरीज न करें ये 7 आसन
• कपालभाति
• चक्रासन
• विपरीतकरणी आसन
• शीर्षासन
• हलासन
• सर्वांगासन
• वीरभद्रासन

कपालभाति
कपालभाति करने से हृदय संबंधी बीमारियां शरीर से दूर रहती हैं। लेकिन हृदय रोग (हार्ट डिजीज) की गंभीरता बढ़ जाने पर कपालभाति किसी भी हालत में नहीं करना चाहिए। चूंकि कपालभाति करने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है इसलिए यह हार्ट अटैक के खतरे को भी बढ़ा देता है।

चक्रासन
चक्रासन करने में बहुत ज्यादा ताकत की जरूरत पड़ती है। ताकत के साथ ही एक निश्चित सांस पैटर्न भी इस आसन के लिए जरूरी है। ज्यादा ताकत और निश्चित सांस पैटर्न से हृदय (heart) का काम बढ़ जाता है। इसके लिए हृदय को तेजी से पंप करना पड़ता है, जिससे हार्ट की बीमारियों की चपेट में आ चुके लोगों का जान जोखिम में पड़ सकता है।
विपरीतकरणी आसन
विपरीतकरणी आसन में हृदय पर खून को शरीर के निचले हिस्से में भेजने का दबाव बढ़ जाता है। चूंकि शरीर में ब्लड सर्कुलेशन के लिए निचले हिस्से में खिंचाव पैदा होता है, इसलिए इससे ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ता है जो दिल के मरीजों के लिए किसी भी हालत में ठीक नहीं।

शीर्षासन
हृदय रोगियों को शीर्षासन तो गलती से भी नहीं करना चाहिए। इस मुद्रा में शरीर पूरी तरह उलटा होता है जिसमें सिर जमीन से टिका तो पांव आसमान की तरफ होता है। ऐसे में शरीर के निचले हिस्से (लोअर बॉडी) में खून को पंप करने के लिए हृदय को पूरी ताकत झोंकना पड़ता है। जाहिर है, इससे हृदय पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है। इस आसन में हृदय को गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ जाकर खून की सप्लाई करनी पड़ती है। गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध खून को पंप करने से सीने में दर्द होने का भी अंदेशा रहता है, जो हार्ट अटैक तक की वजह बन सकता है।

हलासन
हलासन में शीर्षासन की ही तरह गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध जाकर हृदय पर खून की सप्लाई का दबाव बढ़ता है। इसमें हृदय की तरफ खून की मात्रा बढ़ने का भी खतरा रहता है, जो बेहद खतरनाक है। हलासन करने में वैसे भी दिल पर दबाव बढ़ जाता है।

सर्वांगासन
सर्वांगासन की मुद्रा भी बहुत हद तक शीर्षासन से मिलती जुलती है और इसमें भी वही सब खतरे हैं जो शीर्षासन करने वाले हृदय के मरीजों को हैं। सिर नीचे और पैर ऊपर करने वाली यह मुद्रा गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ जाकर हृदय को काम करने के लिए मजबूर करती है, जिससे हृदय यानी दिल पर दबाव और जान का जोखिम बढ़ जाता है।

वीरभद्रासन
चूंकि इस आसन को करने में शरीर के ऊपरी हिस्से को जोर (ताकत) लगाना पड़ता है, इसलिए इस आसन को करने वाले के दिल (हृदय) पर इसका सीधा असर पड़ता है। इसलिए योग एक्सपर्ट भी हार्ट पेशेंट को वीरभद्रासन नहीं करने की सलाह देते हैं।
इसके अलावा विशेषज्ञों की सलाह है कि हृदय रोगी दौड़ने से बचें। एक सवाल अक्सर पूछा जाता है कि हृदय रोगियों को अनुलोम विलोम करना चाहिए या नहीं? इसके बारे में योगाचार्यों का सुझाव है कि अनुलोम विलोम हृदय रोगियों के लिए लाभकारी हो सकता है। लेकिन इसे करते वक्त एक एहतियात बरतना जरूरी है। हृदय रोगी किसी भी हालत में अनुलोम विलोम करते समय सांस न रोकें। सांस रोकना खतरनाक हो सकता है।
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