सिर दर्द हुआ तो कोई टिकिया खाकर इसे आम मानने की भूल बेहद आम है। चक्कर आने पर उसे कमजोरी का लक्षण मानने का चलन भी नया नहीं। धुंधला दिखने, बोलने में परेशानी होने और लड़खड़ाने जैसे लक्षणों को भी हल्के में लेना बेहद आम है। लेकिन ऐसे लक्षण जरूरी नहीं कि आम ही हों। कई बार ऐसे लक्षण बेहद गंभीर बीमारी के संकेत हो सकते हैं और हो सकता है कि ये ब्रेन स्ट्रोक (Brain stroke) की दस्तक देने वाले हों। इसलिए ऐसे लक्ष्णों को न तो नजरअंदाज करें और न ही हल्के में लें।
दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) (AIIMS) की सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist) और पद्मश्री सम्मान से सम्मानित डॉ. एम. वी. पद्मा श्रीवास्तव ने ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ते खतरे की तरफ लोगों का ध्यान खींचा। हालांकि बीते कुछ बरसों में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा पूरी दुनिया में बढ़ा है, लेकिन भारत में तो इसने सारी हदें पार कर दी हैं।
सर गंगा राम अस्पताल में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में डॉ. पद्मा श्रीवास्तव ने भारत में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण स्ट्रोक को बताया। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) के हवाले से उन्होंने बताया कि भारत में स्ट्रोक की 68.6 % घटनाएं हो रही हैं, जो दुनियाभर में सबसे ज्यादा है। चूंकि स्ट्रोक के 70 फीसदी मामलों में मरीज की मौत हो जाती है, इसलिए इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने भी दो साल पहले ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ते खतरे को लेकर आगाह किया था। जानकारों के मुताबिक जब दिमाग की कोई नस फट जाती है और उससे खून बहने लगता है या मस्तिष्क को खून की आपूर्ति में रुकावट आती है तो ‘स्ट्रोक’ होता है। यह अक्सर शरीर के सिर्फ एक हिस्से को प्रभावित करता है।

डॉ. (प्रो.) पद्मा श्रीवास्तव के मुताबिक देश में हर साल स्ट्रोक के करीब 1 लाख 85,000 मामले सामने आते हैं। इस हिसाब से हर 40 सेकंड में लगभग एक स्ट्रोक का मामला सामने आता है, जिनमें हर 4 मिनट में स्ट्रोक से एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। GBD 2010 की स्ट्रोक प्रोजेक्ट की एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट यह भी बताती है कि 31% स्ट्रोक के केस 20 वर्ष से कम आयु के बच्चों में होते है
भारत में युवा और मध्यम आयु वर्ग के लोगों के बीच ऐसे मामले ज्यादा पाए जा रहे हैं। कुछ समय पहले तक इस बीमारी की चपेट में ज्यादातर बुजुर्ग लोग आते थे, लेकिन अब डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, बहुत ज्यादा स्मोकिंग, नशीली दवाओं का सेवन, मोटापा और हार्ट से संबंधित परेशानियों की वजह से युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
• अचानक चेहरे का सुन्न होना
• बोलने में परेशानी- चक्कर आना
• भ्रम का शिकार होना
• शरीर का संतुलन बनने में परेशानी
• धुंधला दिखना
• एक या दोनों आंखों में अचानक धुंधलापन या काली दृष्टि
• मुस्कुराने की कोशिश करने पर मुंह का एक हिस्सा लटक जाना
• अचानक गंभीर सिरदर्द के साथ उलटी
• दूसरे क्या कह रहे हैं बोलने और समझने में परेशानी
• चेहरे, हाथ या पैर में अचानक सुन्नता और कमजोरी
क्या है स्ट्रोक
स्ट्रोक को मस्तिष्क का दौरा (Brain Attack) भी कहा जाता है। यह मस्तिष्क में रक्त संचार (ब्लड सर्कुलेशन) में अचानक रुकावट होने की वजह से होता है। मस्तिष्क पर्याप्त खून (ब्लड) नहीं मिलने से कुछ सेकंड से अधिक समय तक अपनी कार्य क्षमता बनाए रखने में असमर्थ होता है। ऐसे में मस्तिष्क की कोशिकाओं (ब्रेन सेल्स) की मृत्यु हो जाती है।
इस बीमारी का निदान और शरीर में आने वाली विकलांगता का स्तर, स्ट्रोक के प्रकार, प्रभावित मस्तिष्क के हिस्से और क्षतिग्रस्त क्षेत्र के आकार के अनुसार अलग-अलग होता है। ब्रेन स्ट्रोक सामान्य प्रकार के मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों की रुकावट से होता है। स्ट्रोक में धमनियों के टूटने के कारण मस्तिष्क के अंदर रक्तस्त्राव (ब्लीडिंग) भी हो सकता है। ये दोनों मामले बेहद गंभीर हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि सही खानपान और तनावमुक्त जीवनशैली अपनाकर ब्रेन स्ट्रोक के खतरे से बचा जा सकता है। स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम करने और स्मोकिंग-नशा जैसी बुराइयों से दूर रहकर इससे बहुत हद तक बचा जा सकता है। ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए तनावमुक्त जीवनशैली (Lifestyle) अपनाना चाहिए। इस बीमारी से बचाव के लिए डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को अपनी सेहत की जांच नियमित रूप से करवानी चाहिए।