सड़कें सूनी और अस्पतालों में शोर। दवाओं की कीमत में 200% की उछाल के बावजूद दवाओं की किल्लत। दवाइयों के लिए केमिस्ट शॉप ही नहीं दवा की फैक्ट्रियों के बाहर भी लंबी लंबी लाइन। श्मशानों में 20 दिनों की वेटिंग और स्कूलों में ड्रिप लगाकर बच्चों को पढ़ाने की मजबूरी। अस्पतालों में जगह नहीं होने और दवा नहीं मिलने से मौत आम। ये तस्वीर फिलहाल भले ही चीन की हो, लेकिन आने वाले दिनों में कहीं की हो सकती है।
चीन के टीवी एक्टर वांग जिनसोंग का एक मैसेज पढ़िए, ‘कोरोना की वजह से मैंने अपनी मां को खो दिया है। पिता को भी चार दिन से तेज बुखार था। दवाएं नहीं मिल रहीं, मैं बहुत मायूस हूं। यह दिन का वह वक्त है जब मैं अपनी मां के साथ वीडियो चैट करता हूं। अब वह वीडियो कॉल कभी कनेक्ट नहीं होगी।’ चीन में हर रोज कोरोना के 10 लाख केस मिल रहे हैं और 24 घंटे में 5,000 मौतें हो रही हैं। लंदन की ग्लोबल हेल्थ इंटेलिजेंस कंपनी एयरफिनिटी ने ये दावा किया है। एयरफिनिटी के मुताबिक यही रफ्तार रही तो जनवरी में डेली केस बढ़कर 37 लाख पर पहुंच जाएंगे। मार्च में यह आंकड़ा 42 लाख हो सकता है।

कोरोना की वजह से मैंने अपनी मां को खो दिया है। पिता को भी चार दिन से तेज बुखार था। दवाएं नहीं मिल रहीं, मैं बहुत मायूस हूं। यह दिन का वह वक्त है जब मैं अपनी मां के साथ वीडियो चैट करता हूं। अब वह वीडियो कॉल कभी कनेक्ट नहीं होगी।”
वान जिनसोंग, चीन के मशहूर टीवी एक्टर
ये सब तब है जब चीन में 89.9% लोगों को वैक्सीन लगी थी, जिसमें चीन से बनी वैक्सीन 77.6% और दूसरे देशों की वैक्सीन 4.91% थी। करीब 17.29% लोगों ने दो देशों की मिक्स वैक्सीन ली थी। सबसे अहम बात ये कि 74.6% लोगों ने कम से कम तीन डोज ले रखी थी। इससे चीन में बनी वैक्सीन पर सवाल तो खड़े हो ही रहे हैं, साथ ही वैक्सीन नहीं लेने की वजह को भी बड़ी संख्या में मौत की वजह माना जा रहा है। इसलिए कोरोना को लेकर दुनिया को डरना जरूरी है और इससे बचने के उपाय और वैक्सिनेशन को गंभीरता से लेना जरूरी है।

चीन में क्यों मचा हाहाकार?
• चीन में जितनी बुजुर्ग आबादी का वैक्सीनेशन होना चाहिए था, उतना नहीं हुआ
• सर्दियों का मौसम ऐसी बीमारियों को फैलने में मददगार होता है
• चीन में बूस्टर डोज लगवाने वालों की संख्या बेहद कम है
• चीन में 60 साल से ज्यादा उम्र के 50 फीसदी लोगों को भी बूस्टर डोज नहीं लगी
• चीन की कोविड पॉलिसी में खामी है
• सख्त लॉकडाउन की वजह से हर्ड इम्यूनिटी नहीं हो पाना हाहाकार की बड़ी वजह
दुनिया के दूसरे देशों पर नज़र डालें तो अमेरिका में इस वक्त कोरोना के करीब 20 लाख ऐक्टिव मरीज हैं। फ्रांस में 11 लाख से ज्यादा तो ब्राजील में करीब 7 लाख मरीज हैं। वहीं आस्ट्रेलिया में 1 लाख 24 हजार, जापान में 67 लाख 44,000 और चीन में 39,400 ऐक्टिव केस हैं।
इस लिहाज से भारत की स्थिति बिलकुल काबू में है। भारत में कोरोना के नए केस कुछ दिनों से हर दिन 160 से 185 के आसपास ही आ रहे हैं। इस वक्त भारत में करीब 3,380 ऐक्टिव मरीज हैं। ऐक्टिव मरीज यानी ऐसे लोग जो कोरोना की चपेट में हैं। इनमें केरल में 1418, कर्नाटक में 1261, महाराष्ट्र में 134, उत्तर प्रदेश में 62 और तमिलनाडु में 43 मरीज हैं। हालात बेकाबू न हों, इसलिए भारत सरकार सतर्क है और सभी राज्यों से तालमेल बनाकर इस खतरे से पार पाने के लिए पूरी ताकत झोंकने की तैयारी है।
पूरी दुनिया में कोरोना ने एक बार फिर जिस तरह पैर पसारने शुरू किए हैं, उसके बाद कोरोना को फैलने से रोकना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। इसलिए भारत में इसे लेकर सतकर्ता बढ़ा दी गई है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने लोगों से भीड़भाड़ वाली जगहों पर नहीं जाने, मास्क पहनने, वैक्सीन और बूस्टर डोज लगवाने की सलाह दी है। ओमिक्रॉन BF.7 वैरियंट को लेकर चिंता की बात यह है कि इसमें तेजी से फैलने और एक साथ ज्यादा लोगों को संक्रमित करने की क्षमता है। बेशक इसके लक्षण अभी कम गंभीर बताए जा रहे हैं लेकिन इसके असर से मौत को पूरी तरह रोक दिया जाए, ये दावा कोई नहीं कर सकता।
कोरोना से बचने के लिए क्या करें?
• अगर आपको किसी तरह की एलर्जी होती है तो मास्क जरूर लगाएं
• भीड़-भाड़ वाली जगह पर बिना मास्क के न जाएं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें
• बार-बार साबुन से हाथ धोयें और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें
• कोरोना से बचने के लिए बूस्टर डोज जरूर लगवाएं
• कोरोना के हल्के लक्षण भी दिखते हैं तो सबसे पहले टेस्ट करवाएं
मीडिया से बातचीत में AIIMS के पूर्व डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने माना कि भारत की हालत चीन की तरह नहीं होगी, क्योंकि यहां हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो चुकी है। लेकिन कोरोना का वायरस तेजी से म्यूटेट कर रूप बदल रहा है इसलिए इसके नए वैरियंट से सावधान रहने की जरूरत है। डॉ. गुलेरिया के मुताबिक सावधानी नहीं बरतने पर कोरोना वायरस फिर से बहुत तेजी से फैलेगा। इसलिए लोगों को बूस्टर डोज लगवाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बूस्टर डोज का कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा और यह पूरी तरह से सुरक्षित है।
भारत के नजरिये से अच्छी बात ये है कि यहां वैक्सिनेशन करीब करीब शत-प्रतिशत हुआ है और यहां कोरोना के सभी वेरियंट और सब वेरियंट के मरीज मिले। इन दो वजहों से यहां के लोगों में हाइब्रिड या सुपर इम्यूनिटी मौजूद है। लेकिन इसी वजह से हम कोरोना को लेकर पूरी तरह बेखौफ नहीं रह सकते। इस मामले में डॉ. सदीप दत्ता की बात गौर करने वाली है। डॉ. संदीप दत्ता चीन के प्रतिष्ठित मीडिया चाइना डेली को कोट कर कहते हैं, “चीन के नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर वायरल डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के प्रमुख शी वेनबो ने माना है कि बीते तीन महीने में चीन में ओमिक्रॉन के 130 सब-वैरियंट मिल चुके हैं। इनमें 50 सब वैरियंट इंफेक्शन का कलस्टर बनाने के लिए जिम्मेदार हैं।” यानी इसी कलस्टर की वजह से चीन में कोरोना की नई लहर का विस्फोट हुआ। डॉ. संदीप दत्ता को अंदेशा है कि चीन में अभी जो हालात हैं उसमें कुछ ही महीनों के भीतर कई लहरें देखने को मिल सकती हैं, जिनमें लाखों लोगों की मौत का अंदेशा है।

हर आदमी को इतना डर जरूर होना चाहिए कि वो समझे कि कोरोना घातक है और ये जान भी ले सकता है। हर किसी को इतना डर जरूर होना चाहिए कि जरा सी लापरवाही की वजह से वह कोरोना स्प्रेडर बन सकता है, भले ही इससे उसका नुकसान हो या न हो, लेकिन उसके अपनों और समाज का नुकसान हो सकता है। कोरोना अभी मरा नहीं है, वह जिंदा है।
डॉ. संदीप दत्ता, वरिष्ठ चिकित्सक
डॉ. संदीप दत्ता की बात को यूं ही खारिज नहीं कर सकते। डॉ. दत्ता देश के उन गिने-चुने डॉक्टरों में एक हैं, जो भारत में कोरोना के दोनों बुरे दौर में घर में बंद नहीं रहे और न ही इन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मरीजों को सलाह देनी या उनका इलाज शुरू कर दिया। जब देश कोरोना से तड़प रहा था डॉक्टर दत्ता बेखौफ होकर मरीजों की देखभाल तो कर ही रहे थे, साथ ही दिल्ली में जगह जगह कोरोना को लेकर जागरुकता अभियान भी चला रहे थे। डॉक्टर दत्ता ने दिल्ली पुलिस के बीच जागरुकता अभियान चलाया, दिल्ली पुलिस के जवानों के अंदर से कोरोना का खौफ दूर किया ताकि वो बिना किसी तनाव के ड्यूटी निभा सकें। इसलिए डॉक्टर संदीप दत्ता की बात सुनने की जरूरत है।
तो क्या देश को कोरोना से डरने की जरूरत है? डॉ. दत्ता कहते हैं- बिलकुल। हर आदमी को इतना डर जरूर होना चाहिए कि वह समझे कि कोरोना घातक है और ये जान भी ले सकता है। हर किसी को इतना डर जरूर होना चाहिए कि उसे लगे कि जरा-सी लापरवाही से वह कोरोना स्प्रेडर बन सकता है, भले ही उसका नुकसान न हो, लेकिन उसके अपनों और समाज का नुकसान हो सकता है। कोरोना अभी मरा नहीं है, वह जिंदा है। जिंदा कोरोना से समझदारी से यानी उससे बचने के उपायों और वैक्सिनेशन से ही पार पाया जा सकता है। बूस्टर डोज की कमी ने चीन का क्या किया, सबके सामने है।